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Wednesday 22 November 2023 02:11:50 PM
पणजी। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 54वें संस्करण में एक संवाददाता सम्मेलन में इंडियन पैनोरमा फीचर फिल्म्स के जूरी अध्यक्ष डॉ टीएस नागाभराना ने कहा हैकि पैनोरमा देश की सांस्कृतिक विविधता और दृश्य साक्षरता के विकास को दर्शाता है, एक सिनेमा प्रेमी के रूपमें यह यात्रा भारत के सिनेमाई परिदृश्य और सामाजिक परिवर्तनों के अमूल्य अध्ययन के रूपमें काम करती है। उन्होंने कहाकि 1979 से वे आईएफएफआई में भारतीय पैनोरमा का हिस्सा रहे हैं और नौ फीचर फिल्मों केसाथ इसके विकास के साक्षी हैं। गौरतलब हैकि तेरह सदस्यों वाली फीचर फिल्म जूरी का नेतृत्व डॉ टीएस नागाभराना कर रहे हैं, वे कन्नड़ भाषा के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, अभिनेता, निर्माता हैं। उन्हें 10 राष्ट्रीय पुरस्कार और 18 राज्य पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। उन्होंने कहाकि फिल्में दो ही तरह की होती हैं-अच्छी और बुरी तथा एक अच्छी फिल्म वही है, जो हमें छूती है, प्रेरित करती है, दो बार सोचने पर मजबूर करती है और मरते दम तक हमारे भीतर छाप छोड़ती है।
इंडियन पैनोरमा फीचर फिल्म्स के जूरी अध्यक्ष ने चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए कहाकि पूरी जूरी ने सिनेमा भाषा और फिल्म के सार के आधार पर फिल्मों का आलोचनात्मक विश्लेषण किया है। उन्होंने कहाकि चाहे किस्मत वाले हों या नहीं, लेकिन फिल्म निर्माताओं के रूपमें हमारे दृष्टिकोण निश्चित रूपसे अलग-अलग होते हैं, फिरभी सिनेमा के मर्म, उसकी भाषा और सार को समझने में ही कोई परिणाम निहित है। उन्होंने कहाकि हमारे विचारों में अंतर केबीच हममें से किसी ने भी एक-दूसरे की समझ पर सवाल नहीं उठाया। जूरी अध्यक्ष ने कहाकि हम सामग्री और कौशल को जरूरी मिश्रण के रूपमें महत्व देते हुए सामूहिक रूपसे गर्व करते हैं और जिम्मेदारी निभाते हैं एवं फिल्म निर्माण एक समर्पण की यात्रा के समान तैयारी की मांग करता है। उन्होंने कहाकि वर्तमान में पुरानी परम्पराओं केबीच एक नया परिप्रेक्ष्य जरूरी है, जिसका उदाहरण 'आरारिरारो' जैसी फिल्मों में नज़र आता है, जो सार्थक जुड़ाव केलिए मानवीय तत्वों पर जोर देती है।
भारत की कम बजट की फिल्मों की वैश्विक पहुंच हासिल करने पर जूरी ने कहाकि फिल्म का बजट कम महत्व रखता है, इसके विपरीत सामग्री की भावनात्मक, नैतिक और सौंदर्यात्मक प्रतिध्वनि का ज्यादा असर होता है। जूरी का कहना हैकि हमारा लक्ष्य मार्केटिंग करना नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर सभी के दिलों को छूने के उद्देश्य से नैतिक और भावनात्मक रूपसे भारतीय फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत करना है। फीचर फिल्म जूरी सदस्य में शामिल हैं-डॉ टीएस नागाभराना (अध्यक्ष), ए कार्तिक राजा, अंजन बोस, डॉ इतिरानी सामंता, केपी व्यासन, कमलेश मिश्र, किरण गंती, मिलिंद लेले, प्रदीप कुर्बाह, रमा विज, रोमी मैतेई, संजय जाधव और विजय पांडे। किसीभी भारतीय भाषा में डिजिटल/ वीडियो प्रारूप पर शूट की गई और 70 मिनट से अधिक अवधि की फीचर फिल्म या फिक्शन के रूपमें बनाई गई फिल्में फीचर फिल्म इस अनुभाग केलिए पात्र हैं।