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Wednesday 22 November 2023 05:16:46 PM
पणजी। मणिपुरी फिल्म एंड्रो ड्रीम्स से 54वें इफ्फी में भारतीय पैनोरमा गैर-फीचर फिल्म खंड की शुरुआत हुई। मणिपुरी फिल्म एंड्रो ड्रीम्स 63 मिनट की सिनेमाई दास्तान है, इस अवांट-गार्डिस्ट डॉक्यूमेंट्री का नेतृत्व महिला निर्देशक, निर्माता और कलाकार की त्रिमूर्ति ने किया है। फिल्म निर्देशक मीना लोंगजाम ने लाइबी फानजौबन की प्रेरक कहानी के बारेमें विस्तार से बताते हुए कहाकि 60 वर्षीय लाइबी फानजौबाम पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के सुदूरवर्ती गांव एंड्रो में हथकरघा और बुनाई की दुकान चलाती हैं, ऊपरी तौरपर तो यह बिल्कुल सामान्य कहानी लगती है, लेकिन लाइबी फानजौबाम कोई सामान्य महिला नहीं हैं, वह अपने प्राचीन गांव में व्याप्त पितृसत्ता, आर्थिक कठिनाइयों और रूढ़िवादिता के खिलाफ लड़ते हुए महिलाओं का एक फुटबॉल क्लब चलाती हैं। निर्देशक लोंगजाम ने बतायाकि एक छोटे से अख़बार में प्रकाशित एक लेख में उनकी अनोखी कहानी ने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक मीना लोंगजम का ध्यान खींचा, इसी कहानी को 54वें इफ्फी में एंड्रो ड्रीम्स के रूपमें सिल्वर स्क्रीन पर लाया गया है।
निर्देशक मीना लोंगजाम ने कहाकि यह डॉक्यूमेंट्री एक उत्साही वृद्ध महिला लाइबी और तीन दशक पुराने लड़कियों के फुटबॉल क्लब एंड्रो महिला मंडल एसोसिएशन फुटबॉल क्लब की कहानी है, जो उस क्लब की होनहार युवा फुटबॉल खिलाड़ी निर्मला केसाथ अपनी चुनौतियों और संघर्षों को दर्शाती है। मीना लोंगजाम ने बतायाकि लाइबी फानजौबन अपने परिवार की चौथी लड़की है, जिसकी अक्सर परिवार ने अनदेखी की। इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वह मैट्रिक की डिग्री लेकर प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका बनने वाली अपने गांव की पहली महिला बनीं, उसने अपने गांव में हथकरघा और बुनाई की दुकानें स्थापित कीं। उन्होंने कहाकि फिल्म की नायिका लाइबी फानजौबाम ने इस डॉक्यूमेंट्री के निर्माण पर खुशी जाहिर की है, यह फिल्म उनकी वास्तविकता और संघर्ष को प्रस्तुत करती है, जिसे दुनिया के सामने पेश करके वह सम्मानित महसूस कर रही हैं।
गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में पीआईबी के मीडिया इंटरेक्शन में मीना लोंगजाम ने कहाकि यह हमारे लोगों की कहानी है और इस मौके पर अफसोस जतायाकि इन्हें सुना नहीं गया और अन्य मीडिया में दर्शाया भी नहीं गया। उन्होंने कहाकि उनके आकस्मिक निर्देशन का यह कार्य मणिपुर के लोगों के जीवन को दिखाने का एक प्रयास है, जो मुख्य मीडिया में अव्यक्त रहते हैं। उत्साह से भरपूर इस प्रोजेक्ट की निदेशक मीना लोंगजाम ने कहाकि एंड्रो ड्रीम्स सभी चुनौतियों के खिलाफ लड़ने वाली लाइबी और उसके फुटबॉल क्लब की लड़कियों के वास्तविक जीवन को दर्शाती है। डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण की शैली के बारेमें मीना लोंगजाम ने बतायाकि डॉक्यूमेंट्री बनाने केलिए विषय केसाथ लंबे समय तक जुड़ने की आवश्यकता होती है और यह एकबार की परियोजना नहीं हो सकती। फिल्म में अभिनय करने वाली मीना लोंगजाम संभावनाओं से भरपूर अभिनेत्री भी हैं, वह अपनी एक अन्य फिल्म ऑटो ड्राइवर केलिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली पहली मणिपुरी महिला हैं।
एंड्रो ड्रीम्स के कार्यकारी निर्माता जानी विश्वनाथ ने ऐसी फिल्मों को वित्तपोषित करने केलिए कहाकि महिलाएं समाज की मूक स्तंभ होती हैं और मैं यथासंभव अधिक से अधिक महिलाओं को सामने लाना और उन्हें आवश्यक अवसर प्रदान करना चाहता हूं। मैं उन अविश्वसनीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना, प्रेरित करना और उनकी मदद करना चाहता हूं, जिनके पास बेमिसाल प्रतिभा है, लेकिन धन की कमी है। फिल्म प्रेमियों को उत्कृष्ट सिनेमाई अनुभव प्रदान करने वाला इफ्फी का भारतीय पैनोरमा खंड कल फीचर फिल्म खंड में मलयालम फिल्म अट्टम और गैर-फीचर खंड में मणिपुरी फिल्म एंड्रो ड्रीम्स केसाथ आरंभ हुआ है। इस वर्ष 28 नवंबर तक 54वें इफ्फी में 25 फीचर फिल्में और 20 गैर-फीचर फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी। भारतीय फिल्मों केसाथ भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत को सिनेमाई कला की मदद से बढ़ावा देने केलिए इफ्फी के अंतर्गत 1978 में भारतीय पैनोरमा की शुरुआत की गई थी, जिसके बाद सेही भारतीय पैनोरमा वर्ष की सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्मों को प्रदर्शित करने केलिए पूरी तरह समर्पित रहा है।