स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 23 November 2023 01:40:02 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल जी-20 शिखर सम्मेलन में जुड़ने केलिए सभी का आभार व्यक्त करते हुए 140 करोड़ भारतवासियों की ओरसे जी-20 के राजनेताओं का हार्दिक स्वागत किया। उन्होंने कहाकि उन्हें याद है जब बीते साल 16 नवंबर को इंडोनेशिया के प्रेसिडेंट जोको विडोडो ने उन्हें सेरीमोनियल गेवल सौंपी थी तो उन्होंने कहा थाकि हम मिलकर जी-20 को समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्य उन्मुख और निर्णायक बनाएंगे एवं एक साल में हम सबने यह करके दिखाया है, हमने जी-20 को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अविश्वास और चुनौतियों से भरी आजकी दुनिया में ये आपसी विश्वास ही है, जो हमें बांधता है, एक-दूसरे से जोड़ता है। उन्होंने कहाकि हमने एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य में विश्वास जताया है और विवादों से हटकर एकता एवं सहयोग का परिचय दिया है। उन्होंने कहाकि वो पल वे कभी नहीं भूल सकते, जब दिल्ली में सभी ने सर्वसम्मति से जी-20 में अफ़्रीकी संघ का स्वागत किया, जी-20 ने विश्व को समावेशिता का जो ये संदेश दिया है, वो अभूतपूर्व है। प्रधानमंत्री ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला को जी-20 की अध्यक्षता केलिए शुभकामनाएं देते हुए ब्राजील को उनकी जी-20 प्रेसीडेंसी की सफलता केलिए भारत के भी पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत केलिए गर्व की बात हैकि उसकी प्रेसीडेंसी में अफ्रीका को आवाज़ मिली है, इस एक साल में दुनिया ने जी-20 में ग्लोबल साउथ की गूंज भी सुनी है और पिछले हफ्ते वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में करीब-करीब 130 देशों ने नई दिल्ली जी-20 समिट में लिए गए फैसलों की मन से सराहना की है, जी-20 ने इनोवेशन और डिजिटल प्रौद्योगिकी का समर्थन करते हुए मानव केंद्रित अप्रोच को अपनाने पर बल दिया है, जी-20 ने बहुपक्षीय में फिरसे विश्वास बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने मिलकर बहुपक्षीय विकास बैंक और ग्लोबल गवर्नेंस रिफॉर्म को दिशा दी है, इनके साथ ही भारत की प्रेसिडेंसी में जी-20 को पीपल्स-20 की पहचान मिली है, भारत के करोड़ों सामान्य नागरिक जी-20 से जुड़े और हमने इसे एक पर्व की तरह मनाया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब उन्होंने इस वर्चुअल समिट का प्रस्ताव रखा था तो कोई पूर्वानुमान नहीं थाकि आजकी वैश्विक स्थिति कैसी होगी, पिछले महीनों में नई चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं, पश्चिम एशिया क्षेत्र में असुरक्षा और अस्थिरता की स्थिति हम सबके लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहाकि आज हमारा एकसाथ आना इस बात का प्रतीक हैकि हम सभी मुद्दों केप्रति संवेदनशील हैं और इनके समाधान केलिए एकसाथ खड़े हैं। उन्होंने कहाकि हम मानते हैंकि आतंकवाद हम सभी को अस्वीकार्य है, नागरिकों की मौत कहीं भी हो निंदनीय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर हमास और इजरायल के बीच जारी भीषण जंग का उल्लेख किया और इस बीच बंधकों की रिहाई के समाचार का स्वागत किया और उम्मीद कीकि सभी बंधक जल्दी रिहा हो जाएंगे। उन्होंने कहाकि मानवीय सहायता का समय से और निरंतर पहुंचाना आवश्यक है, यह सुनिश्चित करना भी जरूरी हैकि इजराइल और हमास की लड़ाई किसी तरह का क्षेत्रीय रूप धारण न कर ले। उन्होंने कहाकि आज संकटों के जो बादल हम देख रहे हैं, एक परिवार में वह ताकत हैकि हम शांति केलिए काम कर सकते हैं, मानवीय कल्याण के दृष्टिकोण से हम आतंकवाद और हिंसा के विरुद्ध एवं मानवता केप्रति अपनी आवाज़ बुलंदकर सकते हैं, विश्व की मानवता की इस अपेक्षा की पूर्ति केलिए भारत कदम से कदम मिलाकर चलने केलिए तत्पर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि 21वीं सदी के विश्व को आगे बढ़ते हुए ग्लोबल साउथ की चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी, ग्लोबल साउथ के देश ऐसी अनेक कठिनाइयों से गुज़र रहे हैं, जिनके लिए वे ज़िम्मेदार नहीं है, इस संदर्भ में समय की मांग हैकि हम विकास एजेंडे को अपना पूर्ण समर्थन दें। उन्होंने कहाकि ये जरूरी हैकि ग्लोबल इकॉनॉमिक और शासन संरचनाएं बड़ी, बेहतर, प्रभावी, प्रतिनिधि और भविष्य केलिए तैयार हों, उनमें रिफॉर्म्स लाएं जाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जरूरतमंद देशों को समय से और आसान दरों पर सहायता सुनिश्चित करें, 2030 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स में तेजी लाने केलिए अपनाई गई कार्य योजना को इम्प्लिमेंट करें। उन्होंने जिक्र कियाकि भारत में लोकल लेवल पर एसडीजी में प्रगति का एक उत्तम उदाहरण है हमारा आकांक्षी जिला प्रोग्राम और जी-20 देशों, ग्लोबल साउथ को आकांक्षी जिला प्रोग्राम के अध्ययन केलिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहाकि इस एक अभियान ने भारत के 25 करोड़ लोगों का जीवन बदल दिया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि नई दिल्ली समिट में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना रिपॉजिटरी बनाने का निर्णय लिया था, यह रिपॉजिटरी तैयार हो गई है, इसमें 16 देशों के 50 से भी ज्यादा डीपीआई जुड़ गए हैं, ग्लोबल साउथ के देशों में डीपीआई इम्प्लिमेंट करने केलिए उन्होंने सामाजिक प्रभाव निधि स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, भारत की ओर से इसमें 25 मिलियन डॉलर की प्रारंभिक राशि भी जोड़ने की घोषणा की एवं उम्मीद कीकि सभी इस पहल से जुड़ेंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में टेक्नॉलॉजी को जिम्मेदार तरीके से उपयोग में लाने की जरूरत है, दुनिया में एआई के नेगेटिव उपयोग को लेकर चिंता बढ़ रही है और भारत की स्पष्ट सोच हैकि एआई के वैश्विक रेग्यूलेशन को लेकर हमें मिलकर काम करना चाहिए।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि डीपफेक समाज, व्यक्ति के लिए कितना खतरनाक है, इसकी गंभीरता को समझते हुए हमें आगे बढ़ना होगा, हम चाहते हैंकि एआई को लोगों तक पहुंचना चाहिए और यह समाज केलिए सुरक्षित होना चाहिए, इसी अप्रोच केसाथ भारत में अगले महीने ग्लोबल एआई पार्टनरशिप समिट आयोजित की जारही है। उन्होंने कहाकि नई दिल्ली समिट में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के संबंध में हरित श्रेय की बात रखी थी, भारत में हमने इसकी शुरुआत कर दी है, नई दिल्ली में लॉंच किए गए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के जरिये हम कार्बन को कम करने केसाथ वैकल्पिक ईंधन के विकास को भी बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहाकि जी-20 ने प्रो-प्लैनेट दृष्टिकोण मिशन लाइफ यानी पर्यावरण केलिए जीवनशैली को मान्यता दी है। उन्होंने 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी को तीन गुना तक ले जाने का आह्वान किया और स्वच्छ हाइड्रोजन केप्रति प्रतिबद्धता दिखाई है। उन्होंने कहाकि जलवायु वित्त को बिलियन से ट्रिलियन ले जाने की जरूरत को पहचाना है, कुछ दिनों में यूएई में हो रहे कोप-28 के दौरान इन सभी पहलों पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।