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Monday 27 November 2023 02:20:41 PM
लेह। केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि लद्दाख में हानले में शीघ्र ही दक्षिण पूर्व एशिया का पहला नाइट स्काई अभयारण्य होगा, जिसकी स्थापना भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान बेंगलुरु के सहयोग से की जा रही है, जो भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से संबद्ध है। उन्होंने इस परियोजना में लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीडी मिश्रा के सक्रिय सहयोग केलिए उनकी सराहना की। केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहाकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की ओर से वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हानले में नाइट स्काई रिज़र्व का उद्घाटन करने का अनुरोध करेंगे।
केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख की स्थापना की चौथी वर्षगांठ पर आयोजित प्रदर्शनी लद्दाख प्राईड का उद्घाटन करने के बाद जनसभा को संबोधित किया। प्रदर्शनी का आयोजन मुख्य कार्यकारी पार्षद (सीईसी) ताशी ग्यालसन की पहल पर लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह ने किया था। यह डार्क स्काई रिज़र्व पूर्वी लद्दाख के हानले गांव मे चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के एक हिस्से के रूपमें स्थित होगा। यह भारत में खगोल-पर्यटन को बढ़ावा देगा और ऑप्टिकल, इन्फ्रा-रेड और गामा-रे दूरबीनों केलिए दुनिया के सबसे शीर्षस्थ स्थानों में से एक होगा। यह करीब 1073 वर्ग किलोमीटर में फैले चांगथांग में भारतीय खगोलीय वेधशाला है जिसके निकट हानले में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान का दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा ऑप्टिकल टेलीस्कोप 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि ऐसे समय में जब देश चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 सौर मिशन की सफलता का उत्सव मना रहा है, यह डार्क स्काई रिज़र्व दुनिया में अपनी तरह के केवल 15 या 16 रिज़र्व में से एक होने के कारण खगोलज्ञों को आकर्षित करेगा। केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहाकि डार्क स्पेस रिज़र्व का शुभांरभ करने केलिए केंद्रशासित प्रदेश (यूटी) प्रशासन, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने कहाकि इस स्थान पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप के माध्यम से स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करने वाली गतिविधियां होंगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने लद्दाख के बाहर लद्दाख प्राईड प्रदर्शनी आयोजित करने के लिए लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद-लेह (एलएएचडीसी) की सराहना की। प्रदर्शनी में लद्दाख के जीआई-टैग किए गए खजाने-सीबकथॉर्न, रकत्से कारपोप्रिकॉट्स, लद्दाख की लकड़ी की नक्काशी और पश्मीना ऊन को प्रदर्शित किया गया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) लेह बेरी को प्रोत्साहन दे रहा है, जो ठंडे रेगिस्तान का एक विशेष खाद्य उत्पाद है। मई 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लद्दाख यात्रा का उल्लेख करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री ने यहां के किसानों निवासियों को सीबकथॉर्न की व्यापक खेती की प्रभावशाली सलाह दी है, जो 'लेह बेरी' का स्रोत है। उन्होंने कहाकि यहां 15,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर तीन औषधीय पौधों की व्यावसायिक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, इसमें 'संजीवनी बूटी' शामिल है, जिसे स्थानीय रूपसे 'सोला' के नाम से जाना जाता है, जिसमें दुर्लभ जीवन रक्षक और चिकित्सीय गुण हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि परमाणु ऊर्जा विभाग फलों और सब्जियों के संरक्षण/ शेल्फ जीवन विस्तार केलिए गामा विकिरण प्रौद्योगिकी केलिए यहां सुविधाएं स्थापित करेगा। उन्होंने यह प्रसन्नता की बात हैकि लद्दाख की खुबानी अब दुबई को निर्यात की जा रही है।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख और देश के अन्य दूरवर्ती क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं, उनके कार्यकाल में पहलीबार लद्दाख को एक विश्वविद्यालय, होटल प्रबंधन संस्थान, एक चिकित्सा और एक इंजीनियरिंग महाविद्यालय प्रदान किया गया है। प्रधानमंत्री की लद्दाख केलिए घोषित कार्बन न्यूट्रल परियोजना का उल्लेख करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि लद्दाख केलिए 50 करोड़ रुपये के विशेष विकास पैकेज के साथ पहलीबार कोई केंद्र सरकार क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं के वित्तपोषण में इतनी उदार रही है। उन्होंने कहाकि यह अपनी तरह का पहला रोडमैप है जो विशेष रूपसे लद्दाख प्रदेश को समर्पित है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने केलिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने लेह में एक विशेष परीक्षा केंद्र स्थापित किया है। एसएससी (कर्मचारी चयन आयोग), आरआरबी (रेलवे भर्ती बोर्ड) और आईबीपीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनेल सेलेक्शन) के माध्यम से सरकारी क्षेत्र में नौकरियों केलिए लेह और कारगिल में सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) भी आयोजित की जा रही है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह न केवल एक महत्वपूर्ण शासन सुधार है, बल्कि दूरस्थ और अलग क्षेत्रों में रहने वाले महत्वाकांक्षी युवाओं केलिए नौकरी हेतु एक बड़ा सामाजिक सुधार है। डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले साल से सर्दियों के मौसम में पर्यटक आकर्षण के रूपमें बर्फ की मूर्तिकला को बड़े पैमाने पर लद्दाख में पेश किया गया है, जिससे स्थानीय लोगों केलिए रोज़गार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। यह रेखांकित करते हुएकि लद्दाख भारत का सबसे युवा केंद्र शासित प्रदेश है और यह भारत की सबसे पुरानी सभ्यता भी है, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि बौद्ध लामाओं की यह भूमि एक शांतिप्रिय क्षेत्र है, लेकिन राजनीतिक और अन्य उथल-पुथल के इतिहास से जूझ रहा है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 31 अक्टूबर 2019 को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का गठन करके लद्दाखी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया। उन्होंने कहाकि यद्यापि लद्दाख बौद्ध संघ के पहले प्रतिनिधिमंडल ने 1949 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात कर सुदूर क्षेत्र के लिए अलग केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मांगा था, लेकिन यह सपना केवल सात दशक बाद प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरा हुआ। एलएएचडीसी-लेह के कार्यकारी पार्षद (अल्पसंख्यक/ वन) गुलाम मेहदी ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे।