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Saturday 2 December 2023 01:50:18 PM
तिरुवनंतपुरम। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आधुनिक गैर संचारी और जीवनशैली संबंधी बीमारियों को रोकने में किफायती, विश्वसनीय, गैर आक्रामक, प्रभावकारी और संपूर्ण समाधान के रूपमें जीवन में आयुर्वेद को अपनाने की सलाह दी है। उन्होंने आयुर्वेद की भूमिका एवं प्रभावशीलता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि आयुर्वेद एक स्थायी और न्यायसंगत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के वैश्विक आह्वान केसाथ सहजता से मेल खाता है। तिरुवनंतपुरम में पांचवे वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि आयुर्वेद बीमारियों के इलाज से कहीं आगे जाता है, क्योंकि इसमें कल्याण और भलाई केलिए एक व्यापक दृष्टिकोण शामिल है। आयुष्मान भारत योजना में देश में आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित करने केलिए आयुष मंत्रालय की सराहना करते हुए उन्होंने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और जोर दियाकि चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों के व्यापक उपयोग से भारत को दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंच और वितरण में सुधार करके सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्राचीन चिकित्सा परंपरा में सहस्राब्दियों से चली आरही ज्ञान और अभ्यास की व्यापक विरासत को स्पष्ट करते हुए कहाकि अथर्ववेद, चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे ग्रंथ मानव शरीर, उसके कष्टों और आयुर्वेद के भीतर गहराई से अंतर्निहित चिकित्सीय सिद्धांतों पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। उपराष्ट्रपति ने टिप्पणी कीकि इसमें कोई संदेह नहीं हैकि कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, चाहे वह कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो, अगर कोई स्वस्थ नहीं है तो वह समाज के विकास में योगदान नहीं दे सकता है। उपराष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के महत्व पर जोर देते हुए योग को दुनिया को भारत का उपहार बताया। उन्होंने कहाकि यह भेदभावपूर्ण नहीं है, इसकी व्यापक स्वीकार्यता है, क्योंकि यह भारतीय लोकाचार में है, इसमें भारत सॉफ्टपावर के रूपमें भी उभरा है, जिससे लोगों को हमारी संस्कृति की गहराई, हमारे पास मौजूद समृद्धि के बारेमें पता चलता है। यह याद करते हुएकि कोविड महामारी ने आयुर्वेद की फिरसे खोज की है उन्होंने कहाकि भारतभर में ऐसे लोग थे, जो बीमारी से लड़ने में आयुर्वेद की प्रभावशीलता के बारेमें जानकार थे और उन्होंने मानवता की महान सेवा की।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि टेलीमेडिसिन और डिजिटल प्लेटफॉर्म से आयुष की उपलब्धता का विस्तार करने से बीमारियों से निपटने में मदद मिली है। उपराष्ट्रपति ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने केलिए केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों की सराहना करते हुए एक समर्पित आयुष मंत्रालय की स्थापना, राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आयुर्वेद के एकीकरण को आयुर्वेद की उन्नति एवं मुख्यधारा स्वास्थ्य सेवा में इसके एकीकरण केलिए सरकार की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूपमें सराहा। बीमारियों के इलाज से परे इस प्राचीन चिकित्सा विज्ञान पर उपराष्ट्रपति ने कहाकि इसमें कल्याण और भलाई केलिए व्यापक दृष्टिकोण शामिल है। आयुर्वेद को जीवन का एकमात्र विज्ञान बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह प्राचीन उपचार प्रणाली आपकी आत्मा, दिमाग और शरीर के कार्य करने के तरीके को एकसाथ रखती है और आपको एक संपूर्ण व्यक्ति बनने में मदद करती है। आयुर्वेद की गैर आक्रामकता और स्वाभाविक रूपसे सामर्थ्य के बारेमें बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह प्रकृति से जुड़ा हुआ है, यह हमें प्रकृति के महत्व का एहसास कराता है, जिसे हमने वर्षों से नष्टकर दिया है, हम इसपर वापस लौटने की कोशिश कर रहे हैं।
केरल को आयुर्वेदिक उत्कृष्टता का उद्गम स्थल बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव ने 2012 से आयुर्वेद की स्थायी विरासत के प्रतीक के रूपमें काम किया है। उन्होंने कहाकि विश्वभर से विशेषज्ञों, चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं का एकसाथ आना बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और मानवता के स्वास्थ्य आधार को आकार देने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। वेलनेस टूरिज्म जहां वैश्विक यात्री ताजगी, शांति, सांत्वना और आत्म खोज की तलाश करते हैं पर उपराष्ट्रपति ने कहाकि इसके लिए उन्हें जो एकमात्र स्थान उपयुक्त, तत्काल उपयुक्त लगता है, वह हमारा भारत है। उन्होंने कहाकि भारत में कल्याण पर्यटन केलिए एक समग्र दृष्टिकोण को समाहित करता है, जो प्रकृति की शांत सुंदरता केसाथ आयुर्वेद जैसी पारंपरिक प्रथाओं को सहजता से जोड़ता है। आयुर्वेदिक पर्यटन केलिए पसंदीदा गंतव्य के रूपमें केरल पर ध्यान देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि राज्य कल्याण पर्यटन को आकर्षित करने की दिशा में बड़े बदलाव का केंद्र बन सकता है। केरल की हरी-भरी हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त करते हुए कहाकि आयुर्वेद का कालातीत ज्ञान एक ऐसी दुनिया का मार्ग प्रशस्त करे, जहां स्वास्थ्य और कल्याण केवल विशेषाधिकार न रह जाए, बल्कि सभी केलिए मौलिक अधिकारों के रूपमें पहचाना जाए। इस कार्यक्रम में भारत सरकार के विदेश और संसदीय मामलों के राज्यमंत्री वी मुरलीधरन, सांसद शशि थरूर, केरल सरकार के परिवहन मंत्री एंटनी राजू और गणमान्य नागरिक शामिल हुए।