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Saturday 2 December 2023 04:21:06 PM
नागपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 111वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि उन्हें खुशी हैकि राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने अपनी 100 वर्ष की शैक्षिक यात्रा के दौरान शिक्षा के उच्च मानकों की स्थापना की है। राष्ट्रपति ने एक शताब्दी से विदर्भ क्षेत्र में शिक्षा के प्रचार-प्रसार केलिए राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से जुड़े सभी पूर्व और वर्तमान शिक्षकों एवं कर्मचारियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहाकि इस विश्वविद्यालय के पूर्व दीक्षांत समारोहों की गरिमा बढ़ाने वाले व्यक्तित्व में डॉक्टर एस राधाकृष्णन, डॉक्टर सीवी रमन, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सच्चिदानंद सिन्हा, सी राजगोपालाचारी, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू और डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन जैसे मूर्धन्य लोगों के नाम हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि विश्वविद्यालय की अपनी एक समृद्धशाली विरासत है, यहां के पूर्व विद्यार्थियों ने राजनीति, न्यायपालिका, विज्ञान और समाजसेवा जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान दिया है, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एम हिदायतुल्ला और जस्टिस शरद अरविंद बोबडे जैसे प्रख्यात लोग इस विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं और आज हमारे बीच विश्वविद्यालय के दो पूर्व छात्र इस मंच पर भी उपस्थित हैं-नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, दोनों पर न केवल विश्वविद्यालय, बल्कि महाराष्ट्र और भारतभर को गर्व है। राष्ट्रपति ने कहाकि अनुसंधान और नवोन्मेषण किसीभी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हैकि राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय अनुसंधान, नवोन्मेषण और प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने कहाकि विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों को भारतीय पेटेंट कार्यालय ने 60 से अधिक पेटेंट प्रदान किए हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि छात्रों केबीच स्टार्ट-अप संस्कृति को प्रोत्साहित करने केलिए विश्वविद्यालय में एक इन्क्यूबेशन सेंटर है। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों से स्थानीय समस्याओं एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान एवं नवोन्मेषण करने तथा उन नवोन्मेषणों को लागू करने का भी आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहाकि आज पूरा विश्व एक वैश्विक गांव है, कोईभी संस्था दुनिया से कटी नहीं रह सकती। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से अंतरविषयक अध्ययन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहाकि अनुसंधान और नवोन्मेषण को एक-दूसरे केसाथ साझा करके ही हम दुनिया के सामने आनेवाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। प्रौद्योगिकी के उपयोग की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि किसीभी संसाधन का उपयोग या दुरुपयोग किया जा सकता है, यही तथ्य प्रौद्योगिकी केसाथ भी लागू होता है, यदि हम इसका सदुपयोग करें तो यह देश और समाज केलिए लाभदायक होगा और यदि हम इसका दुरुपयोग करेंगे तो यह मानवता केलिए हानिकारक होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग हमारे जीवन को सुगम बना रहा है, लेकिन डीपफेक केलिए इसका इस्तेमाल समाज केलिए खतरा है। उन्होंने कहाकि नैतिक शिक्षा हमें रास्ता दिखा सकती है। छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि औपचारिक डिग्री प्राप्त करना शिक्षा का अंत नहीं है, उन्हें जिज्ञासु रहना चाहिए और सीखते रहना चाहिए। उन्होंने कहाकि आज जब प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजीसे परिवर्तन हो रहे हैं तो लगातार सीखते रहना और भी आवश्यक हो जाता है। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहाकि वे देश और समाज की परिसंपत्ति हैं, भारत का भविष्य उनके कंधों पर है, जीवन में विपरीत परिस्थितियां आ सकती हैं, लेकिन उन्हें इनसे भयभीत नहीं होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने ज्ञान और आत्मविश्वास केसाथ उन परिस्थितियों का सामना करने, अपने प्रियजनों केसाथ जुड़े रहने और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखने की सलाह दी।