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Wednesday 13 December 2023 12:19:46 PM
लखनऊ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) लखनऊ के बीटेक, एमटेक, एमबीए और पीजी डिप्लोमा सहित विभिन्न शैक्षणिक पृष्ठभूमि में डिग्री प्राप्त करने वाले 315 विद्यार्थियों के दूसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उनको उनके उज्ज्वल भविष्य केलिए शुभकामनाएं और बधाई दी। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर अपने संबोधन की शुरूआत संस्थान के लोगो-विद्यां ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्, पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम् के उल्लेख और उसके भावार्थ से की। उन्होंने इस श्लोक का भावार्थ किया जिसका अर्थ हैकि विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है, पात्रता से धन आता है, धन से धर्म होता है और धर्म से सुख प्राप्त होता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आशा व्यक्त कीकि सभी छात्र अपने संस्थान के इस आदर्श वाक्य के अनुकूल आचरण करते हुए नैतिकता केसाथ समाज और देशके सशक्त एवं समृद्ध भविष्य केलिए कार्य करेंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि आईआईआईटी लखनऊ को संसद के अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है, ये दर्जा यहां के छात्रों की योग्यता, सामर्थ्य और दक्षता का परिचायक है, इस प्रतिष्ठा केसाथ देश और समाज आपसे आशा करता हैकि आप शिक्षा के क्षेत्र में न केवल सर्वोच्च मानकों पर खरे उतरेंगे, बल्कि उत्कृष्टता और सर्वश्रेष्ठता के ऐसे आयाम स्थापित करेंगे जो स्वयं में मानदंड होंगे। उन्होंने कहाकि देश में इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और बिज़नेस जैसे विषयों में आईआईआईटी द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षा, शिक्षक और सभी विद्यार्थी शैक्षणिक जगत के शीर्षतम पायदान पर खड़े हैं। उन्होंने कहाकि भारतीय परंपरा को बुनियाद बनाकर क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञान अर्जित करने की आईआईआईटी की सोच एक सकारात्मक कदम है, यह कदम भाषाई सीमाओं की वजह से ज्ञान संवर्द्धन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में बड़ा कदम साबित होगा। राष्ट्रपति ने कहाकि अनुसंधान एवं विकास को कार्यकारी एवं मूर्तरूप देकर उसे समाज तक पहुंचाने एवं वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के समाधान के योग्य बनाने केलिए इन्क्यूबेशन सेंटर सीआरईएटीई की स्थापना सराहनीय एवं प्रशंसनीय कदम है, यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इसके अनुप्रयोगों पर केंद्रित पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को नए तकनीकी परिदृश्य में नेविगेट करने केलिए आवश्यक कौशल प्रदान करता है।
राष्ट्रपति ने खुशी व्यक्त कीकि आईआईआईटी लखनऊ समाज एवं उद्योग जगत के सामने आनेवाली चुनौतियों के निदान एवं समय के साथ उपजी मांगों केलिए विद्यार्थियों को तैयार करने केलिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहाकि यहां की दूरदर्शिता एवं कल्पनाशीलता का यह सबसे अच्छा उदाहरण हैकि आईआईआईटी लखनऊ देश का पहला संस्थान है, जिसने नई शिक्षानीति के विजन को ध्यान में रखते हुए डिजिटल बिज़नेस के लिए एमबीए प्रोग्राम शुरू किया है, यह पहल विद्यार्थियों को न केवल डिजिटल युग केलिए तैयार करने में सहायक साबित हुई है, बल्कि डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुकूल भी है। राष्ट्रपति ने कहाकि आज भारत की विकास यात्रा 5डी-डिमांड, डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी, डिज़ायर और ड्रीम आधारित है, हमारी अर्थव्यवस्था जो एक दशक पहले 11वें स्थान पर थी, आज इससे 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है और यह वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर अग्रसर है। उन्होंने कहाकि भारत एक प्रगतिशील और लोकतांत्रिक राष्ट्र है, हमारा यह सपना हैकि भारत वर्ष 2047 तक एक विकसित देश बने। उन्होंने कहाकि आईआईआईटी लखनऊ केसभी छात्रों की जिम्मेदारी हैकि वे न केवल इस विजन के भागीदार बनें, बल्कि इसे पूरा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान भी दें।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि परिवर्तन प्रकृति का नियम है, हम चौथी औद्योगिक क्रांति की शुरुआत देख रहे हैं, मानव जीवन को आसान बनाने और उत्पादकता बढ़ाने केलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक महत्वपूर्ण उपकरण सिद्ध हो रही है, अपने व्यापक अनुप्रयोगों केसाथ एआई और मशीन लर्निंग हमारे जीवन के लगभग सभी पहलुओं को छू रहे हैं। उन्होंने कहाकि स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, स्मार्ट सिटी, बुनियादी ढांचे, स्मार्ट गतिशीलता और परिवहन जैसे सभी क्षेत्रों में एआई और मशीन लर्निंग बड़े पैमाने पर हमारी दक्षता और कार्य क्षमता में सुधार के कई अवसर प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि भारत न केवल चौथी औद्योगिक क्रांति से भी आगे निकल गया है, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और ब्लॉकचेन जैसी नई प्रौद्योगिकियों के वैश्विक केंद्र के रूपमें भी उभर रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि एआई और अन्य समकालीन प्रौद्योगिकी विकास असीमित और अभूतपूर्व विकासात्मक और परिवर्तनकारी संभावनाएं प्रस्तुत कर रहे हैं, लेकिन यह आवश्यक हैकि पहले एआई के इस्तेमाल से पैदा होने वाली नैतिक दुविधाओं का समाधान किया जाए, चाहे वो स्वचालन के कारण उत्पन्न हुई रोज़गार की समस्या हो या आर्थिक असमानता की बढ़ती हुई खाई हो या एआई से उत्पन्न मानवीय पूर्वाग्रह हों, हमें इन सभी समस्याओं का रचनात्मक समाधान करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहाकि हमें यह भी सुनिश्चित करना होगाकि हम 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' के साथ-साथ 'इमोशनल इंटेलिजेंस' को भी महत्व दें, हमें यह स्मरण रखना होगाकि एआई एक साध्य नहीं, बल्कि एक साधन होना चाहिए, जिसका उद्देश्य मानव जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि हमारे हर निर्णय से सबसे निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति को भी लाभ मिलना चाहिए। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, संस्थान के पदाधिकारी, शिक्षक और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे।