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बनारस विकास के अद्वितीय पथ पर-मोदी

'स्वर्वेद महामंदिर योग और ज्ञान तीर्थ का आधुनिक प्रतीक'

काशी के उमराहा में स्वर्वेद महामंदिर का लोकार्पण किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 18 December 2023 04:55:24 PM

swaraveda mahamandir inaugurated in umrah of kashi

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाराणसी के उमराहा में स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन किया और महर्षि सदाफल देव महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की एवं मंदिर परिसर का भी भ्रमण किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए काशी के कायाकल्प में सरकार, समाज और संत समाज के सामूहिक प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने स्वर्वेद महामंदिर को इस सामूहिक भावना का प्रतीक बताया और यह मंदिर दिव्यता केसाथ-साथ भव्यता का भी एक सुंदर उदाहरण है। उन्होंने कहाकि स्वर्वेद महामंदिर भारत की सामाजिक और आध्यात्मिक ताकत का एक आधुनिक प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने इस मंदिर की सुंदरता और आध्यात्मिक समृद्धि का उल्लेख करते हुए इसे 'योग और ज्ञान तीर्थ' बताया। उन्होंने भारत के आर्थिक, भौतिक और आध्यात्मिक गौरव को स्मरण करते हुए कहाकि भारत ने कभीभी भौतिक प्रगति को भौगोलिक विस्तार या शोषण का माध्यम नहीं बनने दिया। उन्होंने कहाकि हमने आध्यात्मिक और मानवीय प्रतीकों के माध्यम से भौतिक प्रगति की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवंत काशी, कोणार्क मंदिर, सारनाथ, गया स्तूप और नालंदा तथा तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों के उदाहरण दिए। उन्होंने कहाकि इन आध्यात्मिक संरचनाओं के आसपास भारत की वास्तुकला अकल्पनीय ऊंचाइयों तक पहुंची है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह भारत की आस्था के प्रतीक ही थे, जिन्हें विदेशी आक्रमणकारियों ने निशाना बनाया था और स्वतंत्रता केबाद इन्हें पुनर्जीवित करने की आवश्यकता थी। किसी की विरासत पर गर्व न करने के पीछे छिपी विचार प्रक्रिया पर खेद जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि ऐसे प्रतीकों के पुनरुद्धार से देश की एकता मजबूत होती है। उन्होंने सोमनाथ मंदिर का उदाहरण दिया, जो आजादी केबाद दशकों तक उपेक्षित रहा, जिससे देश में हीनता की भावना पैदा हुई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि समय का चक्र आज फिर घूम गया है, आज भारत अपनी विरासत पर गर्व कर रहा है और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का शंखनाद कर रहा है। उन्होंने कहाकि सोमनाथ में जो काम शुरू हुआ था, वह अब एक पूर्ण अभियान में बदल गया है। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकाल महालोक, केदारनाथ धाम और बुद्ध सर्किट के उदाहरण दिए। उन्होंने श्रीराम सर्किट पर चल रहे काम का भी उल्लेख किया और कहाकि जल्दही अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भी उद्घाटन होने वाला है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि आज उनकी काशी यात्रा का दूसरा दिन है, काशी में बिताया गया हर पल अभूतपूर्व अनुभवों से भरा रहा है। दो साल पहले अखिल भारतीय विहंगम योग संस्थान के वार्षिक समारोह का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के शताब्दी समारोह का हिस्सा बनने का अवसर प्राप्त होने पर आभार व्यक्त किया और कहाकि विहंगम योग साधना ने अपनी सौ वर्ष की अविस्मरणीय यात्रा पूरी की है। प्रधानमंत्री ने पिछली शताब्दी में ज्ञान और योग के बारेमें महर्षि सदाफल देव के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहाकि उनके दिव्य प्रकाश ने दुनिया के लाखों लोगों के जीवन को परिवर्तित कर दिया है। प्रधानमंत्री ने 25,000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के आयोजन का ज्रिक किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि महायज्ञ की प्रत्येक आहुति विकसित भारत के संकल्प को मजबूत बनाएगी। उन्होंने महर्षि सदाफल देव की प्रतिमा के समक्ष शीश झुकाया और उनके दर्शन को बढ़ावा देने वाले सभी संतों कोभी सम्मान दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि समग्र विकास तभी संभव होगा, जब कोई राष्ट्र अपनी सामाजिक वास्तविकताओं और सांस्कृतिक पहचान को इसमें शामिल करे। उन्होंने कहाकि यही कारण हैकि आज हमारे तीर्थों का कायाकल्प हो रहा है और भारत आधुनिक बुनियादी ढांचे के सृजन के नए रिकॉर्ड बना रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात को स्पष्ट करने केलिए काशी का उदाहरण लिया, जहां पर पिछले सप्ताह नए काशी विश्वनाथ धाम परिसर के काम पूरा होने के दो वर्ष पूरे हुए है, इसमें शहर में अर्थव्यवस्था और नौकरियों की उपलब्धता को नई गति प्रदान की है। प्रधानमंत्री ने बेहतर कनेक्टिविटी का विवरण देते हुए कहाकि अब बनारस का अर्थ-आस्था, स्वच्छता और परिवर्तन के साथ विकास और आधुनिक सुविधाएं है। उन्होंने सड़कों की 4-6 लेनिंग, रिंग रोड, रेलवे स्टेशन का उन्नयन, नई ट्रेनें, समर्पित माल ढुलाई गलियारा, गंगा घाटों का नवीनीकरण, गंगा क्रूज, आधुनिक अस्पताल, नई और आधुनिक डेयरी, गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती, युवाओं केलिए प्रशिक्षण संस्थान और सांसद रोज़गार मेलों के माध्यम से नौकरियों का उल्लेख किया। आध्यात्मिक यात्राओं को और अधिक सुलभ बनाने के लिए आधुनिक विकास की भूमिका का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने स्वर्वेद मंदिर की उत्कृष्ट कनेक्टिविटी का उल्लेख किया, जो वाराणसी शहर के बाहर है। उन्होंने कहाकि यह बनारस आनेवाले श्रद्धालुओं केलिए एक प्रमुख केंद्र के रूपमें उभरेगा, जिससे आसपास के गांव में व्यापार और रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि विहंगम योग संस्थान आध्यात्मिक कल्याण केलिए भी उतनाही समर्पित है, जितनाकि यह समाज सेवा केलिए है। उन्होंने कहाकि महर्षि सदाफल देव एक योग भक्त संत होने केसाथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे, उन्होंने स्वतंत्रता केलिए लड़ाई लड़ी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृतकाल में अपने संकल्पों को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने 9 संकल्प रखे और लोगों से उनका अनुपालन करने का आग्रह किया। सबसे पहले प्रधानमंत्री ने पानी बचाने और जल संरक्षण के बारेमें जागरुकता पैदा करने का उल्लेख किया, दूसरा-डिजिटल लेनदेन के बारे में जागरूकता पैदा करना, तीसरा-गांवों, मोहल्लों और शहरों में स्वच्छता के प्रयासों को बढ़ाना, चौथा-भारत में बने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और उनका उपयोग करना, पांचवां-भारत की यात्रा और अन्वेषण, छठा-किसानों केबीच प्राकृतिक खेती के बारेमें जागरुकता बढ़ाना, सातवां-मोटे अनाज या श्रीअन्न को अपने दैनिक जीवन में शामिल करना, आठवां-खेल, फिटनेस या योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाना और भारत से ग़रीबी मिटाने केलिए कम से कम एक ग़रीब परिवार की सहायता करना। प्रधानमंत्री ने प्रत्येक धार्मिक नेता से विकसित भारत संकल्प यात्रा के बारेमें जागरुकता फैलाने का आग्रह किया। इस यात्रा में कल शाम प्रधानमंत्री की भागीदारी रही। उन्होंने निष्कर्ष निकालाकि यह हमारा व्यक्तिगत संकल्प बनना चाहिए। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री नरेंद्रनाथ पांडे, सद्गुरु आचार्य स्वतंत्रदेव महाराज और संत प्रवर विज्ञानदेव महाराज भी उपस्थित थे।

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