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Saturday 6 January 2024 04:45:20 PM
हरिद्वार। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आह्वान किया हैकि देश में न केवल आधुनिक शिक्षा प्रदान की जाए, बल्कि भारत की नैतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने केलिए और अधिक गुरुकुल स्थापित किए जाने चाहिएं। रक्षामंत्री ने आज हरिद्वार में स्वामी दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय में 'गुरुकुलम एवं आचार्यकुलम' की आधारशिला रख रहे थे। उन्होंने कहाकि ऐसे समय में जब विदेशी संस्कृति के अनुकरण के कारण नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, युवाओं को नैतिक मूल्यों के समावेश केसाथ आधुनिक शिक्षा प्रदान करने केलिए यह दायित्व निभाने केलिए गुरुकुल आगे आएं। गौरतलब हैकि लगभग 1,000-1,500 वर्ष पूर्व भारत में कई बड़े विश्वविद्यालय थे, जिनमें गुरुकुल परंपरा प्रचलित थी। दुर्भाग्य से उसके बाद देश ने विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा उस व्यवस्था को लगभग नष्ट होते हुए देखा। आक्रांताओं ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की जो हमारे युवाओं को देश की सांस्कृतिक भावना के अनुरूप शिक्षा प्रदान नहीं करती थी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारतीय संस्कृति को कमतर आंका गया गया, इस भावना ने न केवल हमें राजनीतिक रूपसे, बल्कि मानसिक रूपसे भी प्रभावित किया। रक्षामंत्री ने कहाकि उस दौरान स्वामी दर्शनानंद ने इस गुरुकुल की स्थापना की, जो तत्कालीन समय से हमारी युवा पीढ़ियों को ज्ञान और संस्कृति के माध्यम सेदीप्तिमान कर रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उल्लेख करते हुए राजनाथ सिंह ने प्राथमिक शिक्षा से ही युवाओं के मन में नैतिक मूल्यों को विकसित करने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहाकि देशभर के कई शिक्षण संस्थानों में नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है, यह प्रक्रिया लंबी है, क्योंकि शिक्षा व्यवस्था में कोई भी परिवर्तन अचानक नहीं होता। उन्होंने कहाकि गुरुकुल इस लंबी प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि गुरुकुल यह आभास व्यक्त करते हैंकि वे केवल शिक्षा की प्राचीन पद्धतियों का पालन करते हैं, लेकिन आज के समय में वे बहुत प्रगति कर चुके हैं और आधुनिक हो गए हैं।
राजनाथ सिंह ने गुरुकुलों से आज के निरंतर विकसित हो रहे समय केसाथ तारतम्य बिठाते हुए पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसी उभरती और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अग्रसर होने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि ऐसी प्रौद्योगिकियां विकसित करें जो देश को इस क्षेत्र में अग्रणी बनाएं। उन्होंने कहाकि गुरुकुलों को अन्य शिक्षण संस्थानों केलिए मार्गदर्शक के रूपमें कार्य करना चाहिए, आने वाले समय में वे एकबार फिर देश और उसकी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करें और भारत की नई पहचान बनें। राजनाथ सिंह ने देश में सांस्कृतिक विकास में गुरुकुलों की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने सांस्कृतिक उत्थान की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बतायाकि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और महाकालेश्वर धाम से श्रीराम मंदिर तक बुनियादी ढांचागत विकास से पता चलता हैकि सरकार हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और उसके उत्थान की दिशा में कार्यरत है। उन्होंने कहाकि यह विचार सांस्कृतिक संरक्षण से भी आगे जाता है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस महान देश की संस्कृति पर गर्व कर सकें।
रक्षामंत्री ने कहाकि गुरुकुल इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। रक्षामंत्री ने योग के बारेमें विशेष उल्लेख किया और बतायाकि कैसे इसके हितकारी होने के कारण संपूर्ण विश्व ने प्राचीन भारतीय पद्धति का अनुसरण किया है। उन्होंने कहाकि भारत वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा का पालन करता है और हमारे ज्ञान का विशाल भंडार पूरी दुनिया को समर्पित है। उन्होंने कहाकि योग की इस प्रथा को कभी केवल भारत तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन अब इसे विश्वस्तर पर लोगों ने स्वीकार किया है, अब योग प्रणाली विश्व के लोगों के दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय साहित्य में संस्कृत के महत्वपूर्ण स्थान पर प्रकाश डालते हुए राजनाथ सिंह ने प्राचीन भारतीय भाषा को उसी तरह बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया, जिस प्रकार से योग को लोगों के लिए सुलभ बनाया गया था। इस अवसर पर योग गुरू रामदेव, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।