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जेएनयू को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा देने की मांग

केंद्रीय राज्यमंत्री से मिलीं जेएनयू कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित

जेएनयू में संचालित हैं जैव प्रौद्योगिकी और विज्ञान परियोजनाएं

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Thursday 11 January 2024 12:40:29 PM

jnu vice chancellor shantishree dhulipudi pandit met the minister of state

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने प्रधानमंत्री कार्यालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से भेंट की और उनसे जेएनयू को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा देने की मांग पर ध्यान देने का अनुरोध किया। गौरतलब हैकि प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित जेएनयू की पहली महिला कुलपति तो हैं ही वे जेएनयू की ही पहली पूर्व छात्र वीसी भी हैं। उन्होंने कहाकि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने हाल ही में युवाओं केलिए सीखने और रोज़गार सृजन के नए रास्ते पर ध्यान केंद्रित करते हुए आदर्श वाक्य 'तमसो माँ ज्योतिर्गमय' को अपनाया है। उन्होंने केंद्रीय राज्यमंत्री से स्टार्टअप सहयोग केसाथ उन शैक्षणिक परियोजनाओं पर चर्चा की, जिन्हें जेएनयू विशेष रूपसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग और सामान्य रूपसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से बढ़ावा दे रहा है। प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने केंद्रीय राज्यमंत्री को अपने कुलपति बनने केबाद विश्वविद्यालय में हुई नवीन गतिविधियों केसाथ ही परिसर में बुनियादी ढाचे के विकास और रोज़गार सृजन में प्रतिष्ठित संस्थान जेएनयू के उल्लेखनीय योगदान की भी जानकारी दी।
जेएनयू के प्रतिनिधिमंडल ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग से संचालित विश्वविद्यालय अंत: विषयक जीव विज्ञान विभागों को शिक्षा एवं अनुसंधान कार्य के प्रोत्साहन कार्यक्रम के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग से समर्थित जेएनयू की जैव प्रौद्योगिकी और विज्ञान एवं सामाजिक विकास परियोजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने अद्यतन उपकरण अनुसंधान सुविधा में उपलब्ध 25 परिष्कृत अत्याधुनिक उपकरणों पर भी प्रकाश डाला, जो जेएनयू विज्ञान स्कूलों केसाथ दिल्ली के बाहर अन्य शैक्षणिक अनुसंधान संस्थानों और निजी कंपनियों/ उद्योगों में अनुसंधान में अंतः विषय अनुप्रयोगों को पूरा करते हैं। शिक्षा जगत, स्टार्टअप और उद्योग केबीच एकीकृत दृष्टिकोण पर जोर देते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को दुनिया की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूपमें उभरने केलिए बीते कुछ वर्ष में पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है और जब नवाचार एवं प्रौद्योगिकी की बात आती है तो इसमें चहुमुखी प्रगति भी हुई है। उन्होंने कहाकि आज भारत वैज्ञानिक और तकनीकी कौशल के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने 'संपूर्ण विज्ञान' दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहाकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने बुनियादी ढांचे के विकास और रोज़गार को बढ़ावा देने केलिए भारत सरकार के वैज्ञानिक विभागों की संयुक्त मासिक बैठकें शुरू की हैं। उन्होंने कहाकि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बीआईआरएसी पीपीपी मॉडल के समर्थन से छात्रों केलिए अरोमा मिशन और कृषि स्टार्टअप केलिए जेएनयू के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज में अत्यधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहाकि अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत में छात्रों और युवाओं केलिए करियर और उद्यमिता के अवसर खोलने के आश्वासन केसाथ स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को पूरक बनाती है। प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने कहाकि जेएनयू का स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज स्नातकोत्तर कार्यक्रम में एनईपी को लागू करने वाला पहला संस्थान है, जबकि बीटेक कंप्यूटर साइंस कार्यक्रम छात्रों केबीच जबरदस्त सफलता के रूपमें उभरा है।
जेएनयू की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने यहभी उल्लेख कियाकि जेएनयू विश्वविद्यालय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के छात्रों को विषय व्याख्यान की सीधे जानकारी और रिकॉर्डेड वीडियो प्रदान कर रहा है और इसे अन्य संस्थानों के छात्रों को भी नि:शुल्क प्रदान किया जा सकता है, जबकि विदेशी छात्रों केलिए यह नाममात्र लागत पर उपलब्ध होगा। कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित केसाथ प्रोफेसर सतीश चंद्र गरकोटी (रेक्टर), प्रोफेसर सुप्रिया चक्रवर्ती डीन स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज और जेएनयू के कई वरिष्ठ संकाय सदस्य भी थे, जिन्होंने केंद्रीय राज्यमंत्री और उनकी टीम केसाथ पादप गुणसूत्र विज्ञान (प्लांट जीनोमिक्स), जैविक विज्ञान (लाइफ साइंसेज) में अनुसंधान के संभावित क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया। 

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