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Sunday 30 June 2013 08:47:44 AM
देहरादून। सेनाध्यक्ष जनरल विक्रम सिंह ने बाढ़ से प्रभावित उत्तराखंड का दौरा किया और वहां अपनी जान की परवाह किए बिना आपदाग्रस्त देशवासियों के जीवन की रक्षा में लगे सैनिकों और सहायक अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की। सैनिकों के साथ बातचीत में सेनाध्यक्ष ने तलाशी, स्थान का पता लगाने, संपर्क साधने और उसके बाद बचाव, राहत और विपदा में घिरे लोगों को बचाकर निकालने के इस अभूतपूर्व व्यापक अभियान में उनकी दिलेरी की तारीफ की।
सेनाध्यक्ष ने गोचर में मीडिया से बातचीत में कहा कि सेना में बड़ी संख्या में उत्तराखंड के सैनिक हैं और उनके अपने परिवारों ने यह दुःख झेला है, लेकिन अपनी व्यक्तिगत चिंताओं की परवाह न करते हुए इन सैनिकों ने राहत और बचाव अभियानों में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। इनमें से कुछ ने तो अपने परिवारों और नाते-रिश्तेदारों तक के लिए ऐसे समय में छुटि्टयां तक लेने से इंकार कर दिया। सेनाध्यक्ष ने कहा कि हमारी सैन्य टुकड़ियों ने जो प्रतिबद्धता दिखाई, वो इतिहास में अद्वितीय है। उन्होंने अपना काम बेहतर तरीके से पूरा करने के लिए अधिकारियों, जूनियर कमीशंड अधिकारियों और जवानों की काफी प्रशंसा की।
जनरल विक्रम सिंह ने कहा कि अब हरसिल में 500 से कम और बद्रीनाथ में करीब 3000 लोग बचे हुए हैं, जिन्हें निकालना बाकी है। अभियान पूरा करने की समय-सीमा तय किए बिना उन्होंने कहा कि यह मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है, लेकिन सभी को बचाकर जल्द निकालने की पूरी कोशिश जारी है। उन्होंने कहा कि जहां तक बद्रीनाथ का सवाल है तो सड़क मार्ग खुल गया है। सेना ने अलकनंदा नदी पर श्रेणी-3 का पुल निर्मित कर दिया है, जिस पर लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है और सैनिक कमांडर खुद भी इसका इस्तेमाल कर चुके हैं। लोग सड़क मार्ग के जरिए भी आ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ से सभी लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। पुनर्वास और पुनर्निमाण के राज्य प्रशासन के कामों में सेना की मदद के बारे में पूछे गए सवाल पर सेनाध्यक्ष ने फिर दोहराया कि सेना, नागरिक प्रशासन की मदद के लिए है। उन्होंने कहा कि सेना वहां नागरिक प्रशासन को हर तरह की मदद देगी। उन्होंने कहा कि यह एक बेहद मुश्किल अभियान था, लेकिन सैनिकों के साहसिक प्रयासों से कई जिंदगी बच सकी।
इस बीच बद्रीनाथ और हरसिल में लोगों को बचाकर निकालने का काम जारी रहा। हरसिल से 452 लोगों को हवाई माध्यम से सुरक्षित निकाला गया। ब्रदीनाथ से 99 लोग हवाई माध्यम से निकाले गए। करीब 682 लोग पैदल जोशीमठ पहुंच गए हैं, जबकि रात तक 750 लोग और वहां पहुंचे। सेना अपने अभियान के लगातार 12वें दिन उन्हें शरण मुहैया कराने के अलावा खाद्य, चिकित्सा सहायता, कंबल उपलब्ध करा रही है और सैकड़ों लोगों को सहायता और परामर्श दे रही है।