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'सदन में मुद्दों पर चर्चा करें न कि व्यवधान डालें'

'जनप्रतिनिधियों का आचरण मर्यादित और अनुकरणीय होना चाहिए'

उपराष्ट्रपति का 16वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्यों को प्रबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 16 January 2024 06:22:27 PM

vice president's enlightenment to the members of the assembly of rajasthan

जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान की 16वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों केलिए आयोजित एक दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम में विधानसभा सदस्यों का आह्वान कियाकि आज जब दुनिया भारत की सराहना कर रही है, हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र में विपक्ष के महत्व को रेखांकित करते हुए कहाकि विपक्ष संसदीय व्यवस्था की रीढ़ होता है, जो समय-समय पर सरकार की कमियों पर ध्यान दिलाकर उसे मार्ग पर लाता है। उपराष्ट्रपति ने संविधान सभा के सदस्यों के आचरण का जिक्र करते हुए कहाकि संविधान सभा के लगभग 3 वर्ष के कार्यकाल में ऐसा एकभी अवसर न था, जब सदस्यों ने व्यवधान पैदा किया हो या तख्तियां दिखाई हों एवं जनता के प्रतिनिधि के तौरपर विधानसभा में सदस्यों का आचरण मर्यादित और अनुकरणीय होना चाहिए। ज्ञातव्य हैकि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ स्वयं राजस्थान की 10वीं विधानसभा के सदस्य रहे हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विधायकों से कहाकि व्यवधान करना अख़बार की कल की सुर्खियां हो सकती हैं पर उनका प्रभाव ज्यादा दिन तक नहीं रहता। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहाकि सदन में व्यवधान पैदा करके विपक्ष बहुत बड़ा अवसर खो देता है, जब सदन नहीं चलता है तो सबसे ज्यादा प्रसन्नता सरकार को होती है, क्योंकि आप सरकार से प्रश्न नहीं पूछ सकते और ना ही सरकार को कटघरे में नहीं खड़ा कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि ऐसी स्थिति में नुकसान भी सरकार का ही होता है, क्योंकि सरकार विपक्ष की योग्यता का फायदा नहीं ले पाती है। उन्होंने बाबासाहब डॉ भीमराव अंबेडकर की चेतावनी को याद दिलायाकि 'यदि विधायिका जनहित के मुद्दों का समाधान नहीं करेगी तो वह जनता का विश्वास खो देगी।' उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह कियाकि वे संविधान की मूलप्रति की प्रतिलिपियां सदस्यों को उपलब्ध कराएं, जिसमें भारत का 5000 साल का इतिहास चित्रों में उकेरा गया है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि ये चित्र भारत की उदार विचार परंपरा को परिलक्षित करते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत के संविधान को लोगों ने पढ़ा है पर जो संविधान उपलब्ध है, वह पूर्ण नहीं है, क्योंकि भारत के संविधान में चित्र भी हैं, मौलिक अधिकारों वाले भाग में जो चित्र हैं, उनमें श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पुष्पक विमान से अयोध्या लौट रहे हैं और राज्य के नीति निदेशक तत्व वाले भाग में कुरुक्षेत्र का चित्र है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान दे रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहाकि मुझे समझ नहीं आताकि संविधान का यह भाग अक्सर किताबों से दूर क्यों रह जाता है? उन्होंने कहाकि सदन को चलाना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का साझा दायित्व है, सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही विधानसभा का अंग हैं, विधानसभा को एक परिवार की तरह सम्मति से काम करना चाहिए। उन्होंने जिक्र कियाकि संसद में सदस्यों का निलंबन उनके लिए पीड़ादायक था। उन्होंने राजनैतिक दलों से आग्रह कियाकि वे अपने सदस्यों को चर्चा में भाग लेने का अवसर दें, तभी उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहाकि आसन पर संदेह करना ठीक नहीं है, आसन पर बैठने वाला व्यक्ति दोनों तरफ देखता है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि विधानसभा का सदस्य होना एक अवसर है, विधायक इस अवसर का भरपूर लाभ उठाएं, आप 2047 के राजस्थान और भारत की नींव रख रहे हैं।
जगदीप धनखड़ ने कहाकि लोग सड़क पर आंदोलन इसलिए करते हैं, क्योंकि व्यवधान के कारण सदन में उनके मुद्दों पर चर्चा नहीं होती। उपराष्ट्रपति ने खेद व्यक्त कियाकि हाल के संसद सत्र के दौरान तीन नए दंड विधानों पर हुई चर्चा में कानून के जानकार वरिष्ठ विपक्षी सदस्यों के ज्ञान का लाभ नहीं मिला, जबकि वे निलंबित भी नहीं थे। उन्होंने राजनैतिक दलों से कहाकि वे अपने सदस्यों को सदन की चर्चा में भाग लेने दें, जिससे सदस्यों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा। जगदीप धनखड़ ने कहाकि आज किसीभी सदस्य के बारेमें सोशल मीडिया पर ऐसी भ्रांति फैलाई जा सकती हैं, जो एक बड़ी आग का रूप ले लेगी, सदन को तय करना हैकि ऐसी चीजों पर अंकुश कैसे लगाया जाए? उपराष्ट्रपति ने कहाकि जनप्रतिनिधि और अधिकारियों केबीच परस्पर विश्वास और सौहार्द का संबंध होना चाहिए। उन्होंने कहाकि हमारी कार्यपालिका कड़ी परीक्षा से चुनकर आती है, उनके अधिकारी सक्षम और दक्ष हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि विकास का स्रोत तो विधायिका ही होती है, विधायिका ही कार्यपालिका का मार्गदर्शन करती है, लेकिन उसे कार्यांवित कार्यपालिका करती है। उन्होंने कहाकि विकास के विषयों को राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का होता है, नाकि किसी पक्ष विशेष का। उन्होंने कहाकि देश का हर नागरिक राष्ट्रवादी है, लेकिन कुछ लोग स्वयं दिग्भ्रमित हैं, जो भ्रम और भ्रांतियां फैला रहे हैं, विधानसभा को इसके विरुद्ध प्रभावी प्रतिवाद करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने राजस्थान विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को सपरिवार दिल्ली में नए संसद भवन और भारत मंडपम देखने केलिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहाकि ये इमारतें हमारी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं। अपने उद्बोधन में उपराष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, दोनों उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी और डॉ प्रेमचंद्र बैरवा के नेतृत्व में राजस्थान की प्रगति को लेकर आशा व्यक्त की। इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी और डॉ प्रेम चंद्र बैरवा, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, निर्वाचित सांसद एवं विधानसभा सदस्य उपस्थित थे।

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