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Saturday 20 January 2024 12:21:54 PM
जोशीमठ (उत्तराखंड)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड की जोशीमठ-मलारी रोड पर आयोजित कार्यक्रम में 670 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई सीमा सड़क संगठन की 35 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समर्पित किया। रक्षामंत्री ने देश के सीमावर्ती इलाके में बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने केलिए सीमा सड़क संगठन की सराहना की। उन्होंने कहाकि बीआरओ सड़क एवं पुल आदि का निर्माण करके दूर-दराज के हिस्सों को भौगोलिक दृष्टि से देश के शेष अन्य हिस्सों से जोड़ रहा है और साथही दूर-दराज के गांव में रहने वाले लोगों के दिलों को बाकी नागरिकों से भी जोड़ रहा है। राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती क्षेत्र के विकास केप्रति नरेंद्र मोदी सरकार के दृष्टिकोण का उल्लेख किया और कहाकि यह सरकार पिछली सरकारों से बिल्कुल अलग है, उन्होंने सीमावर्ती इलाकों के विकास पर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वे इन हिस्सों को देश का अंतिम भाग मानते थीं, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार सीमावर्ती इलाकों को भारत का चेहरा एवं पहचान मानती है। रक्षामंत्री ने कहाकि यही कारण हैकि हम इन क्षेत्रों में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा बनाया जाना सुनिश्चित कर रहे हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि सड़कों, पुलों और सुरंगों के जरिए देश के हर सीमावर्ती क्षेत्र को सड़क संपर्क सुविधा प्रदान की जा रही है। उन्होंने इस कार्य को न केवल रणनीतिक महत्व का बताया, बल्कि इन क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों के कल्याण केलिए भी आवश्यक बताया। उन्होंने कहाकि सीमाओं के आस-पास रहने वाले लोग सैनिकों से कम नहीं हैं, यदि एक सैनिक वर्दी पहनकर देश की रक्षा करता है तो सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासी अपने तरीके से मातृभूमि की सेवा कर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहाकि मोदी सरकार केलिए सीमावर्ती क्षेत्र मैदानी इलाकों और संभावित प्रतिद्वंद्वी केबीच बफर जोन हैं, सरकार सीमावर्ती क्षेत्र को मैदानी इलाकों और संभावित प्रतिद्वंद्वी केबीच मध्यवर्ती क्षेत्र मानती है। रक्षामंत्री ने कहाकि एक समय था, जब सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था और सरकारें इस मानसिकता केसाथ काम करती थींकि मैदानी इलाकों में रहने वाले लोग ही मुख्यधारा के लोग हैं, उन्हें चिंता थीकि सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास का इस्तेमाल दुश्मन द्वारा किया जा सकता है। रक्षामंत्री ने कहाकि इसी संकीर्ण मानसिकता के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों तक विकास कभी नहीं पहुंच सका, लेकिन अब ये सोच बदल गई है। राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सीमावर्ती इलाकों के विकास केलिए प्रतिबद्ध है, हम इन क्षेत्रों को बफर जोन नहीं मानते हैं और वे हमारी मुख्यधारा का हिस्सा हैं।
रक्षामंत्री ने कहाकि सरकार का दृष्टिकोण न्यू इंडिया के आत्मविश्वास को दर्शाता है, जो संभावित विरोधियों से निपटने केलिए मैदानी इलाकों तक पहुंचने का इंतजार नहीं करेगा। उन्होंने कहाकि हम पहाड़ों पर बुनियादी ढांचे का विकास कर रहे हैं और पहाड़ी सीमाओं पर सैनिकों को इस तरह से तैनात कर रहे हैंकि इससे वहां के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके तथा सेना को हमारे विरोधियों से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिल सके। राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन का जिक्र करते हुए कहाकि यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक ले कर जा रहे हैं, क्योंकि उनका लक्ष्य समुद्र से लेकर देश की सीमा तक विकास यात्रा को कवर करना है। रक्षामंत्री ने हालके वर्ष में उत्तराखंड, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश तथा सिक्किम सहित कुछ सीमावर्ती राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती संख्या की ओरभी ध्यान आकर्षित कराया और कहाकि कई विशेषज्ञों के अनुसार इन घटनाओं के पीछे का कारण जलवायु परिवर्तन ही है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को सिर्फ मौसम संबंधी घटना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ बेहद गंभीर मुद्दा बताया। राजनाथ सिंह ने कहाकि रक्षा मंत्रालय इसे बहुत गंभीरता से ले रहा है और इस संबंध में मित्र देशों से सहयोग करने के लिए कहेगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हालही में उत्तराखंड की एक सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने केलिए संचालित किए गए सिलक्यारा टनल ऑपरेशन में सीमा सड़क संगठन के योगदान का विशेष रूपसे उल्लेख किया। उन्होंने ऑपरेशन के दौरान अथक परिश्रम करने केलिए सीमा सड़क संगठन के कर्मियों विशेषकर महिला श्रमिकों की सराहना की। रक्षामंत्री ने संकट के समय में अपने कर्तव्यों का तत्परता से निर्वहन करने केलिए जनरल रिज़र्व इंजीनियर फोर्स की टीम को बधाई दी। उन्होंने इस ऑपरेशन को टीम वर्क का एक शानदार उदाहरण करार दिया, जिसमें राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, सीमा सड़क संगठन, भारतीय वायुसेना और राज्य एजेंसियों के समन्वित प्रयास देखे गए। उन्होंने कहाकि इस दिशा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने जिस तरह से बढ़-चढ़कर काम किया है, उत्तराखंड में बीआरओ के हर प्राजेक्ट में साथ निभाया है, उसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। रक्षामंत्री ने कहाकि कि बीआरओ का काम मुख्यतः भारत के सीमावर्ती इलाकों पर केंद्रित है और सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास केलिए राज्यों का सहयोग मिलना बेहद आवश्यक होता है। रक्षामंत्री ने बीआरओ का सहयोग करने वाले लोगों जैसेकि सशस्त्र बल कर्मियों, स्थायी असैन्य कर्मचारियों और अस्थायी भुगतान वाले श्रमिकों को अद्वितीय कार्यबल के रूपमें वर्णित किया, जो सीमा पर बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने केलिए मिलकर प्रयास करते हैं।
रक्षामंत्री ने अस्थायी भुगतान वाले श्रमिकों के संबंध में सरकार द्वारा बदलाव का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि पहले केवल स्थायी कर्मचारियों को ही संगठन का हिस्सा माना जाता था और आउटसोर्सिंग से नियुक्त किए गए या फिर अनुबंध/ अस्थायी आधार पर काम करने वाले लोग संगठन का भाग नहीं माने जाते थे। उन्होंने कहाकि अब ये सोच बदल चुकी है और हमारा मानना हैकि सभीके सम्मिलित प्रयासों से ही देश विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। रक्षामंत्री ने कहाकि इस बदली हुई विचारधारा का बीआरओ से जुड़े अस्थायी भुगतान वाले श्रमिकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहाकि इन अस्थायी भुगतान वाले श्रमिकों का मानना हैकि सीमा सड़क संगठन उतना ही उनका है, जितना सशस्त्र बल के कर्मियों एवं स्थायी कर्मचारियों का है। रक्षामंत्री ने जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने और अस्थायी भुगतान वाले श्रमिकों सहित सभी सीमा सड़क संगठन कर्मियों तथा उनके परिजनों का समग्र कल्याण सुनिश्चित करने केलिए रक्षा मंत्रालय के प्रयासों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार संगठन से जुड़े लोगों की मेहनत को नमन करती है और हमने सीमा सड़क संगठन के स्थायी नागरिक कर्मियों केलिए सशस्त्र बलों के समान जोखिम और कठिनाई भत्ता सुनिश्चित किया है। रक्षामंत्री ने बतायाकि अस्थायी भुगतान वाले श्रमिकों केलिए अनुग्रह मुआवजा राशि दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई है एवं अस्थायी भुगतान वाले श्रमिकों केलिए 10 लाख रुपये के बीमा के प्रावधान को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि ये कदम हमारे सशस्त्र बलों के कर्मियों, नागरिक कर्मचारियों और सीमा सड़क संगठन में अस्थायी भुगतान वाले श्रमिकों के मनोबल को बढ़ाने में मदद करेंगे। उद्घाटन की गई 35 परियोजनाओं में से 29 पुल और छह सड़कें शामिल हैं, उनमें से ग्यारह जम्मू-कश्मीर में हैं, जबकि लद्दाख में नौ, अरुणाचल प्रदेश में आठ, उत्तराखंड में तीन, सिक्किम में दो और मिजोरम तथा हिमाचल प्रदेश में एक-एक हैं। इन परियोजनाओं को देश के सबसे दुर्गम इलाके में चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में पूरा किया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे। यह कार्यक्रम ढाक ब्रिज पर हुआ था, जो ढाक नाले पर बना अत्याधुनिक 93 मीटर लंबा 70आर श्रेणी का पुल है। ढाक ब्रिज काफी रणनीतिक महत्व रखता है, क्योंकि यह सीमाओं पर सड़क संपर्क सुविधा बढ़ाएगा और सशस्त्र बलों की सैन्य गतिविधियों को विस्तार देगा। यह क्षेत्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा, क्योंकि यह जोशीमठ से नीतिपास तक गांवों को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क है, इससे न केवल पर्यटन को लाभ होगा, बल्कि रोज़गार के अधिक अवसर भी सृजित होंगे। राजनाथ सिंह ने शेष अन्य 34 परियोजनाओं का वर्चुअली उद्घाटन किया, इनमें जम्मू-कश्मीर में रागिनी-उस्ताद-फारकियान गली रोड शामिल है। यह 38.25 किलोमीटर लंबाई क्लास-9 सड़क है, जो तंगधार और केरेन सेक्टर केबीच हर मौसम में सड़क संपर्क सुविधा प्रदान करेगी, जिससे सेना की सामरिक गतिविधियों में भी तत्परता बढ़ेगी।