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Monday 22 January 2024 05:20:11 PM
अयोध्या। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधुनिकता और आध्यात्मिकता से भव्य और दिव्य अयोध्या धाम में पुनर्स्थापित श्रीराम मंदिर में मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्रीराम के मन मोह लेने वाले पांच वर्ष के बालस्वरूप श्रीरामलला की वैदिक विधि-विधान से आज प्राण प्रतिष्ठा कर दी है और इसी केसाथ श्रीराम भक्तों का 500 वर्ष का ऐतिहासिक सपना साकार हो गया। प्रधानमंत्री ने श्रीराम मंदिर परिसर में उपस्थित संत, ऋषिगण, देश-विदेश के कोने-कोने से आए श्रीराम भक्तों को यह श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने सियावर रामचंद्र की जय! से भावना से अभिभूत कर देने वाले संबोधन की शुरूआत की। उन्होंने कहाकि आज हमारे राम आ गए हैं, सदियों की प्रतीक्षा, अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या केबाद हमारे प्रभु श्रीराम आ गए हैं, इस शुभ घड़ी की सभीको बहुत-बहुत बधाई। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज जिस तरह श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के इस आयोजन से पूरा विश्व जुड़ा हुआ है, उसमें श्रीराम की सर्वव्यापकता के दर्शन हो रहे हैं, जैसा उत्सव भारत में है, वैसा ही अनेकों देशों में है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज अयोध्या का ये उत्सव रामायण की उन वैश्विक परम्पराओं का भी उत्सव बना है, श्रीरामलला की ये प्रतिष्ठा वसुधैव कुटुंबकम् के विचार की भी प्रतिष्ठा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज अयोध्या में केवल श्रीराम के विग्रह रूपकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है, ये श्रीराम के रूपमें साक्षात् भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की प्राण प्रतिष्ठा है, ये साक्षात् मानवीय मूल्यों और सर्वोच्च आदर्शों की भी प्राण प्रतिष्ठा है, इन मूल्यों, इन आदर्शों की आवश्यकता आज सम्पूर्ण विश्व को है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सर्वे भवन्तु सुखिन: ये संकल्प हम सदियों से दोहराते आए हैं, आज उसी संकल्प को राममंदिर के रूपमें साक्षात् आकार मिला है। उन्होंने कहाकि ये मंदिर, मात्र एक देव मंदिर नहीं है, ये भारत की दृष्टि, भारत के दर्शन, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है, ये श्रीराम के रूपमें राष्ट्र चेतना का मंदिर है, श्रीराम भारत की आस्था हैं, श्रीराम भारत का आधार हैं, श्रीराम भारत का विचार हैं, श्रीराम भारत का विधान हैं, श्रीराम भारत की चेतना हैं, श्रीराम भारत का चिंतन हैं, श्रीराम भारत की प्रतिष्ठा हैं, श्रीराम भारत का प्रताप हैं, श्रीराम प्रवाह हैं, श्रीराम प्रभाव हैं, श्रीराम नेति हैं, श्रीराम नीति भी हैं, श्रीराम नित्यता हैं, श्रीराम निरंतरता भी हैं, श्रीराम विभु हैं, विशद हैं, श्रीराम व्यापक हैं, विश्व हैं, विश्वात्मा हैं और इसलिए जब श्रीराम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव वर्षों या शताब्दियों तक ही नहीं होता, उसका प्रभाव हजारों वर्षों केलिए होता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मैं अभी गर्भगृह में ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके सामने उपस्थित हुआ हूं, हमारे रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे, हमारे रामलला अब इस दिव्य मंदिर में रहेंगे। उन्होंने कहाकि मेरा पक्का विश्वास, अपार श्रद्धा हैकि जो घटित हुआ है, इसकी अनुभूति देश विश्व के कोने-कोने में रामभक्तों को हो रही होगी, ये क्षण अलौकिक है, ये पल पवित्रतम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि प्रभु श्रीराम का हमसब पर आशीर्वाद है, 22 जनवरी 2024 का ये सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है, ये कैलेंडर पर लिखी एक तारीख नहीं, ये एक नए कालचक्र का उद्गम है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन केबाद से प्रतिदिन देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा था, निर्माण कार्य देख देशवासियों में हर दिन एक नया विश्वास पैदा हो रहा था, आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है, हमें श्रीराम का मंदिर मिला है। उन्होंने कहाकि गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हो रहा राष्ट्र, अतीत के हर दंश से हौसला लेता हुआ राष्ट्र, ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजसे हजार साल बादभी लोग आजकी इस तारीख, आजके पल की चर्चा करेंगे और ये कितनी बड़ी रामकृपा हैकि हम इस पल को जी रहे हैं, इसे साक्षात घटित होते देख रहे हैं। उन्होंने कहाकि आज दिन-दिशाएं, दिग-दिगंत, सब दिव्यता से परिपूर्ण हैं, ये समय सामान्य समय नहीं है, ये काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रहीं अमिट स्मृति रेखाएं हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमसब जानते हैंकि जहां राम का काम होता है, वहां पवनपुत्र हनुमान अवश्य विराजमान होते हैं, इसलिए मैं रामभक्त हनुमान और हनुमानगढ़ी को भी प्रणाम करता हूं, मैं माता जानकी, लक्ष्मणजी, भरत-शत्रुघ्न, सबको नमन करता हूं, मैं पावन अयोध्या पुरी और पावन सरयू कोभी प्रणाम करता हूं, मैं इस पल दैवीय अनुभव कर रहा हूंकि जिनके आशीर्वाद से ये महान कार्य पूरा हुआ है, वे दिव्य आत्माएं, दैवीय विभूतियां भी इस समय हमारे आस-पास उपस्थित हैं, मैं सभी दिव्य चेतनाओं को भी कृतज्ञतापूर्वक नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं, हमारे पुरुषार्थ, हमारे त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगीकि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए, आज वो कमी पूरी हुई है। उन्होंने कहाकि मुझे विश्वास हैकि प्रभु श्रीराम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि त्रेता में श्रीराम आगमन पर तुलसीदास ने लिखा है-प्रभु बिलोकि हरषे पुरबासी। जनित वियोग बिपति सब नासी। अर्थात् प्रभु का आगमन देखकर ही सब अयोध्यावासी, समग्र देशवासी हर्ष से भर गए, लंबे वियोग से जो आपत्ति आई थी, उसका अंत हो गया। प्रधानमंत्री ने कहाकि उस कालखंड में तो वो वियोग केवल 14 वर्ष का था, तबभी इतना असह्य था, इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्ष का वियोग सहा है, हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। उन्होंने कहाकि भारत के तो संविधान में उसकी पहली प्रति में भगवान श्रीराम विराजमान हैं, संविधान के अस्तित्व में आने केबाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। प्रधानमंत्री ने कहाकि मैं आभार व्यक्त करूंगा भारत की न्यायपालिका का, जिसने न्याय की लाज रख ली, न्याय के पर्याय प्रभु श्रीराम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज गांव-गांव में एकसाथ कीर्तन, संकीर्तन हो रहे हैं, आज मंदिरों में उत्सव हो रहे हैं, स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे हैं, पूरा देश आज दीवाली मना रहा है, आज शाम घर-घर श्रीराम ज्योति प्रज्वलित करने की तैयारी है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि कल मैं श्रीराम के आशीर्वाद से धनुषकोडि में रामसेतु के आरंभ बिंदु अरिचल मुनाई पर था, जिस घड़ी प्रभु श्रीराम समुद्र पार करने निकले थे वो एक पल था, जिसने कालचक्र को बदला था, उस भावमय पल को महसूस करने का मेरा ये विनम्र प्रयास था, वहां पर मैंने पुष्प वंदना की, वहां मेरे भीतर एक विश्वास जगाकि जैसे उस समय कालचक्र बदला था, उसी तरह अब कालचक्र फिर बदलेगा और शुभ दिशा में बढ़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि अपने 11 दिन के व्रत-अनुष्ठान के दौरान मैंने उन स्थानों का चरण स्पर्श करने का प्रयास किया, जहां प्रभु श्रीराम के चरण पड़े थे, चाहे वो नासिक का पंचवटी धाम हो, केरला का पवित्र त्रिप्रायर मंदिर हो, आंध्र प्रदेश में लेपाक्षी हो, श्रीरंगम में रंगनाथ स्वामी मंदिर हो, रामेश्वरम में श्रीरामनाथस्वामी मंदिर हो या फिर धनुषकोडि, मेरा सौभाग्य हैकि इसी पुनीत पवित्र भाव केसाथ मुझे सागर से सरयू तककी यात्रा का अवसर मिला, सागर से सरयू तक हर जगह श्रीराम नाम का वही उत्सव भाव छाया हुआ है, प्रभु श्रीराम तो भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हुए हैं, भारतवासियों के अंतर्मन में विराजे हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम भारत में कहीं भी, किसी की अंतरात्मा को छुएंगे तो इस एकत्व की अनुभूति होगी और यही भाव सब जगह मिलेगा, इससे उत्कृष्ट, इससे अधिक देश को समायोजित करने वाला सूत्र और क्या हो सकता है? प्रधानमंत्री ने कहाकि मुझे देश के कोने-कोने में अलग-अलग भाषाओं में रामायण सुनने का अवसर मिला है, लेकिनविशेषकर पिछले 11 दिन में रामायण अलग-अलग भाषा, अलग-अलग राज्यों से मुझे विशेष रूपसे सुनने का सौभाग्य मिला, श्रीराम को परिभाषित करते हुए ऋषियों ने कहा है-रमन्ते यस्मिन् इति रामः॥ अर्थात् जिसमें रम जाया जाए, वही श्रीराम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्रीराम लोक की स्मृतियों में पर्व से परम्पराओं में सर्वत्र समाये हुए हैं, हर युग में लोगों ने श्रीराम को जिया है, हर युग में लोगों ने अपने-अपने शब्दों, अपनी-अपनी तरह से श्रीराम को अभिव्यक्त किया है और ये रामरस, जीवन प्रवाह की तरह निरंतर बहता रहता है, प्राचीनकाल से भारत के हर कोने के लोग रामरस का आचमन करते रहे हैं, रामकथा असीम है, रामायण भी अनंत हैं, राम के आदर्श, राम के मूल्य, राम की शिक्षाएं सब जगह एक समान हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को भी याद कर रहा है, जिनके कार्यों और समर्पण की वजह से आज हम ये शुभ दिन देख रहे हैं। उन्होंने कहाकि श्रीराम के इस काम में कितने ही लोगों ने त्याग और तपस्या की पराकाष्ठा करके दिखाई है, उन अनगिनत रामभक्तों, उन अनगिनत कारसेवकों के और उन अनगिनत संत महात्माओं के हम सब ऋणी हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज का ये अवसर उत्सव का क्षण तो है ही, लेकिन इसके साथ ही ये क्षण भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का क्षण भी है, हमारे लिए ये अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है। प्रधानमंत्री ने कहाकि दुनिया का इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं, ऐसे देशों ने जबभी अपने इतिहास की उलझी हुई गांठों को खोलने का प्रयास किया, उन्हें सफलता पाने में बहुत कठिनाई आई, बल्कि कई बार तो पहले से ज्यादा मुश्किल परिस्थितियां बन गईं, लेकिन भारत ने इतिहास की इस गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता केसाथ खोला है, वो ये बताती हैकि हमारा भविष्य हमारे अतीत से बहुत सुंदर होने जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि वो भी एक समय था, जब कुछ लोग कहते थेकि श्रीराम मंदिर बना तो आग लग जाएगी, ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जान पाए, रामलला के इस मंदिर का निर्माण, भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव और समन्वय का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम देख रहे हैंकि ये निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है, राम मंदिर समाज के हर वर्ग को एक उज्जवल भविष्य के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा लेकर आया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मैं आज उन लोगों से आह्वान करूंगा, आईये आप महसूस कीजिए अपनी सोच पर पुनर्विचार कीजिए, श्रीराम आग नहीं है, श्रीराम ऊर्जा हैं, श्रीराम विवाद नहीं, श्रीराम समाधान हैं, श्रीराम सिर्फ हमारे नहीं हैं, श्रीराम तो सबके हैं, श्रीराम वर्तमान ही नहीं, श्रीराम अनंतकाल हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि महर्षि वाल्मीकि ने कहा है-राज्यम् दश सहस्राणि प्राप्य वर्षाणि राघवः अर्थात श्रीराम दस हजार वर्ष केलिए राज्य पर प्रतिष्ठित हुए यानी हजारों वर्ष केलिए रामराज्य स्थापित हुआ। उन्होंने कहाकि जब त्रेता में राम आए थे, तब हजारों वर्ष केलिए रामराज्य की स्थापना हुई थी, हजारों वर्ष तक श्रीराम विश्व पथप्रदर्शन करते रहे थे और इसलिए आज अयोध्या भूमि हम सभीसे प्रत्येक रामभक्त से प्रत्येक भारतीय से कुछ सवाल कर रही हैकि श्रीराम का भव्य मंदिर तो बन गया, अब आगे क्या? सदियों का इंतजार तो खत्म हो गया, अब आगे क्या? आज के इस अवसर पर जो दैव, जो दैवीय आत्माएं हमें आशीर्वाद देने केलिए उपस्थित हुई हैं, हमें देख रही हैं, उन्हें क्या हम ऐसे ही विदा करेंगे? नहीं, कदापि नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज मैं पवित्र मन से महसूस कर रहा हूंकि कालचक्र बदल रहा है, ये सुखद संयोग हैकि हमारी पीढ़ी को एक कालजयी पथ के शिल्पकार के रूपमें चुना गया है, हज़ार वर्ष बादकी पीढ़ी राष्ट्र निर्माण के हमारे आज के कार्यों को याद करेगी, इसलिए मैं कहता हूं-यही समय है, सही समय है, हमें आजसे इस पवित्र समय से अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखनी है, मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर अब हम सभी यहीं इस पल से समर्थ-सक्षम, भव्य-दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं, श्रीराम के विचार 'मानस केसाथ ही जनमानस में भी हों' यही राष्ट्र निर्माण की सीढ़ी है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज के युग की मांग हैकि हमें अपने अंतःकरण को विस्तार देना होगा, हमारी चेतना का विस्तार, देव से देश तक, श्रीराम से राष्ट्र तक होना चाहिए। उन्होंने कहाकि हनुमानजी की भक्ति, उनकी सेवा, उनका समर्पण ये ऐसे गुण हैं, जिन्हें हमें बाहर नहीं खोजना पड़ता, प्रत्येक भारतीय में भक्ति सेवा और समर्पण के ये भाव समर्थ-सक्षम,भव्य-दिव्य भारत का आधार बनेंगे और यही तो है देव से देश और श्रीराम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार! नरेंद्र मोदी ने कहाकि दूर-सुदूर जंगल में कुटिया में जीवन गुजारने वाली मेरी आदिवासी मां शबरी का ध्यान आते ही अप्रतिम विश्वास जागृत होता है, मां शबरी तो कबसे कहती थीं-श्रीराम आएंगे और प्रत्येक भारतीय में जन्मा यही विश्वास समर्थ-सक्षम भव्य-दिव्य भारत का आधार बनेगा, यही तो है देव से देश और श्रीराम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार! नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमसब जानते हैंकि निषादराज की मित्रता सभी बंधनों से परे है, निषादराज का श्रीराम केप्रति सम्मोहन प्रभु श्रीराम का निषादराज केलिए अपनापन कितना मौलिक है, सब अपने हैं, सभी समान हैं, प्रत्येक भारतीय में अपनत्व, बंधुत्व की ये भावना समर्थ-सक्षम भव्य-दिव्य भारत का आधार बनेगी और यही तो है देव से देश और श्रीराम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज देश में निराशा केलिए रत्तीभर भी स्थान नहीं है, मैं तो बहुत सामान्य हूं, मैं तो बहुत छोटा हूं, अगर कोई ये सोचता है तो उसे गिलहरी के योगदान को याद करना चाहिए, गिलहरी का स्मरण ही हमें हमारी इस हिचक को दूर करेगा, हमें सिखाएगाकि छोटे-बड़े हर प्रयास की अपनी ताकत होती है, अपना योगदान होता है और सबके प्रयास की यही भावना समर्थ-सक्षम भव्य-दिव्य भारत का आधार बनेगी और यही तो है देव से देश और श्रीराम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार! नरेंद्र मोदी ने कहाकिलंकापति रावण प्रकांड ज्ञानी थे, अपार शक्ति के धनी थे, लेकिन जटायुजी की मूल्य निष्ठा देखिए, वे महाबली रावण से भिड़ गए, उन्हें भी पता थाकि वो रावण को परास्त नहीं कर पाएंगे, लेकिन फिरभी उन्होंने रावण को चुनौती दी, कर्तव्य की यही पराकाष्ठा समर्थ-सक्षम, भव्य-दिव्य भारत का आधार है और यही तो है देव से देश और श्रीराम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार। प्रधानमंत्री ने कहाकि आइए हम संकल्प लेंकि राष्ट्र निर्माण केलिए हम अपने जीवन का पल-पल लगा देंगे, रामकाज से राष्ट्रकाज, समय का पल-पल, शरीर का कण-कण, श्रीराम समर्पण को राष्ट्र समर्पण के ध्येय से जोड़ देंगे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि प्रभु श्रीराम की हमारी पूजा विशेष होनी चाहिए, ये पूजा स्व से ऊपर उठकर समष्टि केलिए होनी चाहिए, ये पूजा अहम से उठकर वयम केलिए होनी चाहिए, प्रभु को जो भोग चढ़ेगा, वो विकसित भारत केलिए हमारे परिश्रम की पराकाष्ठा का प्रसाद भी होगा, हमें नित्य पराक्रम, पुरुषार्थ, समर्पण का प्रसाद प्रभु श्रीराम को चढ़ाना होगा, इनसे नित्य प्रभु श्रीराम की पूजा करनी होगी, तब हम भारत को वैभवशाली और विकसित बना पाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये भारत के विकास का अमृतकाल है, आज भारत युवा शक्ति की पूंजी से भरा हुआ है, ऊर्जा से भरा हुआ है, ऐसी सकारात्मक परिस्थितियां, फिर ना जाने कितने समय बाद बनेंगी, हमें अब चूकना नहीं है, हमें अब बैठना नहीं है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि मैं अपने देश के युवाओं से कहूंगा, आपके सामने हजारों वर्षों की परंपरा की प्रेरणा है, आप भारत की उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो चांद पर तिरंगा लहरा रही है, जो 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करके सूर्य केपास जाकर मिशन आदित्य को सफल बना रही है, जो आसमान में तेजस, सागर में विक्रांत का परचम लहरा रही है, अपनी विरासत पर गर्व करते हुए आपको भारत का नव प्रभात लिखना है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि परंपरा की पवित्रता और आधुनिकता की अनंतता, दोनों ही पथ पर चलते हुए भारत, समृद्धि के लक्ष्य तक पहुंचेगा। उन्होंने कहाकि आने वाला समय अब सफलता का है, सिद्धि का है, ये भव्य श्रीराम मंदिर साक्षी बनेगा-भारत के उत्कर्ष, भारत के उदय, भव्य भारत के अभ्युदय, विकसित भारत का! नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये मंदिर सिखाता हैकि अगर लक्ष्य सत्य प्रमाणित हो, अगर लक्ष्य सामूहिकता और संगठित शक्ति से जन्मा हो, तब उस लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहाकि ये भारत का समय है और भारत अब आगे बढ़ने वाला है, शताब्दियों की प्रतीक्षा केबाद हम यहां पहुंचे हैं, हम सबने इस युग, इस कालखंड का इंतजार किया है, अब हम रुकेंगे नहीं, हम विकास की ऊंचाई पर जाकर ही रहेंगे, इसी भाव केसाथ श्रीरामलला के चरणों में प्रणाम करते हुए सभीको बहुत बहुत शुभकामनाएं। सियावर रामचंद्र की जय!