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Tuesday 30 January 2024 01:56:55 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों केसाथ भारत मंडपम में परीक्षा पे चर्चा की। उन्होंने इस अवसर पर प्रदर्शित कला और शिल्प प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। गौरतलब हैकि परीक्षा पे चर्चा प्रधानमंत्री के प्रयासों से शुरू की गई एक गतिविधि है, जो छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और समाज को एकजुटकर एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देती है, जहां प्रत्येक बच्चे की अद्वितीय व्यक्तित्व की सराहना की जा सके, उसे प्रोत्साहित किया जाए और खुदको पूरी तरह से व्यक्त करने की अनुमति दी जाए। प्रधानमंत्री ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को संबोधित करते हुए प्रदर्शनी में छात्रों की बनाई गई रचनाओं का उल्लेख किया, जहां उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी आकांक्षाओं और अवधारणाओं को विभिन्न आकारों में व्यक्त किया है। उन्होंने कहाकि ये प्रदर्शित वस्तुएं दर्शाती हैंकि नई पीढ़ियां विभिन्न विषयों के बारेमें क्या सोचती हैं और इन मुद्दों केलिए उनके पास क्या समाधान हैं। प्रधानमंत्री ने छात्रों को आयोजन स्थल यानी भारत मंडपम के महत्व को समझाया और उन्हें जी20 शिखर सम्मेलन के बारेमें बताया, जहां दुनिया के सभी प्रमुख नेता इकट्ठे हुए और दुनिया के भविष्य पर चर्चा की।
ओमान के एक निजी सीबीएसई स्कूल के दानिया शाबू और दिल्ली में बुराड़ी स्थित सरकारी सर्वोदय बाल विद्यालय के मोहम्मद अर्श ने छात्रों पर अतिरिक्त दबाव डालने वाली सांस्कृतिक और सामाजिक अपेक्षाओं जैसे बाहरी कारकों के समाधान का मुद्दा उठाया, जिसपर प्रधानमंत्री ने कहाकि परीक्षा पे चर्चा में सांस्कृतिक और सामाजिक अपेक्षाओं से संबंधित प्रश्न हमेशा उठते रहे हैं, भलेही यह 7वां संस्करण है। उन्होंने छात्रों पर बाहरी कारकों के अतिरिक्त दबाव के प्रभाव को कम करने में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला और बतायाकि माता-पिता ने समय-समय पर इसका अनुभव किया है। उन्होंने खुदको दबाव से निपटने में सक्षम बनाने और जीवन के एक हिस्से के रूपमें इसके लिए तैयारी करने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने छात्रों से एक अप्रत्याशित, असामान्य मौसम से दूसरे ऐसे अप्रत्याशित मौसम तक यात्रा करने का उदाहरण देकर उनसे स्वयं को असामान्य मौसम का मुकाबला करने केलिए मानसिक रूपसे तैयार करने का आग्रह किया। उन्होंने तनाव के स्तर का आकलन करने और इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर आगे बढ़ने का भी सुझाव दिया ताकि छात्र की क्षमता इससे प्रभावित न हो। नरेंद्र मोदी ने छात्रों, परिवारों और शिक्षकों से एक व्यवस्थित सिद्धांत को लागू करने के बजाय प्रक्रिया विकसित करते हुए सामूहिक रूपसे बाहरी तनाव के मुद्दे का समाधान करने का आग्रह किया। उन्होंने सुझाव दियाकि छात्रों के परिवारों को ऐसे विभिन्न तरीकों पर चर्चा करनी चाहिए, जो उनमें से प्रत्येक केलिए काम करें।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के गवर्नमेंट डिमॉन्सट्रेशन मल्टीपरपज स्कूल की भाग्य लक्ष्मी, गुजरात के जेएनवी पंचमहल की दृष्टि चौहान और केंद्रीय विद्यालय कालीकट केरल की स्वाति दिलीप के प्रश्नकि साथियों के दबाव और दोस्तों केबीच प्रतिस्पर्धा के मुद्दे का समाधान करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रतिस्पर्धा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दियाकि प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए। उन्होंने बतायाकि अक्सर अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा के बीज पारिवारों में बोए जाते हैं, जिससे भाई-बहनों केबीच विकृत प्रतिस्पर्धा पैदा होती है। प्रधानमंत्री ने अभिभावकों से कहाकि वे बच्चों केबीच तुलना से बचें। उन्होंने एक वीडियो का उदाहरण दिया, जहां बच्चे स्वस्थ तरीके से प्रतिस्पर्धा करते हुए एक-दूसरे की मदद करने को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहाकि परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करना कोई शून्य संचय खेल नहीं है, प्रतिस्पर्धा स्वयं से होती है, क्योंकि किसी मित्र द्वारा अच्छा प्रदर्शन मैदान में उतरने से नहीं रोकता। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह प्रवृत्ति उन लोगों से मित्रता करने की प्रवृत्ति को जन्म दे सकती है, जो प्रेरक मित्र नहीं होंगे। उन्होंने अभिभावकों से कहाकि वे अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से न करें। उन्होंने उनसे यह भी कहाकि वे अपने बच्चों की उपलब्धि को अपना विजिटिंग कार्ड न बनाएं। प्रधानमंत्री ने छात्रों से अपने दोस्तों की सफलता पर खुशी मनाने को कहा, क्योंकि 'दोस्ती कोई लेन-देन वाली भावना नहीं है।'
छात्रों को प्रेरित करने में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेडपी हाई स्कूल उप्पारापल्ली आंध्र प्रदेश के संगीत शिक्षक कोंडाकांची संपत राव और शिवसागर असम के शिक्षक बंटी मेडी के सवालों के जवाब दिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि संगीत में उन छात्रों के तनाव को दूर करने की क्षमता है, जो न केवल एक कक्षा, बल्कि पूरे स्कूल के हैं। नरेंद्र मोदी ने कक्षा के पहले दिन से लेकर परीक्षा के समय तक छात्र और शिक्षक केबीच जुड़ाव को धीरे-धीरे बढ़ाने पर जोर दिया और कहाकि इससे परीक्षा के दौरान तनाव पूरी तरह खत्म हो जाएगा। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह कियाकि वे पढ़ाए गए विषयों के आधार पर छात्रों से जुड़ने के बजाय उनके लिए अधिक सुलभ बनें। उन डॉक्टरों का उदाहरण देते हुए जिनका अपने मरीजों के साथ व्यक्तिगत संबंध होता है प्रधानमंत्री ने कहाकि ऐसा बंधन आधे इलाज के समान होता है। उन्होंने परिवार केसाथ व्यक्तिगत जुड़ाव विकसित करने और छात्र की उपलब्धियों की परिवार के सामने सराहना करने का भी सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि शिक्षक नौकरी की भूमिका में नहीं हैं, बल्कि वे छात्रों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी निभाते हैं। प्रणवंदा विद्या मंदिर पश्चिम त्रिपुरा की अद्रिता चक्रवर्ती, जवाहर नवोदय विद्यालय बस्तर छत्तीसगढ़ के छात्र शेख तैफुर रहमान और आदर्श विद्यालय कटक ओडिशा की छात्रा राज्यलक्ष्मी आचार्य ने प्रधानमंत्री से परीक्षा के तनाव से मुकाबला करने के बारेमें प्रश्न किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिभावकों के अति उत्साह या छात्रों की अत्यधिक नेक नीयती के कारण होनेवाली गलतियों से बचने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने अभिभावकों से कहाकि वे परीक्षा के दिन को नए कपड़ों, रीति-रिवाजों या स्टेशनरी के नाम पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करें। उन्होंने छात्रों से अंतिम क्षण तक तैयारी न करने और शांत मानसिकता केसाथ परीक्षा देने और किसीभी बाहरी विध्वंस से बचने केलिए कहा, जो अवांछित तनाव का कारण बन सकता है। प्रधानमंत्री ने प्रश्नपत्र पढ़ने और उन्हें अंतिम समय में घबराहट से बचने केलिए समय आवंटित करने की योजना बनाने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने छात्रों को याद दिलायाकि अधिकांश परीक्षाएं अभीभी लिखित होती हैं, कंप्यूटर और फोन के कारण लिखने की आदत कम हो रही है, उन्होंने लिखने की आदत बनाए रखने को कहा, उनसे अपने पढ़ने, पढ़ने के समय का 50 प्रतिशत लिखने में समर्पित करने को कहा। उन्होंने छात्रों से अन्य छात्रों की गति से नहीं घबराने को कहा। परीक्षा की तैयारी और स्वस्थ जीवनशैली केबीच संतुलन पर राजस्थान के सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र धीरज सुभाष, कारगिल लद्दाख में पीएमश्री केंद्रीय विद्यालय की छात्रा नजमा खातून और अभिषेक कुमार तिवारी तथा अरुणाचल प्रदेश में सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय टोबी लहमे के शिक्षक ने प्रधानमंत्री से व्यायाम केसाथ पढ़ाई करने के बारेमें पूछा। प्रधानमंत्री ने शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल की आवश्यकता को दर्शाने केलिए मोबाइल फोन रिचार्ज करने की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने छात्र-छात्राओं से संतुलित जीवनशैली बनाए रखने और हर चीज की अति से बचने को कहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि स्वस्थ शरीर स्वस्थ दिमाग केलिए महत्वपूर्ण है, स्वस्थ रहने केलिए कुछ दिनचर्या की आवश्यकता होती है और धूप में समय बिताने तथा नियमित, पूरी नींद लेने के बारेमें सवाल किया। उन्होंने बतायाकि स्क्रीन टाइम जैसी आदतें आवश्यक नींद को ख़त्म कर रही हैं, जिसे आधुनिक स्वास्थ्य विज्ञान बहुत महत्वपूर्ण मानता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्होंने अपने निजी जीवन में बिस्तर पर जाने के 30 सेकंड के भीतर गहरी नींद में जाने की व्यवस्था बना रखी है। उन्होंने कहाकि जागते समय पूरी तरह जागना और सोते समय गहरी नींद एक संतुलन है, जिसे हासिल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने संतुलित आहार पर जोर दिया, फिटनेस केलिए नियमित व्यायाम और शारीरिक कार्यों के महत्व पर भी जोर दिया। केंद्रीय विद्यालय बैरकपुर उत्तर 24 परगना पश्चिम बंगाल की मधुमिता मलिक और हरियाणा के पानीपत में द मिलेनियम स्कूल की अदिति तंवर के करियर की प्रगति के सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने करियर के रास्ते में स्पष्टता प्राप्त करने, भ्रम और अनिर्णय से बचने का सुझाव दिया। स्वच्छता और इसके पीछे के संकल्प का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहाकि स्वच्छता देश में प्राथमिकता वाला क्षेत्र बन रहा है। उन्होंने बतायाकि भारत का बाजार 10 वर्ष में कला और संस्कृति क्षेत्र में 250 गुना बढ़ गया है। उन्होंने कहाकि अगर हममें क्षमता है तो हम किसीभी जगह अधिक ऊर्जावान हो सकते हैं। प्रधानमंत्री ने छात्रों से खुदको कम न आंकने का आग्रह करते हुए पूरे समर्पण केसाथ आगे बढ़ने का सुझाव दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारेमें प्रधानमंत्री ने एक धारा से बंधे रहने के बजाय विभिन्न पाठ्यक्रमों को अपनाने के प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रदर्शनी में छात्रों की भागीदारी, कौशल और समर्पण की सराहना की और कहाकि सरकारी योजनाओं को पहुंचाने केलिए उनके कार्य भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तुलना में काफी बेहतर हैं। प्रधानमंत्री ने एक रेस्तरां में खाना ऑर्डर करने का उदाहरण देते हुए कहाकि भ्रम को खत्म करने केलिए हमें निर्णायक होना चाहिए, जहां किसी को यह तय करना होता हैकि क्या खाना है। उन्होंने निर्णयों की सकारात्मकता और नकारात्मकता का मूल्यांकन करने का भी सुझाव दिया।
दिल्ली से ऑनलाइन कार्यक्रम में शामिल हुई पुदुचेरी गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा दीपाश्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माता-पिता की भूमिका के बारेमें और छात्र कैसे विश्वास बना सकते हैं पूछा। प्रधानमंत्री ने परिजनों में विश्वास की कमी का जिक्र करते हुए माता-पिता एवं शिक्षकों से इस गंभीर मुद्दे से निपटने को कहा। उन्होंने कहाकि यह कमी अचानक नहीं है, बल्कि एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है और इसके लिए सभीके आचरण के गहन आत्मविश्लेषण की आवश्यकता है, चाहे वह शिक्षक हों, माता-पिता हों या छात्र हों। उन्होंने कहाकि ईमानदार संवाद विश्वास की कमी की संभावना को कम कर सकता है, विद्यार्थियों को अपने व्यवहार में सच्चा एवं ईमानदार रहना चाहिए, इसी तरह माता-पिता कोभी अपने बच्चों पर संदेह की बजाय विश्वास करना चाहिए, विश्वास की कमी से बनी दूरी बच्चों को डिप्रेशन में धकेल सकती है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से छात्रों केसाथ संवाद के रास्ते खुले रखने और पक्षपात से बचने को कहा। उन्होंने एक प्रयोग केलिए कहा और दोस्तों के परिवारों से नियमित रूपसे मुलाकात करने और सकारात्मक चीजों पर चर्चा करने का अनुरोध किया, जिससे बच्चों को मदद मिल सके। पुणे महाराष्ट्र के एक अभिभावक चंद्रेश जैन ने छात्रों के जीवन में प्रौद्योगिकी के दखल पर और झारखंड के रामगढ़ की अभिभावक कुमारी पूजा श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की प्रचुरता केसाथ पढ़ाई करने के बारेमें प्रधानमंत्री से सवाल किया। टीआर डीएवी स्कूल कांगू हमीरपुर हिमाचल प्रदेश के छात्र अभिनव राणा ने परीक्षा के तनाव से प्रभावी ढंग से निपटने केलिए छात्रों को शिक्षित करने और प्रोत्साहित करने के मुद्दे केसाथ अध्ययन के साधन के रूपमें मोबाइल प्रौद्योगिकी के लाभों का उपयोग करने का मुद्दा उठाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि किसीभी चीज़ की अति बुरी होती है, अत्यधिक मोबाइल फोन के उपयोग की तुलना घर के बने भोजन केसाथ करते हुए जिसे अधिक मात्रा में लेने पर पेट की समस्याएं और अन्य समस्याएं हो सकती हैं, भलेही यह पोषक तत्वों से भरपूर हो। प्रधानमंत्री ने निजता और गोपनीयता के विषय की ओर इशारा करते हुए कहाकि प्रत्येक माता-पिता को इस मुद्दे का सामना करना पड़ता है। उन्होंने परिवार में नियमों और विनियमों का एक सेट बनाने पर जोर दिया और रात के खाने के दौरान कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट न रखने और घर में नो गैजेट जोन बनाने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजकी दुनिया में कोईभी प्रौद्योगिकी से भाग नहीं सकता, इसे बोझ नहीं समझना चाहिए, बल्कि इसका प्रभावी उपयोग सीखना अनिवार्य है। प्रधानमंत्री ने छात्रों को अपने माता-पिता को प्रौद्योगिकी को एक शैक्षिक संसाधन होने के बारेमें शिक्षित करने का सुझाव दिया और पारदर्शिता स्थापित करने केलिए अपने घरों में प्रत्येक मोबाइल फोन के पासकोड को प्रत्येक सदस्य केसाथ साझा करने कीभी सिफारिश की। उन्होंने कहाकि इससे बहुत सारी बुराइयों को रोका जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन और टूल के उपयोग केसाथ स्क्रीन टाइम की निगरानी पर भी बात की। उन्होंने कक्षा में छात्र-छात्राओं को मोबाइल फोन की संसाधनशीलता के बारेमें शिक्षित करने का भी सुझाव दिया।
मॉडर्न सीनियर सेकेंडरी स्कूल चेन्नई तमिलनाडु के छात्र एम वागेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछाकि वह प्रधानमंत्री के पद पर दबाव और तनाव से कैसे निपटते हैं। डायनेस्टी मॉडर्न गुरुकुल एकेडमी उधमसिंहनगर उत्तराखंड की छात्रा स्नेहा त्यागी ने प्रधानमंत्री से पूछाकि हम आपकी तरह सकारात्मक कैसे हो सकते हैं? प्रधानमंत्री ने कहाकि यह जानकर अच्छा लगाकि बच्चे प्रधानमंत्री के पद के दबावों को जानते हैं। उन्होंने कहाकि हर किसीको अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, कोईभी उनसे बचकर प्रतिक्रिया कर सकता है, ऐसे लोग जीवन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं, मेरा दृष्टिकोण जो मुझे उपयोगी लगा वह यह हैकि 'मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं', मैं चुनौती के निकलने का निष्क्रिय रूपसे इंतजार नहीं करता, इसके कारण मुझे हर समय कुछ नया सीखने का मौका मिलता है, नई परिस्थितियों से निपटना मुझे समृद्ध बनाता है। उन्होंने कहाकि मेरा सबसे बड़ा विश्वास ये हैकि मेरे साथ 140 करोड़ देशवासी हैं, यदि 100 मिलियन चुनौतियां हैं तो अरबों समाधान भी हैं, मैं खुदको कभी अकेला नहीं पाता हूं और सब कुछ मुझपर है, मैं हमेशा अपने देश और देशवासियों की क्षमताओं से अवगत रहता हूं, यह मेरी सोच का मूल आधार है। उन्होंने कहाकि हालांकि उन्हें सबसे आगे रहना होगा और गलतियां भी उनकी होंगी, लेकिन देश की क्षमताएं ताकत देती हैं। उन्होंने कहाकि जितना मैं अपने देशवासियों की क्षमताएं बढ़ाता हूं, चुनौतियों को चुनौती देने की मेरी क्षमता बढ़ती है। प्रधानमंत्री ने ग़रीबी के मुद्दे का उदाहरण देते हुए कहाकि जब ग़रीब खुद ग़रीबी हटाने की ठान लेंगे तो ग़रीबी चली जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें पक्का घर, शौचालय, शिक्षा, आयुष्मान, पाइप से पानी जैसे सपने देखने के साधन देना मेरी ज़िम्मेदारी है, एकबार जब वह दैनिक आवश्यकताओं से मुक्त हो जाएंगे तो वह ग़रीबी उन्मूलन केप्रति आश्वस्त हो जाएंगे। उन्होंने कहाकि उनके 10 साल के कार्यकाल में 25 करोड़ लोग ग़रीबी से बाहर आए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि व्यक्ति को चीजों को प्राथमिकता देने का ज्ञान होना चाहिए, यह अनुभव और हर चीज़ का विश्लेषण करने केसाथ आता है। उन्होंने कहाकि वह अपनी गलतियों को सबक मानते हैं। उन्होंने कोविड महामारी का उदाहरण दिया और कहाकि बेकार बैठने के बजाय उन्होंने लोगों को एकजुट करने केलिए दीया या थाली बजाने जैसे कार्यों के माध्यम से उनकी सामूहिक ताकत बढ़ाने का विकल्प चुना, इसी तरह खेल की सफलता और सही रणनीति, दिशा और नेतृत्व का जश्न मनाने के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में बड़े पैमाने पर पदक प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहाकि उचित शासन केलिए भी नीचे से ऊपर तक उत्तम सूचना की व्यवस्था और ऊपर से नीचे तक उत्तम मार्गदर्शन की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने जीवन में निराश न होने पर जोर दिया और कहाकि एकबार निर्णय लेने केबाद केवल सकारात्मकता ही बचती है, मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद करदी हैं। उन्होंने कहाकि जब कुछ करने का संकल्प मजबूत हो तो निर्णय लेना आसान हो जाता है। उन्होंने कहाकि जब स्वार्थ का कोई मकसद नहीं होता तो निर्णय में कभी भ्रम नहीं होता। प्रधानमंत्री ने वर्तमान पीढ़ी के जीवन को आसान बनाने पर जोर देते हुए विश्वास जतायाकि आजकी पीढ़ी को अपने माता-पिता द्वारा झेली जानेवाली कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहाकि हमारी सरकार एक ऐसा राष्ट्र बनाने का प्रयास कर रही है, जहां न केवल वर्तमान, बल्कि आनेवाली पीढ़ियों को चमकने और अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिले और यह पूरे राष्ट्र का सामूहिक संकल्प होना चाहिए। सकारात्मक सोच की शक्ति पर प्रधानमंत्री ने कहाकि यह सबसे नकारात्मक परिस्थितियों में भी सकारात्मक परिणाम देखने की ताकत देती है। उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने केलिए शुभकामनाएं दीं। इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी उपस्थित थे।