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Wednesday 31 January 2024 12:22:04 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के 'स्ट्रेंथनिंग इंडो-यूएस रिलेशनशिप इन अमृतकाल-आत्मनिर्भर भारत' विषय पर सम्मेलन में दावा किया हैकि अमेरिका की पूंजी और तकनीकी जानकारी भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित देश बनने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकती है, यहां निवेश अमेरिकी कंपनियों को उच्च रिटर्न और जोखिम कम करने का अवसर दे सकता है। रक्षामंत्री ने कहाकि सरकार ने एक मजबूत और आत्मनिर्भर 'न्यू इंडिया' केलिए आधारशिला रखी है और भारत में अमेरिकी निवेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, यह दोनों देशों केलिए जीत की स्थिति है। उन्होंने कहाकि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, इसका जनसांख्यिकीय लाभ, कुशल कार्यबल और विशाल घरेलू बाजार अमेरिकी कंपनियों केलिए उच्च रिटर्न की गारंटी है। उन्होंने कहाकि नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने और रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने केलिए अमेरिकी व्यवसायों के वास्ते भारत में निवेश करना आवश्यक होगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और अमेरिका को स्वाभाविक साझेदार बताया और कहाकि वर्तमान वैश्विक भू राजनीतिक परिदृश्य के बीच व्यापार और रणनीतिक, दोनों क्षेत्रों में एक साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहाकि भारत और अमेरिका एक स्वतंत्र, मुक्त और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करते हैं, इससे हमारे सामरिक हितों में काफी समानता आ रही है, इसके अलावा हमारा आर्थिक संबंध दोनों देशों केलिए फायदे का सौदा है। उन्होंने कहाकि वर्तमान संबंध साझा मूल्यों और हितों की दोहरी अनुरूपता से प्रेरित है, जो संबंधों की लंबी स्थिरता और मजबूती की गारंटी है। रक्षामंत्री ने सराहना कीकि मौजूदा समय की जरूरत को समझते हुए भारत और अमेरिका रक्षा प्रौद्योगिकी तथा अंतरिक्ष सहित विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल का विशेष उल्लेख किया, जिसके माध्यम से दोनों देश रक्षा प्रौद्योगिकी साझेदारी को और मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि इसरो और नासा की संयुक्त पहल 'निसार' पृथ्वी विज्ञान, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग सुनिश्चित करेगी।
राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका भी एक बड़ा लोकतंत्र है, जब दो बड़े लोकतंत्र एक-दूसरे केसाथ सहयोग करते हैं तो यह निश्चित रूपसे लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था को मजबूत बनाएगा, यह दुनियाभर में नियम आधारित व्यवस्था को मजबूत बनाने केलिए काम करेगा। उन्होंने कहाकि हमारा एकसाथ काम करना न केवल हमारे लिए, बल्कि पूरी दुनिया केलिए फायदेमंद होगा। आत्मनिर्भर भारत के पीछे नरेंद्र मोदी सरकार के दृष्टिकोण के बारेमें विस्तार से बताते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि देश सही गति से आगे बढ़ रहा है, जिससे आनेवाले समय में उसे अड़चनों का सामना नहीं करना पडे़गा। उन्होंने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने केलिए रक्षा मंत्रालय के निर्णयों की चर्चा की जैसे वित्तीय वर्ष में घरेलू उद्योग केलिए रक्षा पूंजी खरीद बजट का 75 प्रतिशत निर्धारित करना, इससे देश को रक्षा निर्यात करने वाले शीर्ष 25 देशों में जगह बनाने में मदद मिली है। उन्होंने कहाकि रूस-यूक्रेन और इज़राइल-हमास संघर्षों ने रक्षा क्षेत्र पर ज्यादा प्रभाव नहीं डाला है, भारत एक मजबूत देश बन गया है, जो राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और बुरी नज़र डालने वाले को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कियाकि आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य एकांगी नहीं है, इसका अर्थ वैश्विक व्यवस्था से कटना नहीं है, अकेले कामकरना नहीं है, बल्कि यह मित्र देशों के साथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहाकि आत्मनिर्भर भारत अभियान वसुधैव कुटुम्बकम पर आधारित सहयोग को बढ़ावा देता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मित्र देशों केसाथ तालमेल बनाए रखने केलिए भारत में हर क्षेत्र में किए गए व्यापक बदलावों का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि हमने विदेशी निवेश को आकर्षित करने और अपने कुशल कार्यबल का लाभ उठाने केलिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और श्रम कानूनों में सुधार किए हैं। उन्होंने कहाकि हम अगली पीढ़ी की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर भी काम कर रहे हैं सड़क, रेलवे, जलमार्ग, बिजली जैसे बुनियादी क्षेत्रों ने अभूतपूर्व प्रगति की है, भारत विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित कर रहा है। रक्षामंत्री ने इस संबंध को प्रगाढ़ बताते हुए कहाकि व्यापार और वाणिज्य का देश की सुरक्षा और रक्षा से गहरा संबंध है। उन्होंने कहाकि सरकार रक्षा और सुरक्षा तथा व्यापार और वाणिज्य पर समान जोर देती है, क्योंकि आजके युग में कोई भी व्यापार और रणनीतिक हितों को ध्यान में रखकर आगे नहीं बढ़ सकता है। सम्मेलन में भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी और आईएसीसी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह सम्मेलन भारत-अमेरिका केबीच आर्थिक और राजनयिक संबंधों को मजबूत करने केलिए आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत पहल के संदर्भ में द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और सहयोग को बढ़ाने के तरीकों की खोज करना था, जो घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने पर जोर देता है। इसने दोनों देशों के विशेषज्ञों और व्यापारिक दिग्गजों को आपसी आर्थिक विकास तथा समृद्धि में योगदान देने वाले विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी और विकास के अवसरों पर चर्चा करने केलिए एक मंच प्रदान किया।