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Saturday 3 February 2024 11:58:37 AM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों से गहन प्रश्न पूछने और भारत विरोधी कहानियों और अभियानों को बेअसर करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहाकि समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाने वाले चतुर-चालाक लोगों द्वारा उत्पन्न की जाती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि अनेक झूंठे आख्यान भारत और विदेशों में भारत के संवैधानिक संस्थानों को कलंकित करने, उन्हें बदनाम और अपमानित करने की कोशिश करने वाले लोगों ने फैलाए हैं और फैलाए जा रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने भारत की कमजोर पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने से लेकर शीर्ष पांच वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने तककी यात्रा को रेखांकित किया और विद्यार्थियों से कहाकि वे ऐसे समय में दुनिया में कदम रख रहे हैं, जहां देश में संपूर्ण शासन, सकारात्मक नीतियां और एक ऐसी अर्थव्यवस्था है, जो विश्वस्तर पर सम्मानित और रीढ़ की हड्डी के समान मजबूत है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बल दियाकि विद्यार्थियों केपास देश में एक सक्षम प्रणाली है, जो उन्हें प्रतिभा और क्षमता का उपयोग करने, महत्वाकांक्षाओं और सपनों को साकार करने की अनुमति देती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जहां किसी भी व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं माना जाता है, आज सत्ता के गलियारों को भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिया गया है, भ्रष्टाचार को अब पुरस्कृत नहीं किया जाता, कानून का सम्मान लागू किया जाता है। समावेशी विकास केलिए सरकार की पहलों को ध्यान में रखते हुए जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों से कहाकि समाज तभी बदलेगा जब आप देश के अंतिम व्यक्ति की देखभाल करेंगे। उपराष्ट्रपति ने 22 जनवरी को अयोध्या में 'राम लला' के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जिक्र करते हुए देश में उत्सव के वातावरण की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया। यह कहते हुएकि 500 वर्ष का दर्द प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर हो गया है, उन्होंने कहाकि महत्वपूर्ण बात यह हैकि इसे कानून की स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से धार्मिकता के प्रति प्रतिबद्धता केसाथ फलीभूत किया गया है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों को उस समय की याद दिलाई जब वैश्विक संस्थाएं भारत को हेय दृष्टि से देखती थीं और कई मामलों में देश को कमजोर मानती थीं। जगदीप धनखड़ ने कहाकि लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने संकेत दिया हैकि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की वृद्धि सबसे अधिक है। उन्होंने स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में भारत की शक्ति, देश की तकनीकी प्रगति और लोगों की प्रतिभा का भी संदर्भ दिया, जो तत्परता केसाथ ऐसे तकनीकी परिवर्तनों को अपना रहे थे। उपराष्ट्रपति ने भारत के जी-20 के अध्यक्ष के रूपमें भारतीय नेतृत्व की प्रशंसा की, जिसमें अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूपमें शामिल करना और भारत मध्यपूर्व यूरोप आर्थिक गलियारे का शुभारंभ शामिल है। आदर्श वाक्य-'एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य' को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहाकि इसका सार 5000 वर्ष के भारत के सभ्यतागत लोकाचार में अंतर्निहित है। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री डॉ सुभाष सरकार, जेएनयू के कुलाधिपति कंवल सिब्बल, कुलसचिव प्रोफेसर शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित, संकाय सदस्य, विद्यार्थी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।