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Monday 5 February 2024 12:47:30 PM
विशाखापत्तनम। भारतीय नौसेना के सर्वेक्षण बड़े के जहाजों में से पहला और अत्याधुनिक उपकरणों केसाथ स्वदेशी रूपसे डिजाइन और निर्मित आईएनएस संधायक यार्ड 3025 को नौसेना डॉकयार्ड विशाखापत्तनम में समारोहपूर्वक कमीशनिंग कर लिया गया है, यह भारतीय नौसेना के सबसे पुराने हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण जहाज की विरासत को आगे बढ़ाता है। इसकी प्राथमिक भूमिका सुरक्षित समुद्री नौवहन को सक्षम करने की दिशा में बंदरगाहों, नौवहन चैनलों/ मार्गों, तटीय क्षेत्रों और गहरे समुद्रों का पूर्ण पैमाने पर जलमाप चित्रण संबंधित जलीय सर्वेक्षण करना है। अपनी दूसरी भूमिका में आईएनएस संधायक कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों को पूर्ण करने में सक्षम होगा। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस संधायक के कमीशनिंग समारोह को ऐतिहासिक बताया और विश्वास जतायाकि आईएनएस संधायक हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में महाशक्ति के रूपमें भारत की भूमिका को और अधिक मजबूत करेगा एवं भारतीय नौसेना को शांति व सुरक्षा बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहाकि हमारी नौसेना इतनी मजबूत हो गई हैकि हम हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता बन गए हैं। उन्होंने किसीभी देश की सुरक्षा के महत्व को मनुष्य के विकास केसाथ जोड़ते हुए कहाकि कोईभी देश अपने विकास के प्रारंभिक चरण में अपनी सुरक्षा की क्षमता विकसित करने से पहले सुरक्षा केलिए दूसरे देशों पर निर्भर रहता है, अंतत: तृतीय चरण का प्रादुर्भाव होता है, जब वह इतना शक्तिशाली हो जाता हैकि न केवल अपने हितों की रक्षा करता है, बल्कि अपने मित्र देशों की रक्षा करने में भी सक्षम हो जाता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आशा व्यक्त कीकि आईएनएस संधायक महासागरों के बारेमें जानकारी प्राप्त करने और देश केसाथ दूसरे देशों की रक्षा करने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करने में सहयोगी होगा। उन्होंने कहाकि समुद्र विशाल और अथाह है, हम जितना अधिक इसके तत्वों को जानने में सक्षम होंगे, हमारे ज्ञानकोष में उतनी ही वृद्धि होगी और हम मजबूत बनेंगे, जितना अधिक हम महासागर, इसकी पारिस्थितिकी, इसकी वनस्पतियों और जीवों के बारेमें जानकारी एकत्र करेंगे, हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करेंगे, जितना अधिक हम महासागर के बारेमें जानेंगे, उतनाही अधिक सार्थक रूपसे हम अपने रणनीतिक सुरक्षा हितों को पूरा करने में सक्षम होंगे। राजनाथ सिंह ने कहाकि आजादी केबाद कई विषम चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करते हुए भारत अपनी सुरक्षा केलिए आगे बढ़ता रहा और स्वयं को खतरों से बचाता रहा, आज वह विकास के पथ पर अग्रसर है, हमारी मजबूत नौसेना हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहले से कहीं अधिक उत्तरदायित्व निभाते हुए सुरक्षा प्रदान कर रही है। रक्षामंत्री ने हिंद महासागर को वैश्विक व्यापार केलिए हॉटस्पॉट बताया। उन्होंने अरब सागर में व्यापारिक जहाजों के अपहरण के प्रयासों और समुद्री डाकुओं से जहाजों की रक्षा करने केलिए भारतीय नौसेना के साहस और फुर्ती की बात करते हुए कहाकि हिंद महासागर में अदन की खाड़ी, गिनी की खाड़ी आदि जैसे कई चोक पॉइंट हैं, जिनके माध्यम से विशाल स्तरपर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होता है, इन अवरोध बिंदुओं पर कई खतरे विद्यमान हैं, जिनमें से सबसे बड़ा खतरा समुद्री डाकुओं से है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 'न्यू इंडिया' की प्रतिज्ञा बताते हुए आश्वासन दियाकि समुद्री डकैती और तस्करी में शामिल गतिविधियों को किसीभी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत नापाक गतिविधियों में संलिप्त तत्वों को समुद्र की गहराई से भी ढूंढ निकालेगा और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगा। रक्षामंत्री ने भारतीय नौसेना की सराहना की और हालही में अदन की खाड़ी में ब्रिटिश जहाज पर ड्रोन हमले का उल्लेख करते हुए बतायाकि भारतीय नौसना की त्वरित सहायता केलिए विश्व ने भी भारतीय नौसेना को पहचाना और सराहा है। राजनाथ सिंह ने विगत कुछ दिन में पांच समुद्री डकैती के प्रयासों को विफल करने व ड्रोन और मिसाइलों से हमला किए गए जहाजों की सहायता करने के अलावा 80 मछुआरों व नौसैनिकों को बचाने केलिए भारतीय नौसेना की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना शांति और समृद्धि सुनिश्चित करते हुए सुरक्षित व्यापार की सुविधा प्रदान कर रही है, कई रक्षा विशेषज्ञ इसे एक महाशक्ति का उदीयमान बता रहे हैं, यही हमारी संस्कृति है-'हर किसी की रक्षा करना'। रक्षामंत्री ने कहाकि बढ़ती ताकत केसाथ भारत न केवल क्षेत्रीय स्तरपर, बल्कि विश्व से अराजकता को खत्म करने केलिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विभिन्न देशों केबीच नौवहन, व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता बनाए रखने के भारत के दर्शन को दोहराया।
रक्षामंत्री ने कहाकि हमारी बढ़ती शक्ति का उद्देश्य नियम आधारित विश्व व्यवस्था सुनिश्चित करना है, हमारा उद्देश्य हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अवैध और अनियमित मत्स्याखेट को रोकना है, नौसेना इस क्षेत्र में नशीले पदार्थों और मानव तस्करी को रोक रही है, यह न केवल समुद्री डकैती रोकने केलिए प्रतिबद्ध है, बल्कि इस पूरे क्षेत्र को शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने केलिए भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहाकि आईएनएस संधयाक हमारे उद्देश्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। रक्षामंत्री ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार जिस उद्देश्य से नौसेना को मजबूत कर रही है, उससे विश्व शांति का प्रवर्तक बनने की भारत की नियति साकार होगी। नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार ने इस अवसर पर कहाकि एसवीएल परियोजना सरकार और नौसेना द्वारा समुद्र में कार्य करने की सर्वोत्कृष्ट शर्त महासागरों की अथाह गहराई के सर्वेक्षण को दिए जारहे महत्व को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहाकि विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं और कार्यों को करने के लचीलेपन का लाभ उठाने केलिए नौसेना स्वदेशी तौरपर अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म लॉंच कर रही है। उन्होंने कहाकि चाहे वह शक्तिशाली विमानवाहक पोत विक्रांत हो, विशाखापत्तनम क्लास के घातक विध्वंसक, बहुमुखी नीलगिरि क्लास फ्रिगेट्स, गुप्त कलवरी क्लास पनडुब्बियां, फुर्तीला शैलो वॉटर एएसडब्ल्यू क्राफ्ट या विशेष डाइविंग सपोर्ट वेसल्स हों, हम सशक्त भारत की सेवा में एक संतुलित आत्मनिर्भर शक्तिबल का निर्माण कर रहे हैं।
नौसेना प्रमुख एडमिरल आरहरि कुमार ने बताया कि 66 जहाजों और पनडुब्बियों के आर्डर में से 64 का निर्माण कार्य भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है, इसका अर्थ हैकि नौसेना इस क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जिससे शिपयार्ड की क्षमता और श्रमिकों केसाथ सहायक उद्योगों में कार्यरत लोगों की क्षमताओं में वृद्धि होगी। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) कोलकाता में निर्माणाधीन एसवीएल परियोजना के चार जहाजों में से पहला जहाज आईएनएस संधायक है। इस परियोजना का संचालन भारतीय नौसेना का युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो कर रहा है। जहाज की आधारशिला 12 मार्च 2019 को रखी गई थी और 5 दिसंबर 2021 को लॉंच किया गया था। यह बंदरगाह और समुद्र में व्यापक परीक्षणों से गुजर चुका है। आईएनएस संधयाक गहरे और उथले पानी के मल्टी-बीम इको-साउंडर्स, स्वायत्त अंडरवाटर वाहन, दूर से संचालित वाहन, साइड स्कैन सोनार, डेटा अधिग्रहण और प्रसंस्करण प्रणाली, उपग्रह-आधारित पोजिशनिंग सिस्टम सहित अत्याधुनिक जलमाप चित्रण संबंधी जलीय उपकरणों से सुसज्जित है। स्थलीय सर्वेक्षण उपकरण जहाज दो डीजल इंजनों से संचालित है और 18 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है। संधयाक का अर्थ है विशेष खोज करने वाला। संधयाक युद्धपोत डिजाइनिंग और निर्माण में भारत की विशेषज्ञता का प्रतीक है।