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Friday 23 February 2024 06:01:42 PM
नई दिल्ली। भारत और ओमान केबीच अभिलेखागार के क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति बन गई है और सद्भावना दिखाते हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में उपलब्ध ओमान से संबंधित 70 चुनिंदा दस्तावेजों की सूची सौंपी। अभिलेखागार महानिदेशक अरुण सिंघल के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) नई दिल्ली के एक प्रतिनिधिमंडल ने ओमान के नेशनल रिकॉर्ड्स एंड आरकाइव्ज अथॉरिटी (एनआरएए) का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल में उपनिदेशक डॉ संजय गर्ग और आरकाइविस्ट सदफ फातिमा शामिल थीं। यह दौरा 21-22 फरवरी को किया गया, जिसका उद्देश्य पुरालेख क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों का पता लगाना था। प्रतिनिधिमंडल को विभिन्न अनुभागों एवं प्रभागों का भ्रमण कराया गया। इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और दस्तावेज़ प्रबंधन प्रणाली अनुभाग, माइक्रोफिल्म विभाग, निजी रिकॉर्ड अनुभाग, रिकॉर्ड विभाग तक पहुंच, इलेक्ट्रॉनिक संग्रह और संरक्षण अनुभाग सहित एनआरएए के विभिन्न प्रभागों के प्रभारियों ने प्रतिनिधिमंडल को विशेष प्रस्तुतियां दीं। प्रतिनिधिमंडल ने अभिलेखों की स्थायी प्रदर्शनी और डॉक्यूमेंट डिस्ट्रक्शन लैब का भी दौरा किया।
एनआरएए के अध्यक्ष डॉ हम्द मोहम्मद अल-ज़ौयानी केसाथ द्विपक्षीय वार्ता में अरुण सिंघल ने भारत-ओमान केबीच ऐतिहासिक संबंधों पर चर्चा की और डॉ हम्द मोहम्मद अल-ज़ौयानी को राष्ट्रीय अभिलेखागार में ओमान से संबंधित बड़ी संख्या में रिकॉर्ड की मौजूदगी के बारेमें भी जानकारी दी। ओमान से संबंधित 70 चुनिंदा दस्तावेज भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में उपलब्ध हैं, ये दस्तावेज़ 1793 से 1953 तक की अवधि को कवर करते हैं और कई विषयों से संबंधित हैं। सूची केसाथ रिकॉर्ड की 523 पृष्ठों की प्रतियां भी एनआरएए अध्यक्ष को सौंपी गईं, जिसमें कई महत्वपूर्ण विषय शामिल थे जैसे-ओमानी ध्वज का लाल से सफेद रंग में परिवर्तन (1868), सुल्तान सैय्यद तुर्की की मृत्यु (1888) केबाद ओमान के शासक के रूपमें सैय्यद फैसल बिन तुर्की का उत्तराधिकार, मस्कट और ओमान के सुल्तान की भारत में वायसराय केसाथ मुलाकात (1937) एवं मस्कट में भारत गणराज्य और मस्कट व ओमान के सुल्तान केबीच मैत्री, वाणिज्य और नौवहन संधि, जिसपर 15 मार्च 1953 को हस्ताक्षर किए गए (अंग्रेजी, हिंदी और अरबी संस्करण)। इसके अलावा दोनों देशों केबीच तीन महत्वपूर्ण संधियों के प्रतिकृति प्रिंट भी एनआरएए को उपहार में दिए गए।
भारत और ओमान की संधियों में ब्रिटिशकालीन भारत सरकार और मस्कट के सुल्तान केबीच अरबी अंग्रेजी में पांच अप्रैल 1865 और मस्कट के इमाम केसाथ दो संधियां हुई थीं, पहली संधि मेहदी अली खान ने 12 अक्टूबर 1798 को और दूसरी सर जॉन मैल्कम ने फारस के दरबार में भारत के गवर्नर जनरल के दूत के रूपमें 18 जनवरी 1800 को थी। बैठक में एनआरएए अध्यक्ष की सलाहकार तमिमा अल-महरौकी, दस्तावेज़ प्रबंधन केलिए सहायक महानिदेशक तैयबा मोहम्मद अल-वहैबी, संगठन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विभाग के निदेशक हमीद खलीफा सईद अल-सौली तथा संगठन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विभाग की सहायक निदेशक राया अमूर अल-हाजरी भी उपस्थित थे। एनएआई के महानिदेशक और एनआरएए के अध्यक्ष ने दोनों देशों केबीच संस्थागत सहयोग को औपचारिक बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। चर्चा केबाद सहयोग के कार्यकारी कार्यक्रम के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया, जिसे अब दोनों पक्षों के सक्षम अधिकारी अनुमोदन केलिए प्रस्तुत करेंगे तथा निकट भविष्य में उसपर औपचारिक रूपसे हस्ताक्षर किए जाएंगे।
भारत-ओमान केबीच जिन गतिविधियों पर सहमति हुई है उनमें हैं-भारत ओमान के ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डालने वाले सम्मेलन केसाथ दोनों अभिलेखागारों से संकलित अभिलेखीय सामग्रियों पर संयुक्त प्रदर्शनी का आयोजन करना, दोनों संग्रहों को समृद्ध करने केलिए पारस्परिक हित वाले दस्तावेज़ों की डिजिटल प्रतियों का आदान-प्रदान करना। दोनों संस्थानों के उत्कृष्ट व्यवहारों पर ज्ञान साझा करने केलिए डिजिटलीकरण और संरक्षण के क्षेत्र में विशेषज्ञों को शामिल करते हुए विनिमय कार्यक्रम केलिए रूपरेखा की सुविधा प्रदान करना और दोनों अभिलेखागारों से संग्रहित अभिलेखीय सामग्रियों के आधार पर संयुक्त प्रकाशन लाना। प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय प्रवासियों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत की, जो कई पीढ़ियों से ओमान के विभिन्न हिस्सों में रहरहे हैं और जिनमें से कई के पास समृद्ध निजी अभिलेखागार हैं। एनएआई के महानिदेशक ने भारतीय प्रवासियों को अपने पास मौजूद अभिलेखीय संपदा के भौतिक संरक्षण का ध्यान रखने केलिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि यह दोनों देशों केबीच साझा इतिहास के प्रामाणिक स्रोत के रूपमें कार्य करता है। उन्होंने अपने दस्तावेजों के संरक्षण केसाथ उनके डिजिटलीकरण में एनएआई की तकनीकी मदद कीभी पेशकश की, ताकि मूल्यवान जानकारी भावी पीढ़ी केलिए संरक्षित रहे।