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Saturday 24 February 2024 04:12:10 PM
बैंकॉक। भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय से तथागत भगवान गौतम बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पावन अवशेषों को बैंकॉक के सनम लुआंग मंडप में विशेष रूपसे निर्मित्त मंडपम में बड़ी श्रद्धा और पवित्र मंत्रोच्चार केसाथ सार्वजनिक पूजा केलिए प्रतिष्ठापित किया गया। ये अवशेष थाईलैंड में 26 दिवसीय भव्य प्रदर्शनी के एक हिस्से के रूपमें बैंकॉक के शाही महल मैदान में थाईलैंड की संस्कृति तथा विरासत को प्रदर्शित कर रहे हैं, जिसमें भारत और थाईलैंड केबीच सांस्कृतिक सौहार्द्र और दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज भी शामिल हैं। गौरतलब हैकि बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर भगवान बुद्ध के पावन अवशेषों के साथ पहले ही थाईलैंड पहुंच चुके हैं। उन्होंने भगवान बुद्ध के अवशेष थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को सुपुर्द किए, जबकि उनके शिष्य अरहंत सारिपुत्र और महा मौदगलायन के अवशेष भारत सरकार में मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने थाईलैंड के उपप्रधानमंत्री सोमसक थेपसुतिन और थाईलैंड के संस्कृति मंत्री को मंडपम में प्रतिष्ठापित करने केलिए सुपुर्द किए।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य सरकार की भी एक प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें भारत में आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन स्थलों को प्रदर्शित करने केलिए 'बुद्धभूमि भारत' विषय पर आयोजित प्रदर्शनी का बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, केंद्रीय मंत्री तथा थाईलैंड के संस्कृति मंत्री ने संयुक्त रूपसे उद्घाटन किया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहाकि वह भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के पावन अवशेषों की प्रदर्शनी केलिए थाईलैंड में भव्य समारोह का हिस्सा बनकर धन्य महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि भगवान बुद्ध करुणा, अहिंसा की प्रतिमूर्ति हैं और भारत एक पावन भूमि है, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई एवं उनके उपदेशों का पालन करते हुए भारत ने हमेशा विश्व को करुणा और अहिंसा का संदेश दिया है, इसी संदेश केसाथ वे थाईलैंड आए हैं। उन्होंने कहाकि आजके विश्व में शांति और सद्भाव का अभ्यास सबसे महत्वपूर्ण है, इन पावन अवशेषों की प्रदर्शनी सभी जीवित प्राणियों केलिए भगवान बुद्ध के प्रेम, शांति और करुणा के संदेश को और विस्तारित करेगी। उन्होंने उम्मीद जताईकि प्रदर्शनी से भारत-थाईलैंड केबीच द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई प्राप्त होगी।
थाईलैंड के संस्कृति मंत्री ने भगवान बुद्ध के पावन अवशेषों के प्रदर्शन केलिए थाईलैंड को अवसर देने केलिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया और कहाकि थाईलैंड मानवजाति केलिए भगवान बुद्ध के संदेशों को फैलाने केलिए सभी प्रयत्न करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के महानिदेशक ने धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन स्थलों तथा विश्वभर से देश में आनेवाले पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने केलिए राज्य सरकार के उपायों पर एक प्रस्तुति दी। इससे पूर्व राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, जो थाईलैंड में भगवान बुद्ध की प्रदर्शनी के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं ने बैंकॉक में वाट फो मंदिर का दौरा किया, जहां उन्होंने मंगोलिया के कांग्यूर त्रिपिटिका-बौद्ध धर्म की पवित्र पुस्तकों की 108 खंडों तथा प्रोफेसर सत्यव्रत शास्त्री की 26 पुस्तकों का एक सेट वाट फो के उपमठाधीश मोस्ट वेन डॉ देबवज्राचार्य को भेंट किया। मोस्ट वेन पुणे विश्वविद्यालय के सम्मानित छात्र रहे हैं। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने वाट फो मंदिर में लेटे हुए भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की। राज्यपाल और मोस्ट वेन ने थाईलैंड और भारत केबीच ऐतिहासिक संबंधों पर चर्चा की, इस अवसर पर मोस्ट वेन ने भारत को अपना दूसरा घर बताया।