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'दुनिया की समुद्री शक्तियों में भारत प्रतिष्ठित'

रक्षामंत्री ने नेवल वॉर कॉलेज गोवा में किया चोल भवन का अनावरण

'भारतीय नौसेना की मुस्तैदी से समुद्री डकैती एवं तस्करी अभियान विफल'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 5 March 2024 06:26:46 PM

new state-of-the-art facilities inaugurated at naval war college goa

पणजी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नेवल वॉर कॉलेज गोवा को आज नई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करते हुए नए प्रशासनिक और प्रशिक्षण 'चोल भवन' का अनावरण किया है। राजनाथ सिंह ने चोल भवन को नौसेना की आकांक्षाओं और भारत की समुद्री उत्कृष्टता की विरासत का प्रतीक बताया। उन्होंने कहाकि यह गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने और देश की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत पर गौरवांवित अनुभव करने की भारत की नई मानसिकता का प्रतिबिंब है। रक्षामंत्री ने भारतीय नौसेना की प्रशंसा करते हुए कहाकि नौसेना ने विश्वस्तरीय अत्याधुनिक प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराई है, जिससे वैश्विक समुद्री शक्तियों में भारत प्रतिष्ठित हुआ है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के अंतर्गत ख़तरे की धारणा से निपटने में बदलाव के बारेमें भी बात की, उन्‍होंने कहाकि अब भारत जमीन केसाथ-साथ समुद्री चुनौतियों से भी निपट रहा है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि पहले लगभग सभी सरकारें देश की सीमाओं को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित करती थीं, लेकिन समुद्री खतरों को उतना महत्व नहीं दिया जाता था। उन्होंने कहाकि हिंद महासागर क्षेत्र में हमारे विरोधियों की बढ़ती आवाजाही और क्षेत्र के वाणिज्यिक महत्व को देखते हुए स्थिति का पुनर्मूल्यांकन और उसीके अनुरूप हमारे सैन्य संसाधनों और रणनीति को फिरसे संतुलित करना आवश्यक था और हमने न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका की पुनर्कल्पना की है, बल्कि इसे सुदृढ़ भी किया है। उन्होंने कहाकि इन प्रयासों के कारण भारत इस क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाला और पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूपमें उभरा है। रक्षामंत्री ने कहाकि यह सुनिश्चित किया गया हैकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित समुद्री व्यवस्था को मजबूत किया जा सके, हिंद महासागर के सभी पड़ोसी देशों को उनकी स्वायत्तता और संप्रभुता की रक्षा में मदद की जाए और हमने यह सुनिश्चित किया हैकि कोई भी इस क्षेत्र पर आधिपत्य स्थापित न करे।
राजनाथ सिंह ने कहाकि नौसेना की तत्परता के कारण भारत तटीय देशों को पूर्ण सहायता प्रदान करके हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। उन्होंने कहाकि भारतीय नौसेना यह सुनिश्चित कर रही हैकि कोई भी देश अपनी मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्ति केसाथ मित्र देशों पर प्रभुत्व स्थापित करने या उनकी संप्रभुता पर किसी तरह का खतरा उत्पन्न न कर सके। उन्होंने कहाकि नौसेना जिस तत्परता केसाथ देश के सहयोगियों केसाथ खड़ी है, वह भारत के वैश्विक मूल्यों का पोषण करती है। रक्षामंत्री ने बतायाकि 'वसुधैव कुटुंबकम' के मंत्र के माध्यम से भारत ने दुनिया को सभीको एकसाथ लेकर चलने का अद्वितीय मूल्य प्रदान किया है। उन्होंने कहाकि यदि भारत सुदृढ़ होगा तो न केवल इसके आसपास के क्षेत्रों की प्रगति होगी, बल्कि लोकतंत्र और कानून का शासन भी मजबूत होगा। एक सुदृढ़ नौसेना औद्योगिक आधार के पीछे भारतीय नौसेना की बढ़ती शक्ति पर रक्षामंत्री ने कहाकि हमारा लक्ष्य प्रभुत्व हासिल करना नहीं है, बल्कि हिंद-प्रशांत में शांति और समृद्धि का माहौल बनाना है। उन्होंने कहाकि बढ़ती नौसैनिक शक्ति न केवल हमें हमारे विरोधियों से बचाती है, बल्कि हिंद महासागर में अन्य हितधारकों केलिए भी सुरक्षा का माहौल प्रदान करती है।
रक्षामंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सभी केलिए सुरक्षा और विकास के अनुरूप अपने पड़ोसियों केसाथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में काम करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने इस प्रतिबद्धता को पूरा करने केलिए नौसेना की सराहना की और कहाकि नौसेना के मजबूत होने से वैश्विक स्तरपर भारत का वर्चस्व बढ़ेगा। न्यू इंडिया की परिवर्तनकारी रणनीतिक सोच को रेखांकित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि हम एक समय 'समुद्री तटों से घिरी भूमि देश' के रूपमें जाने जाते थे, लेकिन अब हमें 'स्थलीय सीमाओं से घिरे द्वीप देश' के रूपमें देखा जा सकता है। उन्होंने कहाकि इस क्षेत्र में उपलब्ध संसाधन और अवसर भारत की समृद्धि के कारक होंगे, जो भविष्य में भारतीय नौसेना की भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। रक्षामंत्री ने कहाकि अधिकांश वस्तुओं का व्यापार समुद्री मार्ग से होता है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र इसके केंद्र के रूपमें उभर रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डालाकि बढ़ते माल व्यापार के कारण चोरी और तस्करी की घटनाएं जैसे कई ख़तरे सामने आए हैं। राजनाथ सिंह ने क्षेत्र में सुरक्षा माहौल को मजबूत करने और अपने समुद्री डकैती विरोधी और तस्करी विरोधी अभियानों के माध्यम से वैश्विक कैनवास पर भारत के लिए सद्भावना पैदा करने केलिए नौसेना की सराहना की।
रक्षामंत्री ने कहाकि भारतीय नौसेना की तत्परता के कारण इन घटनाओं में कमी आई है, लेकिन ख़तरों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने हालही में समुद्र के भीतर केबलों पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए ऐसी घटनाओं को रणनीतिक हितों पर सीधा हमला करार दिया। उन्होंने नौसेना से ऐसी चुनौतियों से निपटने केलिए तैयार रहने का आग्रह किया। रक्षामंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि नेवल वॉर कॉलेज गोवा में नई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इमारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की बढ़ती और महत्वपूर्ण भूमिका के अनुरूप अधिकारियों को प्रशिक्षित करने में काफी मदद करेगी। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि एनडब्ल्यूसी अपने नवोन्वेषी प्रशिक्षण के माध्यम से न केवल प्रशिक्षुओं की सैन्य क्षमता में वृद्धि करेगा, बल्कि उन्हें नए दृष्टिकोण से अवगत कराएगा और देश के आर्थिक हित पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में नौसेना बेस कारवार में दो प्रमुख तटबंधों का उद्घाटन किया। एयरक्राफ्ट कैरियर पियर दो एयरक्राफ्ट कैरियर और एक लैंडिंग शिप टैंक की एकसाथ बर्थिंग करने में सक्षम है। सहायक पोत पियर फास्ट अटैक क्राफ्ट, इंटरसेप्टर क्राफ्ट और सहायक क्राफ्ट की मेजबानी करेगा। ये घाट जहाजों को विभिन्न तट आधारित सेवाएं जैसे-बिजली, पीने योग्य पानी, एयर कंडीशनिंग केलिए ठंडा पानी और अन्य घरेलू सेवाएं भी प्रदान करेंगे।
नौसेना बेस कारवार में ये आधारभूत अवसंरचना प्रोजेक्ट सीबर्ड के चरण आईआईए का हिस्सा हैं, जिसमें 32 जहाजों/ पनडुब्बियों, 23 यार्डक्राफ्ट, एक दोहरे उपयोग वाले नौसेना एयर स्टेशन, एक पूर्ण नौसेना डॉकयार्ड, चार कवर किए गए ड्राई बर्थ और जहाजों/ विमानों के लिए रसद को समायोजित किया जाएगा। इसमें लगभग 10000 वर्दीधारी और नागरिक कर्मी परिवारों केसाथ रहेंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास को काफी बढ़ावा मिलेगा। सिविल एन्क्लेव केसाथ नेवल एयर स्टेशन से उत्तरी कर्नाटक और दक्षिण गोवा में पर्यटन बढ़ने की उम्मीद है, चल रहे निर्माण ने 7,000 प्रत्यक्ष और 20,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित की हैं। यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप है, जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक सामग्री घरेलू स्तर पर प्राप्त की जाती है। रक्षामंत्री ने कहाकि देश की सबसे बड़ी नौसेना बुनियादी ढांचा निर्माण परियोजना के रूपमें लाया गया प्रोजेक्ट सीबर्ड भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ाने केलिए कार्य कर रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि दोनों घाट देश के पश्चिमी तट पर रणनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करेंगे। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार ने सभीका ध्यान विशेषकर समुद्री क्षेत्र में उभरती सुरक्षा चुनौतियों की ओर आकर्षित किया। उन्होंने इन चुनौतियों का मुकाबला करने में उच्च सैन्य शिक्षा की अपरिहार्य भूमिका की जानकारी दी।
रक्षामंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि नई प्रशिक्षण सुविधा न केवल भारतीय बलों के अधिकारियों केलिए, बल्कि समुद्री सीमा से लगे पड़ोसियों को भी समुद्री दृष्टिकोण सीखने और साझा करने केलिए एक गुरुकुल के रूपमें सेवा प्रदान करेगी और समुद्री शक्ति के रूपमें देश के पुनरुत्थान के प्रतीक के रूपमें काम करेगी। रक्षामंत्री ने परियोजना के क्रियांवयन में शामिल कर्मियों से भी बातचीत की और उनकी सराहना की। इस आयोजन की स्मृति में एक उद्घाटन विशेष डाक टिकट भी जारी किया गया। उन्होंने चोल भवन को सशस्त्र बलों को समर्पित करने से पहले गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। उद्घाटन समारोह में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, केंद्रीय पर्यटन और पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग राज्यमंत्री श्रीपद नाइक, पश्चिमी और दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ भी उपस्थित थे। यह आयोजन नेवल वॉर कॉलेज गोवा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ, जिसने सैन्य शिक्षा में उत्कृष्टता और समुद्री परिपेक्ष्य केप्रति प्रतिबद्धता को सुदृढ़ किया है।

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