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Thursday 28 March 2024 11:28:31 AM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महिलाओं को आर्थिक राष्ट्रवाद का दूत बताते हुए कहा हैकि महिलाओं को सशक्त बनाना हमारी दुनिया के वर्तमान और भविष्य केलिए एक निवेश है। लैंगिक समानता और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज के मूलभूत सिद्धांतों के रूपमें स्वीकार करते हुए उपराष्ट्रपति ने सक्षम लैंगिक तटस्थ इकोसिस्टम की सराहना की और कहाकि पहलीबार दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व एक जनजातीय महिला कर रही हैं एवं भारत के राष्ट्रपति के रूपमें द्रौपदी मुर्मू का चुनाव उत्साहपूर्ण और परिवर्तनकारी है। उन्होंने कहाकि यह संतोषजनक हैकि जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के उत्थान को सुनिश्चित करने के बहुआयामी प्रयास परिणाम दे रहे हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भारत मंडपम में फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन के 40 साल पूरे होने पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने एफएलओ के सदस्यों से कहाकि समान अवसरों को बढ़ावा देकर, बाधाओं को दूर करके और महिलाओं की आवाज़ एवं उपलब्धियों को बढ़ाकर हम एक ऐसा समाज बनाएं, जो न केवल निष्पक्ष एवं न्यायसंगत, बल्कि समृद्ध और टिकाऊ भी हो। उन्होंने जिक्र कियाकि बीते कुछ महीने में उन्हें एफएलओ के बैंगलोर, कानपुर और जम्मू संस्थानों के सदस्यों केसाथ बातचीत करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहाकि आज जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां महिलाएं उत्कृष्ट प्रदर्शन न कर रही हों, सशस्त्र बलों में महिलाओं केलिए अब स्थायी कमीशन है, साथही महिलाएं अब भारतीय वायुसेना में लड़ाकू पायलट, केंद्रीय पुलिस बलों में कमांडो के रूपमें भी अग्रणी हैं, नागरिक उड्डयन में महिला पायलटों की भारत की हिस्सेदारी दुनिया में सबसे अधिक है और अमेरिका की तुलना में लगभग दोगुनी है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उल्लेख करते हुए जगदीप धनखड़ ने इसे भारतीय राजनीति में एक बड़ी उपलब्धि और लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण केलिए गेमचेंजर बताया। महिलाओं को 'प्रॉक्सी उम्मीदवार' के रूपमें पेश करने की आशंकाओं और रूढ़िवादिता को खारिज करते हुए उपराष्ट्रपति ने चंद्रयान मिशन में महिला वैज्ञानिकों की निभाई गई नेतृत्वकारी भूमिका की चर्चा की और कहाकि महिलाएं आज समाज में अपना उचित स्थान पुनः प्राप्त कर रही हैं और वह अब अपने पुरुष परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित नहीं हैं। लैंगिक न्याय और निरंतर विकास केबीच अटूट संबंध पर उन्होंने कहाकि लैंगिक न्याय और महिलाओं को आर्थिक न्याय निरंतर विकास हासिल करने केलिए अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहाकि जब अधिक महिलाएं काम करती हैं तो अर्थव्यवस्था बढ़ती है और सभीसे आर्थिक राष्ट्रवाद का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि कोईभी देश राष्ट्रवाद और संस्कृति केप्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के बिना चौतरफा विकास नहीं कर सकता एवं आर्थिक राष्ट्रवाद विकास केलिए मूलरूप से मौलिक है। इस अवसर पर एफएलओ की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधा शिवकुमार और एफएलओ के सदस्य उपस्थित थे।