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Sunday 31 March 2024 01:05:39 PM
मुंबई। विश्व मौसम विज्ञान दिवस समारोह के तहत दक्षिणी नौसेना कमान में नौसेना समुद्र विज्ञान एवं मौसम विज्ञान स्कूल और भारतीय नौसेना मौसम विज्ञान विश्लेषण केंद्र ने एक मेटोक यानी मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान सेमिनार 'मेघयान-24' का आयोजन किया, जिसका प्रख्यापित विषय 'एट द फ्रंटलाइन ऑफ़ क्लाइमेट एक्शन' पर आधारित था। गौरतलब हैकि विश्व मौसम विज्ञान दिवस हर साल 23 मार्च को मनाया जाता है। यह 23 मार्च 1950 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन की उत्पत्ति का प्रतीक है और इस क्षेत्र में मौसम विज्ञानियों के अमूल्य योगदान और आवश्यक भूमिका को दर्शाता है। सेमिनार में वर्चुअल मोड के जरिए जुड़े नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार ने जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौती पर सटीक और तत्काल ध्यान केंद्रित करने एवं डब्ल्यूएमओ की जलवायु सेवाओं केलिए वैश्विक ढांचे के तहत 'क्लाइमेट स्मार्ट सोसाइटी को प्राप्त करने' के सामान्य लक्ष्य की सामूहिक खोज में मिलकर काम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने केलिए दीर्घकालिक टिकाऊ नीतियां अपनाने और सुरक्षा रणनीति में जलवायु परिवर्तन संबंधी विचारों को एकीकृत करने की भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता दोहराई। सुरक्षित और बेहतर नौसेना संचालन केलिए विश्वसनीय एमईटीओसी समर्थन पर महत्व देते हुए उन्होंने इस क्षेत्र में सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने वाले नौसेना के विशेषज्ञों के समर्पित प्रयासों और योगदान की सराहना की। सेमिनार में अतिथि वक्ता भारतीय नौसेना महासागर सूचना प्रणाली केंद्र हैदराबाद के वैज्ञानिक डॉ टीवीएस उदय भास्कर और नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज फोरकास्टिंग नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ राघवेंद्र आश्रित ने प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने दर्शकों को वैज्ञानिक एजेंसियों की अपनाई गई नवीनतम तकनीकों और राष्ट्रीय स्तरपर नीति निर्माताओं को निर्णय लेने में मदद करने केलिए जलवायु डेटा की संगणना केबारे में बताया। इसके अलावा विशेषज्ञ अधिकारियों ने परिचालन विकास के लिए एमईटीओसी इनपुट/ पूर्वानुमान प्रदान करने में भारतीय नौसेना और भारतीय वैज्ञानिक संगठनों की नवीनतम तकनीकों को सामने लाते हुए 'नौसेना संचालन पर मौसम और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव' के विभिन्न विषयों पर पैनल चर्चाएं कीं।
इस अवसर पर बेहतर और त्वरित निर्णय लेने को सशक्त बनाने वाले मौसम संबंधी जानकारी और पूर्वानुमान प्रसारित करने केलिए एक स्वदेशी मोबाइल एप्लिकेशन इंद्र यानी इंडियन नेवल डायनेमिक रिसोर्स फॉर वेदर एनालिसिस की भी शुरुआत की गई। एप्लिकेशन को भारतीय नौसेना के नौसेना समुद्र विज्ञान और मौसम विज्ञान निदेशालय के समन्वय में भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान ने विकसित किया है। इस कार्यक्रम में दक्षिणी नौसेना कमान के चीफ ऑफ स्टाफ रियर एडमिरल उपल कुंडू, नौसेना मुख्यालय के कमोडोर (एनओएम) कमांडर अभिनव बर्वे और मिरेन करमता निदेशक बीआईएसएजी ने भाग लिया। सेमिनार ने मौसम एवं जलवायु सेवाओं पर ज्ञान और विस्तृत जानकारी साझा करने केसाथ जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने केलिए एक मंच के रूपमें कार्य किया।