स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 9 April 2024 12:29:50 PM
नई दिल्ली। देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सशस्त्र बलों केलिए एक संयुक्त संस्कृति विकसित करने की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए भारतीय सेना के संयुक्तता एवं एकीकरण पर प्रथम त्रिसेवा सम्मेलन 'परिवर्तन चिंतन' का उद्घाटन किया। उन्होंने कहाकि भारतीय सशस्त्र बलों ने भविष्य के युद्धों केलिए तैयार रहने के अपने प्रयासों के क्रम में एक बड़े परिवर्तनकारी बदलाव की शुरुआत की है। उन्होंने कहाकि यह बदलाव प्रत्येक सेना की विशिष्टता का सम्मान करते हुए पारंपरिक अवधारणाओं को नया दृष्टिकोण देने केलिए तीनों सेनाओं का सर्वोत्तम उपयोग करता है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने ऐसी संरचनाएं, जो हमारी सैन्य दक्षता को बढ़ाती हों और हमारी युद्ध लड़ने की क्षमता एवं अंतर संचालनीयता में भी वृद्धि करती हों का निर्माण करके प्रत्येक सेवा की क्षमताओं को एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सेना के अधिकारियों और कर्मचारियों से कहाकि वे बढ़ी हुई सैन्य दक्षता, युद्ध कौशल और अंतरसंचालनीयता केलिए नवीन दृष्टिकोण बनाते हुए सेवा विशिष्टता अपनाएं। त्रिसेवा सम्मेलन सशस्त्र बलों में संयुक्तता और एकीकरण को बढ़ावा देने तथा नए एवं ताजा विचारों, पहलों और सुधारों का सृजन करने, विचार मंथन और इंक्यूबेशन चर्चा के रूपमें आयोजित किया गया था। सम्मेलन में अंडमान और निकोबार कमान एवं सामरिक बल कमान के प्रमुखों, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के कमांडेंट, रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, रक्षा प्रबंधन कॉलेज और सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ-साथ सशस्त्र बल विशेष संचालन प्रभाग, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी, रक्षा साइबर एजेंसी और रक्षा संचार एजेंसी के प्रमुखों ने भाग लिया।
त्रिसेवा सम्मेलन का आयोजन मुख्यालय इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ ने किया था। विविध सेवा अनुभव रखने वाले तीनों सेनाओं और मुख्यालय आईडीएस के अधिकारी भी इसमें शामिल हुए एवं उभरती व नवचारी प्रौद्योगिकियों को अपनाते हुए आधुनिकीकरण, खरीद, प्रशिक्षण, अनुकूलन और सहयोग से संबंधित अगली पीढ़ी के सुधारों को शुरू करने की दिशा में विचारों का आदान-प्रदान किया। सिविल और सैन्य दोनों क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाले राष्ट्रीय सामरिक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श हुआ। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के इंटिग्रेटिव डिफेंस स्टाफ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू ने विश्वास व्यक्त कियाकि ऐसे विचार-विमर्श भारतीय सशस्त्र बलों में भविष्य के बदलाव केलिए संयुक्त परिचालन संरचनाओं के रूपमें आवश्यक दिशानिर्देश उपलब्ध कराएंगे।