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रक्षामंत्री ने सियाचिन से देश की सुरक्षा आंकी

दुर्गम परिस्थितियों में तैनात सैनिकों से मिलने का वादा निभाया

'सियाचिन भारत की संप्रभुता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 22 April 2024 05:23:23 PM

defense minister interacted with armed forces personnel at siachen

सियाचिन। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देश की सुरक्षा स्थिति का प्रत्यक्ष आकलन करने केलिए आज भारत में विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन का दौरा किया। राजनाथ सिंह ने विपरीत मौसम और दुर्गम क्षेत्र की परिस्थितियों में तैनात सैनिकों से मुलाकात की। रक्षामंत्री केसाथ थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार और जनरल ऑफिसर कमांडिंग 14 कोर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली भी थीं। एरियल सर्वेक्षण के पश्चात रक्षामंत्री 15,100 फीट की ऊंचाई पर एक अग्रिम चौकी पर उतरे और उन्हें सियाचिन ग्लेशियर में परिचालन तैयारी एवं वर्तमान सुरक्षा स्थिति के बारेमें विस्तृत जानकारी दी गई। रक्षामंत्री ने जमीनी स्तरपर कमांडरों केसाथ परिचालन चुनौतियों से जुड़े पहलुओं पर भी विचार-विर्मश किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सैनिकों का उत्साहवर्धन करते हुए विषम परिस्थितियों में वीरता और दृढ़ संकल्प केसाथ मातृभूमि की रक्षा के पुण्य पथ पर चलने केलिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि राष्ट्र सशस्त्र बल कर्मियों का सदैव ऋणी रहेगा, क्योंकि सीमाओं पर उनके बलिदान की वजह से हर नागरिक सुरक्षित है। उन्होंने कहाकि हम शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं, क्योंकि हम आश्वस्त हैंकि हमारे बहादुर सैनिक सीमाओं पर दृढ़ता से खड़े हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि आनेवाले समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा का इतिहास लिखा जाएगा तो बर्फीले ठंडे ग्लेशियर में भारतीय सैनिकों की वीरता और दृढ़ इच्छाशक्ति को गर्व से याद किया जाएगा, यह भविष्य की पीढ़ियों केलिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगी। राजनाथ सिंह ने कहाकि सियाचिन कोई आम जगह नहीं है, बल्कि उन्होंने इसे भारत की संप्रभुता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया। उन्होंने कहाकि जैसे दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है, मुंबई वित्तीय राजधानी है, बेंगलुरु प्रौद्योगिकी राजधानी है, उसी तरह सियाचिन साहस, दृढ़ निश्चय और संकल्प की राजधानी है।
रक्षामंत्री ने उल्लेख कियाकि हालही में देश ने ऑपरेशन मेघदूत की सफलता की 40वीं वर्षगांठ मनाई है, भारतीय सेना के 13 अप्रैल 1984 को सियाचिन में शुरू किए गए इस ऑपरेशन को देश के सैन्य इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय बताया। उन्होंने कहाकि ऑपरेशन मेघदूत की कामयाबी हम सभी को गौरवांवित करती है। इस अवसर पर रक्षामंत्री ने मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देनेवाले वीर जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि के रूपमें सियाचिन युद्ध स्मारक पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित की। गौरतलब हैकि रक्षामंत्री ने 24 मार्च 2024 को लेह का दौरा किया था और सैनिकों केसाथ होली मनाई थी। उनका सियाचिन जाने का कार्यक्रम था, लेकिन प्रतिकूल मौसम के कारण इसे स्थगित करना पड़ा था। लेह से रक्षामंत्री ने सियाचिन में तैनात सैनिकों से फोन पर बात की थी और उन्हें बताया थाकि वह जल्द ही विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र का दौरा करेंगे और उनके साथ बातचीत करेंगे। इस तरह आजकी यात्रा केसाथ रक्षामंत्री ने अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद अपना वादा पूरा किया।

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