स्वतंत्र आवाज़
word map

आदिवासियों की मतदान में बड़ी भागीदारी

चुनाव आयोग ने गौरवान्वित मतदाता के रूप में किया नामांकित

जनजातीय थीम पर आधारित मतदान केंद्र जैसे विशेष प्रयास किए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 1 May 2024 05:13:21 PM

tribal people involved in electoral process on a large scale

नई दिल्ली। भारतीय निर्वाचन आयोग के पिछले दो वर्ष के प्रयासों के फलस्वरूप इसबार चुनावी प्रक्रिया में विशेष रूपसे कमजोर जनजातीय समुदायों और अन्य जनजातीय समूहों की भारी भागीदारी दिखाई दे रही है। चुनाव आयोग के प्रयासों का ही नतीजा हैकि आम चुनाव 2024 के पहले और दूसरे चरण में विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में जनजातीय समूहों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसबार ऐतिहासिक रूपसे ग्रेट निकोबार की शोम्पेन जनजाति ने पहलीबार आम चुनाव में मतदान किया। निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में पीवीटीजी समुदायों को शामिल करने केप्रति सचेत रहते हुए मतदाताओं के रूपमें उनके नामांकन और मतदान प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने केलिए विशेष प्रयास किए हैं। मतदाता सूची के अद्यतनीकरण केलिए विशेष सारांश पुनरीक्षण के दौरान उन विशिष्ट राज्यों में जहां पीवीटीजी निवास करते हैं, मतदाता सूची में उन्हें शामिल करने केलिए विशेष आउटरीच शिविर आयोजित किए गए। यह गौर करने वाली बात हैकि नवंबर 2022 में पुणे में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विशेष सारांश संशोधन 2023 के राष्ट्रीय स्तर के शुभारंभ पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पीवीटीजी को देश के गौरवशाली मतदाताओं के रूपमें नामांकित करने और उन्हें सशक्त बनाने केलिए आयोग के केंद्रित आउटरीच और हस्तक्षेप पर जोर दिया था।
मध्य प्रदेश में बैगा, भारिया और सहरिया कुल तीन पीवीटीजी समुदाय हैं, 23 जिलों की कुल 991613 पीवीटीजी आबादी में से 637681 नागरिक 18 साल से उम्र के हैं और ये सभी मतदाता सूची में पंजीकृत हैं। राज्य में संपन्न दो चरणों के मतदान में बैगा और भारिया जनजाति के मतदाताओं में काफी उत्साह देखा गया। वे सुबह-सुबह मतदान केंद्र पर पहुंच गए, वोट देने केलिए अपनी बारी का इंतजार किया और इस तरह लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। मतदान केंद्रों पर जनजातीय समूहों के स्वागत केलिए जनजातीय थीम पर आधारित मतदान केंद्र भी बनाए गए थे। मध्य प्रदेश के डिंडोरी में ग्रामीणों ने स्वयं मतदान केंद्रों को सजाया था। कर्नाटक के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र पीवीटीजी जेनु कुरुबा और कोरागा समुदाय के आवास हैं। आम चुनाव से पहले सामाजिक और आदिवासी कल्याण विभागों के सहयोग से मुख्य चुनाव अधिकारी कर्नाटक कार्यालय ने मतदाता सूची में पात्र पीवीटीजी का 100 प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित किया। जिला एवं एसी स्तर की आदिवासी कल्याण समितियां गठित की गईं जो सभी पीवीटीजी समुदाय का नामांकन सुनिश्चित करने और इनके बीच चुनावी जागरूकता पैदा करने केलिए नियमित रूपसे बैठकें करती थी। चुनाव अधिकारियों ने इनका पंजीकरण और चुनावी भागीदारी बढ़ाने केलिए इन क्षेत्रों का दौरा किया है। पूरी आबादी में 55815 पीवीटीजी हैं, उनमें से 39498 लोग 18 से अधिक उम्र के हैं और ये सभी मतदाता सूची में पंजीकृत हैं।
मतदान के दिन इन पीवीटीजी मतदाताओं को मतदान केलिए आकर्षित करने के प्रयास में आदिवासी थीम पर अद्वितीय 40 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। केरल में पांच आदिवासी समुदायों को पीवीटीजी के रूपमें वर्गीकृत किया गया है। वे कासरगोड जिले के कोरगा, नीलांबुर घाटी तथा मलप्पुरम जिले के चोलानायकन, अट्टापडी तथा पलक्कड़ जिले के कुरुंबर, परम्बिकुलम, पलक्कड़ और त्रिशूर जिले के कादर, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम तथा पलक्कड़ जिले के कट्टुनायकन हैं। पीवीटीजी की कुल आबादी 31 मार्च 2024 तक 4750 है, जिनमें से 3850 लोगों ने विशेष अभियानों और पंजीकरण शिविरों के माध्यम से सफलतापूर्वक मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया है। इनके बीच चुनावी साक्षरता क्लबों और चुनाव पाठशालाओं के जरिए गहन मतदाता जागरुकता पहल केसाथ मतदान के दिन परिवहन का प्रावधान सुनिश्चित किया गया। केरल के कुरुम्बा आदिवासी मतदाताओं ने प्रेरणादायक उपलब्धि हासिल की, वे केरल के साइलेंट घाटी के मुक्कली क्षेत्र में मतदान केंद्रों तक पहुंचने केलिए पहले सुलभ वन क्षेत्र तक जाने केलिए घंटों पैदल चले, फिर वहां से उनके परिवहन की सुविधा केलिए वाहन उपलब्ध कराए गए थे। कई 80 और 90 वर्ष की आयु के आदिवासी मतदाताओं ने लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण पेश किया और कई लोगों केलिए प्रेरणा भी बने।
रियांग त्रिपुरा के उन जनजातीय समूहों में से एक है, जो एकाकी भावना प्रदर्शित करता है। वे राज्य के विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में धलाई, उत्तर, गोमती और दक्षिण त्रिपुरा जिलों के विभिन्न स्थानों जैसे दूरदराज और पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। ब्रू समुदाय, जिसे रियांग समुदाय के नाम से भी जाना जाता है, मिजोरम राज्य से त्रिपुरा राज्य में चले गए और अब सरकार के प्रदान किए गए कई पुनर्वास स्थलों में रह रहे हैं। ओडिशा में 13 विशेष रूपसे कमजोर जनजातीय समूह रहते हैं। इनके नाम हैं-पौडी भुइया, जुआंग, सौरा, लांजिया सौरा, मनकिर्डिया, बिरहोर, कुटिया कोंधा, बोंडो, दिदाई, लोढ़ा, खारिया, चुकुटिया भुंजिया, डोंगोरिया खोंड। ओडिशा में इनकी कुल आबादी 264974 है। चुनाव आयोग के प्रयासों और पंजीकरण अभियान केसाथ सभी 184274 पात्र पीवीटीजी का मतदाता सूची में 100 प्रतिशत नामांकन हासिल कर लिया गया है। चुनावी भागीदारी के महत्व पर समय-समय पर जागरुकता गतिविधियां आयोजित की गईं और स्थानीय बोलियों में मतदाता शिक्षा सामग्री तैयार की गई। विशेष पंजीकरण अभियान केसाथ पारंपरिक लोक कलाओं और सामुदायिक जुड़ाव को शामिल करने वाला एक बहुआयामी दृष्टिकोण 100 प्रतिशत पीवीटीजी नामांकन सुनिश्चित करने में सहायक रहा है। पाला और डस्कथिया जैसे सांस्कृतिक रूपों केसाथ स्थानीय भाषाओं में किए गए नुक्कड़ नाटकों ने मतदाता शिक्षा और जागरुकता केलिए शक्तिशाली मीडिया के रूप में काम किया है।
जनजातीय समुदायों को चुनावी प्रक्रिया के बारेमें शिक्षित करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में मोबाइल प्रदर्शन वाहन चलाए गए थे और 20000 से अधिक पीवीटीजी ने उन्हें मतदान प्रक्रिया से परिचित कराने केलिए मॉक पोल में भाग लिया था। स्थानीय बोलियों में दीवार पेंटिंग करने के नए विचार से न केवल आसपास के क्षेत्रों के सौंदर्य को बढ़ाया गया, बल्कि निश्चित रूपसे वोट करें और मेरा वोट खरीदा नहीं जा सकता जैसे सशक्त संदेश भी दिए गए। ओडिशा में पौडी भुइयां जनजाति के मतदाताओं ने बोनाई जिले के अधिकारियों के प्रयासों से मजबूत होकर सांस्कृतिक रूपसे प्रेरित कार्यक्रम आयोजित किए। पीवीटीजी के क्षेत्रों में 666 थीम आधारित मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो तार्किक बाधाओं को दूर कर रहे हैं और उनकी पहुंच के भीतर मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित कर रहे हैं। राज्य में आगामी चरण 4-7 में मतदान होना है। बिहार में माल पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, पहाड़िया, कोरवा और बिरहोर सहित पांच पीवीटीजी समुदाय हैं। राज्य के दस जिलों में इनकी आबादी 7631 है। इनमें से पात्र 3147 लोगों को मतदाताओं के रूपमें उल्लेखनीय 100 प्रतिशत नामांकन किया गया। चुनाव में उनकी भागीदारी बढ़ाने केलिए 'मतदाता अपील पत्र' सहित एक व्यापक अभियान शुरू किया गया था। झारखंड में 32 आदिवासी समूह है, इनमें से 9 अर्थात असुर, बिरहोर, बिरजिया, कोरवा, माल पहाड़िया, पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, बैगा और सावर पीवीटीजी से संबंधित हैं।
झारखंड में एसएसआर 2024 के दौरान पीवीटीजी के आवास क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाए गए, जो ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र हैं, इसके परिणामस्वरूप 6979 नामांकन हुए, 18 साल से अधिक उम्र वाले 169288 पात्र पीवीटीजी अब मतदाता सूची में पंजीकृत हैं, कुल पीवीटीजी जनसंख्या 258266 है। गुजरात के 15 जिलों में कोलघा, कथोडी, कोटवालिया, पधार और सिद्दी आदिवासी समुदाय हैं, जो पीवीटीजी से संबंधित आदिवासी समूह हैं। राज्य में पात्र पीवीटीजी का 100 प्रतिशत पंजीकरण सुनिश्चित किया गया है। मतदाता सूची में कुल 86755 पंजीकृत हैं। गुजरात में आम चुनाव 2024 के तीसरे चरण में मतदान हो रहा है। तमिलनाडु में छह पीवीटीजी अर्थात कुट्टुनायकन, कोटा, कुरुम्बा, इरुलर, पनियान, टोडा हैं। इनकी कुल आबादी 226300 है और 18 साल से अधिक 162049 पीवीटीजी में से 161932 पंजीकृत मतदाता हैं। करीब 23 जिलों में फैले एक व्यापक अभियान में कोयंबटूर, नीलगिरी और तिरुपथुर जैसे क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण ध्यान देने केसाथ पीवीटीजी समावेशन को प्राथमिकता दी गई है। उत्साही मतदाता घने जंगल, जलमार्ग आदि विभिन्न साधनों से मतदान केंद्र तक पहुंचे और लोकसभा चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। छत्तीसगढ़ में 186918 की संयुक्त आबादी केसाथ पांच पीवीटीजी पाए जाते हैं, इनके नाम अबूझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, कामार और पहाड़ी कोरवा हैं, जो राज्य के 18 जिलों में फैले हुए हैं। 18 साल से अधिक लोगों की संख्या 120632 है और इन सभी को मतदाता सूची में पंजीकृत किया गया है।
आदिवासी समुदायों की चुनावी भागीदारी बढ़ाने केलिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें गरियाबंद में मतदाता शिक्षा अभियान, कांकेर में अतिरिक्त वाहनों की तैनाती और कबीरधाम जिले में बैगा आदिवासी थीम के तहत पर्यावरण अनुकूल मतदान केंद्रों की स्थापना और टिकाऊ चुनाव की दिशा में एक कदम के रूपमें सजावट केलिए बांस, फूल, पत्तियां जैसी प्लास्टिक मुक्त प्राकृतिक सामग्री का उपयोग शामिल है। एक उल्लेखनीय उपलब्धि में 100 प्रतिशत महाकाव्य कार्ड वितरण सुनिश्चित किया गया और महासमुंद जिले में चुनाई मड़ई त्योहार समारोह ने जनजातियों केसाथ जुड़ाव स्थापित करने में मदद की। भारत में 8.6 प्रतिशत जनजातीय आबादी है। इनमें आदिवासियों के 75 समूह शामिल हैं, जो विशेष रूपसे कमजोर जनजातीय समूह हैं। पहले के दुर्गम क्षेत्रों में नए मतदान केंद्रों के बनाए जाने से बड़े पैमाने पर पीवीटीजी को शामिल किया गया है। पिछले 11 राज्य विधान सभाओं के चुनाव में 14 पीवीटीजी समुदायों अर्थात कमार, भुंजिया, बैगा, पहाड़ी कोरवा, अबूझमाड़िया, बिरहोर, सहरिया, भारिया, चेंचू, कोलम, थोटी, कोंडारेड्डी, जेनु कुरुबा और कोरगा से लगभग 9 लाख पात्र मतदाता थे। निर्वाचन आयोग के विशेष प्रयासों ने इन राज्यों में आदिवासियों का 100 प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित किया।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]