स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 3 May 2024 11:12:24 AM
शिमला। हिमाचल प्रदेश में सेबों का जायका बिगड़ रहा है। कारण है-ख़राब मौसम और प्राकृतिक आपदाएं। इस कारण पिछले साल के आर्थिक नुकसानों में चल रहे हिमाचल के सेब कारोबारियों में इस बार भी डर और अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है। चाहे सेब उगाने वाले बाग़वान हों, मंडियों को संचालित करने वाले आढ़ती, सेब से जुड़े ट्रांसपोर्टर या फिर निज़ी सीए स्टोर ऑपरेटर्स। ये सारे लोग मौसम में अचानक बदलाव से चिंतित हैं। इस साल के मुनाफे से ज्यादा बड़ी चिंता यह हैकि पिछले साल के नुकसान और क़र्ज़ की भरपाई हो पाएगी की नहीं।
सेव की क़ीमतों के वर्तमान हालात ऐसेहैंकि प्रति बॉक्स पर आठ सौ रुपए से एक हज़ार रुपए तक का नुकसान चल रहा है, यानी चालीस-पैंतालीस रुपए प्रति किलो तक सेव की क़ीमत गिरी हुई है। हिमाचल प्रदेश में साल 2023 की प्राकृतिक त्रासदी के चलते यहां आधी से ज्यादा सेब की फसल बर्बाद हो गई थी। हालत ऐसे हो गए थेकि किसानों की सालभर की मेहनत के बावजूद उनकी कमाई लागत से भी कम रही। शुरूआत के कुछ दिनों में हालॉकि सेब की कीमत में कुछ सुधार दिखा था, लेकिन ख़राब क्वालिटी के कारण वो भी ज्यादा दिन नहीं टिक सका। जिन लोगों ने सेब के भंडारण के जरिये कुछ बेहतर कमाई की उम्मीद की थी, उचित मूल्यों के अभाव में उन्हें और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।
ग़ौर करने वाली बात हैकि सेब का भंडारण और ट्रांसपोर्ट में अच्छी खासी लागत आती है और मुनाफे का मार्जिन हमेशा काफी कम होता है। इस परिस्थिति में उम्मीद बस इस बात पर टिकी होती हैकि क्वालिटी अच्छी हो और सेब की सप्लाई भी सुचारु रूप से हो। किन्तु 2023 के पिछले साल बाढ़ की वजह से ना तो सेब की क्वालिटी अच्छी हो पाई, ना उचित मात्रा में मंडियों में माल पहुंच पाया। सेब किसान नुकसान के बावजूद इस उम्मीद पर कारोबार से आशांवित हैंकि अगले साल मौसम की मार नहीं पड़ेगी और सेव का उत्पादन उच्चगुणवत्ता के साथ जरूर लौटेगा।