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यूएन में भारतीय महिलाओं की आवाज़ें बुलंद!

चुनौतियों व संघर्षों के बीच प्रेरक पहलें और उपलब्धियां साझा कीं

भारत के पंचायती राज संस्थानों से निर्वाचित हैं ये महिला प्रतिनिधि

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 4 May 2024 06:22:58 PM

indian women raise voice in un

न्यूयॉर्क/ नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के पवित्र हॉल में जब महिला प्रतिनिधियों की बुलंद आवाजें गूंजीं तो यह दिन एक महत्वपूर्ण अवसर के रूपमें चिन्हित किया गया। भारत के पंचायती राज संस्थानों से निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों ने सीपीडी57 के इतर कार्यक्रम में छा गईं। इस कार्यक्रम का शीर्षक था 'एसडीजी का स्थानीयकरण: भारत में स्थानीय प्रशासन में महिला नेतृत्व'। इसमें महिला प्रतिनिधियों ने अपनी प्रेरणादायक कहानियों और परिवर्तनकारी पहलों से दर्शकों-श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तीन प्रतिष्ठित महिला पंचायत नेताओं सुप्रिया दास दत्ता, कुनुकु हेमा कुमारी और नीरू यादव ने बाल विवाह से निपटने, शिक्षा को बढ़ावा देने, वित्तीय समावेशन, आजीविका के अवसरों, पर्यावरणीय स्थिरता और खेल जैसी पहलों के माध्यम से महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के अपने अभूतपूर्व काम से प्रेरित हैं। उनकी कहानियां एसडीजी को साकार करने में महिला नेतृत्व की दृढ़ता और प्रभाव का उदाहरण हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और पंचायती राज मंत्रालय ने संयुक्त रूपसे 3 मई 2024 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय सचिवालय भवन में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के सहयोग से इस अतिरिक्त कार्यक्रम का आयोजन किया। यह अतिरिक्त कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या एवं विकास आयोग (सीपीडी57) के सत्तावनवें सत्र के एक भाग के रूपमें आयोजित किया गया था। यूएन में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने सत्ता के विकेंद्रीकरण और प्रत्यक्ष लोकतंत्र के प्रतीक के रूपमें भारत की अनूठी पंचायती राज व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की। राजदूत रुचिरा कंबोज ने प्रत्यक्ष लोकतंत्र के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूपमें पंचायती राज के माध्यम से विकेंद्रीकृत ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की भारत की अनूठी व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए संदर्भ स्थापित किया, जो सक्रिय लोगों को भागीदारी निभाने की सुविधा प्रदान करता है। करीब 14 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों केसाथ पंचायती राज व्यवस्था केतहत भारत की यात्रा सशक्तिकरण, समावेशन और प्रगति की एक कहानी है, जो विशेष रूपसे महिला नेतृत्व में हुई प्रगति को उजागर करती है। राजदूत ने महिलाओं से संबंधित मुद्दों को निपटाने पर विशेष ध्यान देने केसाथ सतत विकास लक्ष्यों को स्थानीय नियोजन प्रक्रियाओं केसाथ सावधानीपूर्वक जोड़ने पर जोर दिया।
पंचायती राज मंत्रालय में सचिव विवेक भारद्वाज ने भारत में मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था और भारत को 'लोकतंत्र की जननी' बनाने वाली ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की समृद्ध और पुरानी परंपरा पर प्रकाश डालते हुए स्थानीय शासन में महिलाओं को सशक्त बनाने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जिसमें 46 प्रतिशत से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि महिलाएं हैं। उन्होंने बतायाकि कैसे ग्राम पंचायतें संसाधनों और जियो-टैगिंग, पारदर्शिता केलिए ऑडिट ऑनलाइन जैसी तकनीकी की मदद और पंचायतों के समग्र विकास, प्रदर्शन और प्रगति का आकलन करने केलिए पंचायत विकास सूचकांक जैसी पहलों से समर्थित विषयगत वार्षिक योजनाओं के माध्यम से एसडीजी का स्थानीयकरण कर रही हैं। विवेक भारद्वाज ने कहाकि जमीनी स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाना लोकतंत्र की उन्नति, जीवंतता तथा मजबूती केलिए और एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाने केलिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार की ड्रोन दीदी और लखपति दीदी पहल जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करने केलिए विकास और नीतिगत हस्तक्षेप केलिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में पंचायती राज संस्थानों के अभिनव पहलों का उल्लेख किया।
प्रतिष्ठित महिला निर्वाचित प्रतिनिधि त्रिपुरा से सुप्रिया दास दत्ता, आंध्र प्रदेश से कुनुकु हेमा कुमारी और राजस्थान से नीरू यादव ने प्रभावशाली संवादात्मक प्रस्तुतियां प्रस्तुत की। इन्होंने स्थानीय शासन केसाथ ही कई विषयगत क्षेत्रों में एसडीजी के स्थानीयकरण को बढ़ावा देने में अपने अनुभव और नवाचार साझा किए। बाल विवाह की समस्या से निपटने से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका के अवसरों और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने तक, इन्होंने जमीनी स्तर के नेतृत्व की परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण दिया। उन्होंने नेतृत्व के दौरान अपनी यात्रा में आने वाली चुनौतियों और संघर्षों के बारेमें जानकारी देने केसाथ यहभी बतायाकि उन्होंने उन चुनौतियों से कैसे पार पाया। सुप्रिया दास दत्ता ने महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से की गई पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें सरकारी कार्यालयों में महिलाओं केलिए अलग शौचालयों का निर्माण और उनके नेतृत्व में स्वयं सहायता समूहों की संख्या में 600 से लगभग 6000 तक की तेजीसे वृद्धि शामिल है। उन्होंने अपनी प्रभावशाली पहल 'आपकी बात जरूर बताई जानी चाहिए' का जिक्र करते हुए महिलाओं की आवाज़ को बुलंद करने और यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पहल के महत्व को रेखांकित कियाकि उनके मुद्दों को न केवल सुना जाए, बल्कि उन पर जल्द कार्रवाई भी की जाए।
कुनुकु हेमा कुमारी ने स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्तीय संसाधनों तक पहुंच, वित्तीय स्वतंत्रता और उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर होने के अनुकूल महिलाओं केलिए सक्षम वातावरण बनाने के महत्व पर जोर दिया। नीरू यादव ने स्वच्छ भारत अभियान और प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगाने के प्रयासों सहित पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने वाली पहलों का प्रदर्शन किया, जिसमें स्वच्छ और हरित भविष्य के निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित किया गया। उन्होंने लड़कियों में खेल भावना पैदा करने और उनमें नेतृत्व विकसित करने के अपने प्रयासों और सफलताओं का उल्लेख किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं में संयुक्तराष्ट्र में नॉर्वे के उप स्थायी प्रतिनिधि एंड्रियास लोवोल्ड और यूएनएफपीए के प्रतिनिधि शामिल थे, जिनमें यूएनएफपीए के एशिया प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक पियो स्मिथ, यूएनएफपीए में उप कार्यकारी निदेशक (कार्यक्रम) डायने कीता और यूएनएफपीए भारत प्रतिनिधि एंड्रिया एम वोज्नार भी शामिल थीं, जिन्होंने लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने और एसडीजी को स्थानीय बनाने में भारत के प्रयासों की सराहना की। संयुक्तराष्ट्र में नॉर्वे के उपस्थायी प्रतिनिधि राजदूत एंड्रियास लोवोल्ड ने विकास के उत्प्रेरक के रूपमें विशेष रूपसे आर्थिक विकास में स्थानीय शासन में महिलाओं के नेतृत्व का महत्व बताया। उन्होंने स्थानीय शासी निकायों में महिलाओं के नेतृत्व केसाथ नॉर्वे के अनुभव साझा किए और इसके सकारात्मक प्रभाव तथा परिणामों पर जोर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने वैश्विक समुदाय केलिए प्रेरणा के रूपमें भारत के महिला नेतृत्व वाले विकास की सराहना की।
यूएनएफपीए के क्षेत्रीय निदेशक पियो स्मिथ ने परिवर्तनकारी महिला नेतृत्व के माध्यम से सभी स्तरों पर असमानताओं को कम करने में भारत की मजबूत प्रगति की सराहना की। उन्होंने लिंग-संवेदनशील नीतियों और महिला नेताओं की क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने में यूएनएफपीए की भूमिका पर जोर दिया। यूएनएफपीए की भारत प्रतिनिधि एंड्रिया एम वोज्नार ने कहाकि एसडीजी हासिल करने में दुनिया की सफलता के लिए भारत की सफलता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि अगर भारत सफल होता है तो दुनिया एसडीजी हासिल करने में सफल होती है। उन्होंने पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पंचायत विकास सूचकांक पर लाए गए ब्रोशर की भी सराहना की। पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर ने बतायाकि पंचायतों की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों का उत्साह, जोश और प्रतिबद्धता एसडीजी को साकार करने में तेजी लाने केलिए दूसरों को प्रेरित और प्रभावित करने केलिए एक प्रकाशस्तंभ के रूपमें काम करती है। सीपीडी57 अतिरिक्त कार्यालय ने एसडीजी हासिल करने की दिशा में स्थानीय शासन में महिलाओं के अमूल्य योगदान को रेखांकित किया। इसने भारत के पंचायती राज मॉडल को स्थानीय शासन की एक प्रभावी प्रणाली के रूपमें निर्यात करने की वैश्विक मांग को जन्म दिया, जिससे इच्छुक विदेशी प्रतिनिधिमंडलों को भारत की पंचायती राज प्रणाली और पंचायती राज संस्थानों की प्रतिभा और नवीनता को प्रत्यक्ष रूपसे देखने केलिए आमंत्रित किया गया। सीपीडी57 अतिरिक्त कार्यक्रम ने महिलाओं के नेतृत्व वाले स्थानीय शासन के सफल पंचायती राज मॉडल से सीखने और इसे संस्थागत बनाने की वैश्विक मांग पैदा की। 

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