स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 6 May 2024 05:54:53 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ज्ञान और शिक्षा के केंद्र के रूपमें भारत की ऐतिहासिक श्रेष्ठता को रेखांकित करते हुए कहा हैकि देश अपने गौरव को फिरसे हासिल करने के मार्ग पर दृढ़ता से बढ़ रहा है। उपराष्ट्रपति आज दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के 62वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा संस्थानों की गौरवशाली विरासत का उल्लेख किया। उन्होंने समकालीन समय में भारत के शैक्षिक परिदृश्य में आदर्श बदलाव और पुनरुत्थान का वृतांत सुनाया। उपराष्ट्रपति ने कामकाजी पेशेवरों, गृहिणियों और छात्रों सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से विविध शिक्षार्थियों केलिए एक परिवर्तनकारी मंच प्रदान करने केलिए एसओएल की सराहना की। उन्होंने कहाकि एसओएल ने उन लोगों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं, जो पहले विभिन्न परिस्थितियों से मजबूर होकर शिक्षा से वंचित रह गए थे, वे अब अपनी दिनचर्या को बाधित किए बिना शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपनी शिक्षा प्राप्त करने में बाधित लोगों को दूसरा मौका देने केलिए एसओएल की सराहना की, जो पहले औपचारिक शिक्षा से चूक गए थे। उन्होंने कहाकि एसओएल ने ज्ञान और कौशल के माध्यम से हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाया, जिससे वास्तविक समावेशिता का माहौल तैयार होने में मदद मिली। जगदीप धनखड़ ने शैक्षणिक संस्थानों के सार और गुणवत्ता को आकार प्रदान करने में बुनियादी ढांचे की तुलना में संकाय की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया। परिवर्तन केलिए शिक्षा का सबसे प्रभावशाली और परिवर्तनकारी तंत्र के रूपमें उल्लेख करते हुए उन्होंने कहाकि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का साधन ही नहीं है, बल्कि यह प्रगति, सशक्तिकरण और सामाजिक बदलाव की आधारशिला भी है। उन्होंने कहाकि शिक्षा उस ताले की वह कुंजी है, जो प्रगति समृद्धि और सशक्तिकरण के द्वार खोलती है, शिक्षा सबसे बड़ा अधिकार और दान है। उन्होंने कहाकि शिक्षा से बड़ा कोई मौलिक अधिकार नहीं हो सकता और शिक्षा से बड़ा कोई दान नहीं हो सकता।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने छात्रों से असफलता को सफलता की कुंजी मानने का आग्रह किया और कहाकि चंद्रयान की यात्रा से प्रेरणा लेते हुए जहां शुरुआती असफलताओं केबाद चंद्रयान ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आसानी से लैंडिंग की। भारतीय शैक्षिक परिदृश्य में नई शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण भूमिका पर उन्होंने कहाकि एनईपी एक परिवर्तनकारी बदलाव की शुरुआत करती है और समग्र शिक्षार्थी विकास केलिए रोडमैप तैयार करने केसाथ-साथ 21वीं सदी की चुनौतियों केलिए सुसज्जित ज्ञानवान समाज का निर्माण भी करती है। उन्होंने लचीले शिक्षण मार्गों, प्रौद्योगिकी एकीकरण, विविध आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को मान्यता देने केबारे में एनईपी के योगदान पर जोर दिया। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त कियाकि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग जैसे शिक्षा संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच का विस्तार करने और लंबे समय से चली आरही खामियों को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिसकी एनईपी ने कल्पना की है। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह, कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग दिल्ली विश्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर पायल मागो, संकाय सदस्य, छात्र और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।