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Tuesday 7 May 2024 06:10:59 PM
नई दिल्ली। राष्ट्र के रणनीतिक उद्देश्यों में महत्वपूर्ण योगदान देकर उन्हें पूरा करते हुए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) आज अपना 65वां स्थापना दिवस मना रहा है। ज्ञातव्य हैकि सीमा सड़क संगठन की स्थापना 1960 में हुई थी, उस समय संगठन केपास केवल दो परियोजनाएं-पूर्व में प्रोजेक्ट टस्कर (अब वर्तक) और उत्तर में प्रोजेक्ट बीकन थी। आज इसका 11 राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में विस्तार हो चुका है और इस समय बीआरओ 18 परियोजनाओं पर कार्य करने वाला एक महत्वपूर्ण संगठन है। इसने अब ऊंचाई वाले और कठिन बर्फीले क्षेत्रों में अग्रणी बुनियादी ढांचा निर्माण एजेंसी के रूपमें अपनी साख स्थापित की है। सीमा सड़क संगठन मुख्य रूपसे सशस्त्र बलों की रणनीतिक आवश्यकताओं को पूरा करने केलिए उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर 9000 फीट से 19000 फीट तककी ऊंचाई पर सड़क निर्माण और रखरखाव कार्यों को निष्पादित करता है।
बीआरओ ने छह दशक से अधिक समय में भारत की सीमाओं के साथ-साथ भूटान, म्यांमा, अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान सहित मित्र देशों में प्रतिकूल जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में 62,214 किलोमीटर से अधिक सड़कों, 1005 पुलों, सात सुरंगों और 21 हवाई क्षेत्रों का निर्माण किया है। इस प्रकार सीमा सड़क संगठन ने राष्ट्र के रणनीतिक उद्देश्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बीआरओ के स्थापना दिवस पर नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा हैकि दुर्गम इलाकों और मौसम की विपरीत दुरूह स्थिति में सीमा सड़क संगठन ने अपने दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। उन्होंने सीमा सड़क संगठन को एक अत्यंत महत्वपूर्ण संगठन बताया, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी मूलभूत परियोजनाओं के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के अतिरिक्त देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
रक्षा सचिव ने परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से संपन्न करने केलिए बीआरओ की प्रशंसा की और विश्वास व्यक्त कियाकि बीआरओ कर्मयोगी रिकॉर्ड समय में सीमा बुनियादी ढांचे के विकास को जारी रखेंगे। रक्षा सचिव ने बीआरओ से आग्रह कियाकि वे परियोजनाओं को तीव्रगति से करने केलिए नवीनतम तकनीकों को अपनी कार्यप्रणाली में शामिल करे। उन्होंने कहाकि भविष्य में बीआरओ केलिए स्वचालन और मशीनीकरण महत्वपूर्ण होगा। रक्षा सचिव ने सिल्कयारा सुरंग ढहने और सिक्किम बाढ़ के दौरान राहत और बचाव प्रयासों में बीआरओ कर्मियों के बहुमूल्य योगदान का स्मरण किया। उन्होंने कहाकि यह संगठन वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम में अनुकरणीय भूमिका निभाएगा, वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम के तहत चुने हुए सीमावर्ती गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना की गई है।
बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने इस अवसर पर सीमा सड़क संगठन के सभी रैंकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहाकि सीमा सड़क संगठन की अखिल भारतीय उपस्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा, कनेक्टिविटी और विकास केप्रति इसकी प्रतिबद्धता को व्यक्त करती है। उन्होंने कहाकि टैगलाइन 'इन द साइलेंस ऑफ आवर ग्रेट माउंटेन्स-वर्क स्पीक्स' बीआरओ के समर्पण, दृढ़ता और देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन पर प्रभाव को दर्शाती है। उन्होंने सभी रैंकों से जुड़े कर्मियों का आह्वान कियाकि वे लोगों के आपसी संपर्क केलिए स्थानों को जोड़ने का कार्य जारी रखें एवं प्रगति, समृद्धि और एकता की स्थायी विरासत को संजोय रखने और नवीनतम प्रयासों को जारी रखने की प्रतिज्ञा करें। कार्यक्रम में रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने सेला सुरंग पर एक सार संग्रह केसाथ ऊंचिन सदाकेन, पथ प्रदर्शक और पथ विकास सहित कुछ पुस्तकों का भी अनावरण किया।
रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने वर्ष 2023-24 केलिए बीआरओ कर्मियों को उत्कृष्टता पुरस्कार दिए और संगठन में शामिल महिला कर्मियों को विशिष्ट उपलब्धियों केलिए सम्मानित किया। सेला टनल जैसी विभिन्न परियोजनाओं केसाथ-साथ सिक्किम बाढ़ के दौरान काम करने वाले आकस्मिक भुगतान वाले मजदूरों को भी सम्मानित किया गया। गौरतलब हैकि सीमा सड़क संगठन ने 2023-24 में 3,611 करोड़ रुपये की कुल 125 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पूरी कर ली हैं, इसमें अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड पर सेला सुरंग का निर्माण शामिल है। यह सुरंग हाल हीमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईटानगर से समारोहपूर्वक राष्ट्र को समर्पित की थी। बीआरओ शीघ्र ही 4.10 किलोमीटर लंबी शिंकुन ला सुरंग पर निर्माण कार्य शुरू करेगा,। इसका निर्माण कार्य पूर्ण होने पर यहसुरंग चीन में 15,590 फीट की मिला सुरंग को पीछे छोड़ते हुए 15,800 फीट की दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग बन जाएगी। सीमा सड़क संगठन ने बागडोगरा और बैरकपुर नाम की दो महत्वपूर्ण हवाई क्षेत्र परियोजनाओं को भी पूर्ण कर लिया है, ये परियोजनाएं संगठन की उत्कृष्टता यात्रा में एक और मील का पत्थर है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हालही में मुध एयरफील्ड परियोजना की आधारशिला रखी थी, सीमा सड़क संगठन का लक्ष्य इस परियोजना को केवल दो कार्यसत्रों के अंतराल में ही पूरा कर लेना है। कुछ वर्ष में सीमा सड़क संगठन के बजट व्यय में तेजीसे वृद्धि देखी गई है, इससे पता चलता हैकि संगठन अपनी क्षमताओं के अनुरूप कार्यों को तीव्रगति से पूर्ण करने केलिए निरंतर गतिशील है। बजट प्रावधान में वृद्धि ने बीआरओ को महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू करने, बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने और इसकी परिचालन तैयारी को बढ़ाने केलिए सशक्त बनाया है। बीआरओ स्त्री-पुरुष समानता, समावेशिता को बढ़ावा देने, महिलाओं को महत्वपूर्ण भूमिकाएं और अवसर प्रदान करने में अग्रणी है। कर्नल पोनुंग डोमिंग जैसे अधिकारी पूर्वी लद्दाख में महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहे हैं और सहायक कार्यकारी अभियंता (सिविल) निकिता चौधरी ने सेला सुरंग परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।