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Saturday 11 May 2024 01:36:11 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) के 22वें दीक्षांत समारोह में चिकित्सा शिक्षा में श्रेष्ठ प्रदर्शन करनेवाले मेधावी छात्र-छात्राओं को डिप्लोमा, डॉक्टरेट, फेलोशिप और स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त कीकि उपाधियां पानेवाले लगभग 12,400 विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या छात्रों से लगभग 750 अधिक है, स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी छात्राओं और छात्रों की संख्या में लगभग 35 का अंतर है, यानी छात्राओं की संख्या अधिक है। राष्ट्रपति ने कहाकि मेडिकल शिक्षा में पोस्ट ग्रेजुएट और उससे भी ऊपर के स्तर की उच्चशिक्षा में छात्राओं का आगे बढ़ना हमारे समाज और देश की बहुत बड़ी उपलब्धि है, इसमें सक्रिय योगदान केलिए मैं एनबीईएमएस की पूरी टीम को बधाई देती हूं। उन्होंने कहाकि योग्यता के सर्वोच्च मानकों पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करके हमारी बेटियां नए भारत का नया चित्र प्रस्तुत कर रही हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि एनबीईएमएस के प्रयासों से देश में चिकित्सा विशेषज्ञ विद्वानों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि भारत के डॉक्टरों ने विश्वस्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है और किफायती चिकित्सा के कारण भारत चिकित्सा पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र भी बन गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण अंग हमारे डॉक्टर ही हैं और विशेषज्ञ डॉक्टर देश की स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक ऊंचाई पर ले जाएंगे यह मेरा विश्वास है। उन्होंने कहाकि विशेषज्ञ डॉक्टरों की यह पीढ़ी वर्ष 2047 के विकसित भारत की विकसित स्वास्थ्य सेवाओं को नेतृत्व प्रदान करेगी। द्रौपदी मुर्मू ने विद्यार्थियों पर विश्वास जतायाकि शिक्षा और परीक्षा के समान मानकों के लक्ष्य के साथही वे भारत में स्वास्थ्य सेवा मानकों को विश्वस्तर पर स्थापित करने के प्रयास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। चिकित्सा आपात स्थिति में समय के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि इस अवधि के दौरान उपचार मिलने पर रोगियों का जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने कहाकि विशेषज्ञ डॉक्टरों को आपातकालीन रोगियों केप्रति संवेदनशील होना चाहिए और उन्हें कभीभी आपातकालीन रोगी को उपचार केलिए कहीं और जाने केलिए नहीं कहना चाहिए।
राष्ट्रपति ने एक कहावत का संदर्भ देते हुएकि 'न्याय में देरी न्याय से वंचित रखना होता है' कहाकि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में समय और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उपचार में देरी से जीवन से वंचित होना पड़ सकता है। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि कभी-कभी हम दुखद समाचार सुनते हैंकि यदि समय पर इलाज मिल जाता तो व्यक्ति की जान बचाई जा सकती थी, ऐसे में अगर जान बच भी जाए तो कई स्थितियों में उपचार में देरी से स्वास्थ्य खराब हो जाता है, ऐसे उदाहरण अक्सर पक्षाघात के रोगियों में देखने को मिलते हैं, समय पर उपचार न मिलने के कारण मरीज अपने अंगों को हिलाने-डुलाने की क्षमता खो देते हैं और दूसरों पर निर्भर होने को मजबूर हो जाते हैं। राष्ट्रपति ने पिछले लगभग चार दशक में चिकित्सा शिक्षा में योगदान केलिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज के भूतपूर्व और वर्तमान सदस्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि एनबीईएमएस के प्रयासों से देश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। राष्ट्रपति ने चिकित्सकों से त्वरित स्वास्थ्य सेवा, संवेदनशील स्वास्थ्य सेवा और सस्ती स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान देने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहाकि वे अपना समय निर्धन मरीजों को निःशुल्क उपचार देकर देश और समाज केलिए अमूल्य योगदान दे सकते हैं। उन्होंने मेडिकल छात्रों से कहाकि यदि उन्होंने चिकित्सा को अपने व्यवसाय के रूपमें चुना है तो अवश्य ही उनमें मानवता की सेवा करने की इच्छा भी है। उन्होंने सेवा भावना की रक्षा, संवर्द्धन और प्रसार करने का आह्वान किया। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे देश की विशाल जनसंख्या को देखते हुए चिकित्सकों की उपलब्धता लगातार बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि सभीका यह प्रयास होना चाहिएकि मात्रा के साथ-साथ गुणवत्ता कोभी प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने डॉक्टरों को देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण अंग बताया और विश्वास जतायाकि वे देश की स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।