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Monday 13 May 2024 04:36:56 PM
उमरोई (मेघालय)। भारत और फ्रांस संयुक्त सैन्य अभ्यास 'शक्ति' के 7वें संस्करण की आज भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के उमरोई में पूर्ण रूपसे विकसित और आधुनिक विदेशी प्रशिक्षण नोड में शुरूआत हो चुकी है। यह सैन्य अभ्यास 26 मई तक आयोजित किया जाएगा। संयुक्त अभ्यास के उद्घाटन समारोह में भारत में फ्रांस के राजदूत थियरी मथोउ और 51 सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल प्रसन्ना सुधाकर जोशी उपस्थित थे। युद्धाभ्यास शक्ति एक द्विवार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जो बारी-बारी से भारत और फ्रांस में आयोजित किया जाता है। इसका पिछला संस्करण नवंबर 2021 में फ्रांस में हुआ था।
भारत-फ्रांस संयुक्त सैन्य अभ्यास में भारत की 90 कर्मियों वाली टुकड़ी का प्रतिनिधित्व मुख्य रूपसे राजपूत रेजिमेंट की एक बटालियन के अलावा दूसरी सैन्य टुकड़ियों और सेवाओं के कर्मी कर रहे हैं। भारतीय नौसेना और वायुसेना के पर्यवेक्षक भी अभ्यास का एक हिस्सा बनेंगे। संयुक्त सैन्य अभ्यास में 90 कर्मियों वाली फ्रांसीसी टुकड़ी का प्रतिनिधित्व मुख्यरूप से 13वीं फॉरन लिजन हाफ-ब्रिगेड के कर्मी कर रहे हैं। शक्ति अभ्यास का मुख्य उद्देश्य संयुक्तराष्ट्र जनादेश के अध्याय VII केतहत उप पारंपरिक परिदृश्य में विविध क्षेत्र संचालनों केलिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है। संयुक्त अभ्यास में अर्धशहरी और पहाड़ी इलाकों में संचालनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। संयुक्त प्रशिक्षण से अर्जित किए जानेवाले उद्देश्यों में उच्चस्तर की शारीरिक फिटनेस, सामरिक स्तरपर संचालनों केलिए अभ्यास और परिष्कृत अभ्यास तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना भी शामिल है।
भारत-फ्रांस सैन्याभ्यास के दौरान सामरिक ड्रील में निर्धारित क्षेत्र पर कब्जा करने की आतंकवादी कार्रवाई से निपटना, एक संयुक्त कमांड पोस्ट की स्थापना करना, खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना करना, हेलीपैड/ लैंडिंग साइट की सुरक्षा करना, छोटे दल की प्रविष्टि करना एवं निष्कर्षण करना, विशेष हेलिबॉर्न ऑपरेशन, घेरा और तलाशी अभियान के अलावा ड्रोन तथा काउंटर ड्रोन सिस्टम का उपयोग करना भी शामिल है। शक्ति अभ्यास दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम बनाएगा। इससे दोनों देशों के सशस्त्र बलों के कर्मियों केबीच अंतर-संचालन, सौहार्द और सौजन्यता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे दोनों मित्र देशों केबीच न केवल रक्षा से सहयोग का स्तर बढ़ेगा, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों को भी बढ़ावा मिलेगा।