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Tuesday 14 May 2024 06:32:46 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर साइबर अपराधियों द्वारा पुलिस अधिकारियों, केंद्रीय जांच ब्यूरो, नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियां का रूप धारणकर धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और डिजिटल अरेस्ट जैसी वारदातों को अंजाम देने के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। साइबर धोखेबाज आमतौर पर संभावित पीड़ित को कॉल करते हैं और कहते हैंकि पीड़ित ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है। कभी-कभी वे यह भी सूचित करते हैंकि पीड़ित का कोई करीबी या प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है। ऐसे कथित केस में समझौता करने केलिए पैसे की मांग की जाती है।
साइबर ब्लैकमेलिंग के कुछ मामलों में पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट का सामना करना पड़ता है और उनकी मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉंफ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर धोखेबाजों केलिए उपलब्ध रहने पर मजबूर किया जाता है। ये साइबर जालसाज़ पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का उपयोग करने में माहिर होते हैं और असली दिखने केलिए वर्दी पहने रहते हैं। देशभर में ऐसे अपराधियों के जाल में फंसकर कई पीड़ितों ने बड़ी मात्रा में धन गंवाया है। यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और ऐसा माना जाता हैकि इसे सीमापार आपराधिक सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय केतहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र देश में साइबर अपराध से निपटने से संबंधित गतिविधियों का समन्वय करता है एवं गृह मंत्रालय इनसे निपटने केलिए दूसरे मंत्रालयों एवं उनकी एजेंसियों, भारतीय रिज़र्व बैंक और अन्य संगठनों केसाथ मिलकर काम कर रहा है।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ऐसे मामलों की पहचान और जांच केलिए राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है, यह धोखेबाजों द्वारा उपयोग किए जानेवाले सिमकार्ड, मोबाइल उपकरणों और म्यूल खातों को ब्लॉक करने में भी मदद कर रहा है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘Cyberdost’ पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के जरिए विभिन्न अलर्ट जारी किए हैं जैसेकि X, फेसबुक, इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स। नागरिकों को इस प्रकार की जालसाज़ी से सावधान रहने और इनके बारेमें जागरुक रहने की सलाह दी गई है। ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर सहायता केलिए इसे रिपोर्ट करना चाहिए।