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Thursday 23 May 2024 05:09:31 PM
नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार के क्षेत्र में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, कई भारतीय कंपनियां दूरसंचार उपकरणों का डिज़ाइन, निर्माण और निर्यात में वृद्धि करते हुए विश्व के 70 देशों तक विस्तार कर चुकी हैं। दूरसंचार विभाग के डिजिटल संचार आयोग की सदस्य (प्रौद्योगिकी) मधु अरोड़ा ने दिल्ली में रक्षा क्षेत्र से संबंधित सूचना और संचार प्रौद्योगिकी कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र में यह जानकारी साझा की। मधु अरोड़ा ने बतायाकि भारत के निर्यात में 35 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और भारत दुनिया के सर्वश्रेष्ठ निर्माताओं केसाथ गुणवत्ता मामले में बराबरी कर रहा है। उन्होंने कहाकि भारत में लगभग 4,42,000 5जी बेस स्टेशन स्थापित किए गए हैं और 5जी सेवा में उपयोग किए गए लगभग 80 प्रतिशत उपकरण स्वदेश में ही निर्मित किए गए हैं। उन्होंने कहाकि नवाचार और विनिर्माण को प्रोत्साहन देने की भारत की प्रतिबद्धता ने इसे अत्याधुनिक विश्वसनीय दूरसंचार प्रणाली और उपयुक्त समाधान प्रदान करने में वैश्विक नेतृत्व के रूपमें स्थापित किया है, जिसे अन्य देशों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सकता है।
दूरसंचार विभाग के डिजिटल संचार आयोग की सदस्य (प्रौद्योगिकी) मधु अरोड़ा ने कहाकि हम प्रौद्योगिकी विकास में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने केलिए प्रौद्योगिकी से जुड़े गठजोड़ केलिए तैयार हैं। उन्होंने कहाकि किसीभी देश के रक्षा क्षेत्र को बदलने केलिए भारतीय दूरसंचार उत्पादों की क्षमता बहुत अधिक है एवं लागत प्रभावशीलता, विश्वसनीय दूरसंचार उत्पादों और विशेषज्ञता का उपयोग करके सुगम संचार बुनियादी ढांचा बनाया जा सकता है, जो सुरक्षा बलों को राष्ट्रीय हितों की अधिक प्रभावी ढंग से रक्षा करने में सक्षम बनाता है। सचिव (पूर्व) विदेश मंत्रालय भारत सरकार के जयदीप मजूमदार ने कहाकि कोईभी देश सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में पिछड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता, क्योंकि राष्ट्रीय रक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। जयदीप मजूमदार ने कहाकि वास्तविक समय समन्वय की सुविधा से लेकर उन्नत डेटा विश्लेषण और निर्णय लेने में सक्षम बनाने तक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी 21वीं सदी में रक्षा संचालन का आधार है। उन्होंने कहाकि भारत का महत्वपूर्ण सूचना और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र, जो नवाचार और सरलता की विशेषता रखता है भविष्य केलिए तैयार है।
विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव जयदीप मजूमदार ने कहाकि भारत केपास उपग्रह प्रौद्योगिकियों में महत्वपूर्ण क्षमताएं हैं, जो आज रक्षा क्षमताओं में एक आवश्यक तत्व हैं, उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व मानवरहित प्रणालियों केसाथ आईसीटी का उपयोग रक्षा संचालन को बदलने केलिए बहुत बड़ा वादा करता है। उन्होंने उल्लेख कियाकि दूरसंचार क्षेत्र जिसके पास नेटवर्क अवसंरचना, कनेक्टिविटी समाधान और संचार प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता है, रक्षा प्रतिष्ठानों के सामने आनेवाली जटिल चुनौतियों का समाधान करने केलिए प्रमुख रूपसे उपलब्ध है। उन्होंने कहाकि इसके अलावा साइबर सुरक्षा के मामले में भारत की दक्षता ऐसे क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, जहां साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा केलिए एक बड़ा जोखिम पैदा करते हैं। उन्होंने कहाकि हमारे सूचना और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एंक्रिप्शन प्रौद्योगिकियों से लेकर खतरे का पता लगाने वाली प्रणालियों तकके विश्वस्तरीय साइबर सुरक्षा समाधान उपलब्ध हैं। टीईपीसी के अध्यक्ष एनजी सुब्रमण्यम ने कहाकि भारत ने सूचना और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्षमताएं विकसित की हैं, हमारे साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ रक्षा नेटवर्क को मजबूत करने, उन्हें साइबर हमलों से बचाने और बहुत संवेदनशील सूचनाओं को गलत हाथों में पड़ने से बचाने केलिए चौबीस घंटे अथक परिश्रम करते हैं।
टीईपीसी के अध्यक्ष एनजी सुब्रमण्यम ने कहाकि डेटा विश्लेषक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हमारी विशेषज्ञता सुरक्षाबलों को पूर्वानुमानित अंतर्दृष्टि और कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी केसाथ सशक्त बनाती है, जिससे निर्णय लेने और परिचालन प्रभावशीलता में वृद्धि होती है। ज्ञातव्य हैकि विदेश व्यापार नीति के दायरे में दूरसंचार उपकरणों व सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने और विकसित करने केलिए वर्ष 2009 में भारत सरकार ने टीईपीसी की स्थापना की थी। परिषद का दायरा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर, बुनियादी ढांचा उत्पाद, सेवा प्रावधान, सिस्टम एकीकरण और परामर्श सेवाओं सहित संपूर्ण दूरसंचार इकोसिस्टम को शामिल करता है। टीईपीसी दूरसंचार क्षेत्र के भीतर विविध हितधारकों, जिनमें उपकरण निर्माता, सिस्टम इंटीग्रेटर, सेवा प्रदाता और अन्य प्रासंगिक संस्थाएं शामिल हैं को प्रभावी ढंग से पूरा करता है। कॉन्क्लेव में 21 कंपनियों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया और 12 से अधिक सीआईएस और आसियान देशों के राजदूतों, रक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधि, वाणिज्य क्षेत्र के प्रमुखों ने भाग लिया। दूरसंचार उपकरण और सेवा निर्यात संवर्धन परिषद ने दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सहयोग से यह कॉन्क्लेव आयोजित किया था। टीईपीसी के महानिदेशक अरुण गुप्ता ने कॉन्क्लेव में धन्यवाद ज्ञापन किया।