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Thursday 4 July 2013 09:33:51 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय समेकित बाल विकास सेवाओं के मिशन संचालन समूह ने लघु आँगनवाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं के मानदेय को 1500 रूपए से बढ़ाकर 2250 रूपए करने की मंजूरी दे दी है। इससे देश में कुल एक लाख 16 हजार स्वीकृत आंगनवाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं को लाभ होगा। मिशन संचालन समूह ने आईसीडीएस के पुनर्संयोजन के तहत ग्रामीण संपर्क की एक प्रमुख पहल की भी अनुमति दी है, ताकि आंगनवाड़ी केंद्र को महिला और समुदाय से संबंधित एक शिशु अनुकूल केंद्र के रूप में स्थापित किया जाए। इसके लिए 19 अगस्त 2013 से देश भर में सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर महीने के तयशुदा दिनों में ईसीसीई डेज यानि बचपन की देखभाल और शिक्षा आयोजित की जाएगी। इससे प्रस्तावित राष्ट्रीय ईसीसीई नीति को ग्रामीण स्तर पर भी पहुंचाया जा सकेगा।
राष्ट्रीय मिशन संचालन समूह ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय, अन्य मंत्रालयों और राज्य सरकारों के सहयोग से शिशु अनुकूल आंगनवाड़ी केंद्र निर्मित करने की प्रतिबद्धता भी फिर से दोहराई है। राष्ट्रीय मिशन संचालन समूह ने मनरेगा के अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण, शिशु गृहों के प्रावधान और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय की मातृ एवं शिशु संरक्षा कार्ड (एमसीपीसी) की विशिष्ट पहल की सराहना की है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने गुरूवार को नई दिल्ली में पुनर्संयोजित समेकित बाल विकास सेवा के राष्ट्रीय मिशन संचालन समूह की प्रथम बैठक में कहा कि भारत की पोषण चुनौतियों पर प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय परिषद से संबद्ध पोषण समन्वय के लिए नोडल प्लेटफॉर्म के रूप में निर्दिष्ट राष्ट्रीय समेकित बाल विकास सेवाएं के मिशन संचालन समूह ने मातृ और शिशु पोषण के प्रति उच्च प्राथमिकता की पुन: पुष्टि की है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक इत्यादि कई राज्यों ने समेकित बाल विकास सेवा-आईसीडीएस मिशन स्थापित किया है और स्नेह शिविर, नए आँगनवाड़ी केंद्र के निर्माण जैसी कई पहल की हैं।
कृष्णा तीरथ ने कहा कि एकीकृत शिशु विकास सेवा सेवा योजना–आईसीडीएस बच्चों के समग्र विकास के लिए भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे छोटे बच्चों और गर्भवती तथा दूध पिलाने वाली माताओं के स्वास्थ्य, पोषण और विकास आवश्यकताओं के लिए वर्ष 1975 में आरंभ किया गया था। उन्होंने कहा कि इतने वर्षों में इस योजना को काफी व्यापक बनाया गया है, तकि लघु कलश्चर समूहों तक भी इसका लाभ पहुंच सके, हालांकि इस योजना को व्यापक बनाए जाने से संसाधन, प्रबंधन तथा सेवा गुणवत्ता और मानकों की दृष्टि से बहुत बड़ी चुनौती भी सामने आई है। आईसीडीएस की पुनर्संयोजित योजनाओं के प्रभावी अमल के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय राज्यों के मंत्रियों एवं विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से बहुमूल्य सुझावों की अपेक्षा करता है।
उन्होंने राज्य सरकारों से राज्य, जिला और प्रखंड स्तर पर इस बारे में आवश्यक समितियों का तुरंत गठन करने का भी अनुरोध किया है तथा सभी संबद्ध पक्षों से विभिन्न स्तरों पर समाभिरूपता सुनिश्चित करने को कहा, ताकि पुनर्संयोजित और सशक्त आईसीडीएस द्वारा अभिकल्पित योजनाओं को भली-भांति अमल में लाया जा सके। कृष्णा तीरथ ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय मातृ एवं शिशु कुपोषण की समस्या के निदान के लिए इससे उच्च तौर पर प्रभावित 200 जिलों में विविध स्तरीय कार्यक्रम भी आरंभ करेगा। यह कार्यक्रम भारत में पोषण चुनौतियों पर प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय परिषद की अनुशंसा पर आधारित पहल है।