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Wednesday 19 June 2024 05:42:56 PM
राजगीर (बिहार)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पहले बिहार में नालंदा के खंडहरों को देखा, जिन्हें 2016 में संयुक्तराष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था। ये ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर हैं, जो कभी ज्ञान और शिक्षा का विश्वविख्यात केंद्र हुआ करता था, जो विश्व के प्रथम आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता था, जिसे देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अतीत में खो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। इस विश्वविद्यालय के पुर्नरुद्धार की परिकल्पना भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के देशों केबीच सहयोग प्रणाली के रूपमें की गई थी। उद्घाटन समारोह में 17 देशों के मिशन प्रमुखों सहित कई प्रतिष्ठित अतिथि शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक पौधा भी लगाया। प्रधानमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षक विद्वानों की मौजूदगी में इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहाकि नालंदा केवल एक नाम नहीं है, यह एक पहचान है, एक सम्मान है, नालंदा मूल है और मंत्र भी है, नालंदा इस सत्य का उद्घोष हैकि ज्ञान नष्ट नहीं हो सकता, भले ही पुस्तकें आग में जल जाएं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि नवीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना भारत के स्वर्ण युग का शुभारंभ करेगी।
बारहवीं शताब्दी के अंत में तुर्की अफ़ग़ान सेनापति बख्तियार खिलजी ने 1200 ईस्वी में नालंदा विश्वविद्यालय को आग लगवाकर नष्ट कर दिया था। माना जाता हैकि इस विश्वविद्यालय में दुर्लभतम शोधग्रंथों, इतिहास सनातन धर्म संस्कृति, सभ्यता के लेखन से समृद्धशाली लाखों किताबें करीब छह महीने तक धूं-धूंकर जलीं। बख्तियार खिलजी ने मठ भी ध्वस्त कर दिया था, शिक्षकों, विद्वानों और बौद्ध भिक्षुओं को मारकर मूल्यवान पुस्तकालय में आगज़नी की और कराई एवं उत्तर भारत में बौद्धशासित कुछ क्षेत्रों पर कब्ज़ा भी किया। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्तवंश के शासक कुमार गुप्त प्रथम ने 450-470 ईस्वी के बीच कराई थी। इतिहास कहता हैकि हेमंत कुमार गुप्त के उत्तराधिकारियों का नालंदा विश्वविद्यालय को पूरा संरक्षण और सहयोग मिला। गुप्तवंश के पतन के बाद भी सभी शासनकर्ताओं ने इसकी समृद्धि में अपना योगदान जारी रखा। इसे महान सम्राट हर्षवर्द्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला। भारत के शासनकर्ताओं और अनेक विदेशी शासकों से भी नालंदा विश्वविद्यालय को अनुदान मिला, मगर बख्तियार खिलजी के सनातन पर हिंसक अत्याचारों के फलस्वरूप नालंदा विश्वविद्यालय आजतक खंडहर है। यह दुर्भाग्य हैकि आजादी के बाद कांग्रेस सरकारों में भी नालंदा मुस्लिम तुष्टिकरण की भेंट चढ़ा रहा। इस विश्वविख्यात शिक्षा संस्थान के खंडहरों को देखने केलिए या उसपर शोध करने केलिए आज भी देश-विदेश के विद्वान और इतिहास के जानकार नालंदा पहुंचते हैं। बिहार सरकार ने इसे संरक्षित करने की कोशिशें की हैं, लेकिन इन खंडहरों को देखकर बस रोना आता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि नालंदा के प्राचीन अवशेषों के निकट इसका पुर्नरूद्धार विश्व को भारत की क्षमताओं से परिचित कराएगा, इससे विश्व को यह जानकारी मिलेगी कि प्रबल मानवीय मूल्यों वाला राष्ट्र भारत इतिहास का कायाकल्प करके एक बेहतर विश्व का निर्माण करने में सक्षम हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि नालंदा में विश्व, एशिया और कई देशों की विरासत समाहित है और इसका पुर्नरूद्धार सिर्फ भारतीय पहलुओं के पुर्नरूद्धार तक सीमित नहीं है, आजके उद्घाटन में इतने देशों की उपस्थिति से यह स्पष्ट हैकि उन्होंने नालंदा परियोजना में मित्र देशों के योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने नालंदा में परिलक्षित होने वाले गौरव को लौटाने केलिए बिहार के लोगों के दृढ़ संकल्प की भी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने नालंदा को भारत की संस्कृति और परंपराओं का जीवंत केंद्र बताते हुए कहाकि नालंदा का अर्थ ज्ञान और शिक्षा का निरंतर प्रवाह है और यही सदैव से शिक्षा केप्रति भारत का दृष्टिकोण और सोच रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि शिक्षा सीमाओं से परे है, यह मूल्यों और विचारों को आकार प्रदान करते हुए उन्हें विकसित करती है। उन्होंने कहाकि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रों को उनकी अलग-अलग पहचान और राष्ट्रीयता के बावजूद प्रवेश दिया जाता था। उन्होंने आधुनिक रूपमें नवनिर्मित नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में उन्हीं प्राचीन परंपराओं को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि 20 से अधिक देशों के छात्र पहले से ही नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं, जोकि 'वसुधैव कुटुम्बकम' का आदर्श उदाहरण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा को मानव कल्याण के साधन के रूपमें स्वीकार करने की भारतीय परंपरा का उल्लेख किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के संदर्भ में कहाकि यह एक अंतर्राष्ट्रीय उत्सव बन गया है। उन्होंने कहाकि योग की इतनी सारी विधाएं विकसित करने के बावजूद भारत में किसी ने भी योग पर एकाधिकार नहीं जताया, इसी तरह भारत ने आयुर्वेद को संपूर्ण विश्व से साझा किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में हमने प्रगति और पर्यावरण को एकसाथ आगे बढ़ाया है, इसने भारत को स्वस्थ जीवन शैली और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी पहल करने का अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहाकि नालंदा परिसर अग्रणी नेट जीरो एनर्जी, नेट जीरो एमिशन, नेट जीरो वाटर और नेट जीरो वेस्ट मॉडल के साथ निरंतरता की भावना को आगे बढ़ाएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि शिक्षा के विकास से अर्थव्यवस्था और संस्कृति की जड़ें गहरी होती हैं और यह वैश्विक और विकसित देशों के अनुभव से साबित होता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत, वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य को हासिल करने केलिए कार्यकर रहा है तथा अपनी शिक्षा प्रणाली को परिवर्तित कर रहा है। उन्होंने कहाकि हमारा मिशन हैकि भारत विश्व के सम्मुख शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बने, भारत की पहचान फिरसे दुनिया के सर्वप्रमुख ज्ञान केंद्र के रूप में हो। प्रधानमंत्री ने यहां अटल टिंकरिंग लैब्स जैसी पहलों का उल्लेख किया, जिनसे एक करोड़ से अधिक विद्यार्थी लाभांवित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि चंद्रयान और गगनयान अभियान से छात्रों में विज्ञान के प्रति रुचि जागृत हुई है और स्टार्टअप इंडिया अभियान के माध्यम से भारत में 1.30 लाख स्टार्टअप शुरू हुए हैं, जबकि दस साल पहले स्टार्टअप की संख्या मात्र कुछ सौ थी। उन्होंने कहाकि रिकॉर्ड संख्या में पेटेंट और शोधपत्र दाखिल किए गए और शोधार्थियों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का शोध कोष बनाया गया। प्रधानमंत्री ने विश्व में सर्वाधिक उन्नत शोधोन्मुख उच्च शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ व्यापक और पूर्ण कौशल प्रणाली बनाने केलिए सरकार के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने वैश्विक रैंकिंग में भारत के विश्वविद्यालयों के बेहतर प्रदर्शन का भी उल्लेख किया। पिछले 10 वर्ष में शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में हाल की उपलब्धियों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने क्यूएस रैंकिंग में भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की संख्या 9 से बढ़कर 46 और टाइम्स हायर एजुकेशन इम्पैक्ट रैंकिंग में 13 से बढ़कर 100 होने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्ष के दौरान प्रत्येक सप्ताह देश में एक विश्वविद्यालय, हर दिन एक नया आईटीआई और दो नए कॉलेज तथा हर तीसरे दिन एक अटल टिंकरिंग लैब खोली गई है। उन्होंने कहाकि भारत में आज 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैं और भारतीय प्रबंधन संस्थानों की संख्या 13 से बढ़कर 21 हो गई है, एम्स की संख्या लगभग तीन गुना बढ़कर 22 और मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी लगभग दोगुनी हो गई है। शिक्षा क्षेत्र में सुधारों पर प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति का उल्लेख किया और कहाकि इसने भारत के युवाओं के सपनों को एक नया आयाम दिया है।
नरेंद्र मोदी ने भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों केबीच सहयोग एवं डीकिन और वोलोंगोंग जैसे अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के नए परिसरों के देश में खुलने का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि इन सभी प्रयासों से भारतीय छात्रों को उच्चशिक्षा केलिए भारत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान मिल रहे हैं, इससे मध्यम वर्ग के पैसे भी बच रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज पूरी दुनिया की दृष्टि भारत और भारत के युवाओं पर है। उन्होंने कहाकि भारत भगवान बुद्ध की भूमि है और संपूर्ण विश्व लोकतंत्र की जननी केसाथ कंधेसे कंधा मिलाकर चलना चाहता है। उन्होंने कहाकि जब भारत कहता है 'एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य' तो विश्व उसके साथ खड़ा हो जाता है। उन्होंने कहाकि जब भारत कहता है 'एक सूर्य एक विश्व एक ग्रिड' तो इसे दुनिया के भविष्य का मार्ग माना जाता है। उन्होंने कहाकि जब भारत कहता है 'एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य' तो विश्व उसके विचारों का सम्मान करता है और उसे स्वीकार करता है। उन्होंने कहाकि नालंदा की धरती सार्वभौमिक भाईचारे की इस भावना को एक नया आयाम दे सकती है, इसलिए नालंदा के छात्रों की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। नालंदा के छात्रों और विद्वानों को भारत का भविष्य बताते हुए प्रधानमंत्री ने अमृत काल के अगले 25 वर्ष के महत्व को रेखांकित किया और उनसे नालंदा के 'मार्ग' और मूल्यों को अपने साथ लेकर चलने का आह्वान किया। उन्होंने उनसे जिज्ञासु, साहसी और सबसे बढ़कर अपने लोगों के अनुरूप दयालु बनने को कहा तथा समाज में सकारात्मक परिवर्तन केलिए काम करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि नालंदा का ज्ञान, मानवता को दिशा प्रदान करेगा और भविष्य में यहां के युवा संपूर्ण विश्व का नेतृत्व करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनका मानना हैकि नालंदा वैश्विक हित का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा।
नवीन नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में 40 कक्षाओं वाले दो शैक्षणिक खंड हैं। इनमें 1900 छात्र बैठ सकेंगे। इसमें 300-300 सीटों की क्षमता वाले दो सभागार, लगभग 550 छात्रों की क्षमता वाला एक छात्रावास और अन्य कई सुविधाएं हैं, जिनमें एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, 2000 व्यक्तियों की क्षमता वाला एक एम्फीथिएटर, एक संकाय क्लब और एक खेल परिसर शामिल हैं। यह परिसर एक 'नेट ज़ीरो' हरित परिसर है। यह सौर ऊर्जा संयंत्र, घरेलू और पेयजल उपचार संयंत्र, अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के लिए जल पुनर्चक्रण संयंत्र, 100 एकड़ जल निकाय और कई अन्य पर्यावरण-अनुकूल सुविधाओं से लैस है। नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास से गहरा नाता है। लगभग 1600 साल पहले स्थापित मूल नालंदा विश्वविद्यालय को विश्व के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है। नवीन नालंदा विश्वविद्यालय परिसर के उद्घाटन पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ सुब्रह्मण्यम जयशंकर, केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री पबित्र मार्गेरिटा, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, सम्राट चौधरी, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया और नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह और गणमान्य नागरिक विद्वान उपस्थित थे।