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Thursday 20 June 2024 06:42:56 PM
मुंबई। मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के जूरी सदस्यों ने इस वर्ष की फिल्मों की चुनौतीपूर्ण चयन प्रक्रिया से संबंधित जानकारियां और अनुभव साझा किए। जूरी के अध्यक्ष और पुरस्कार विजेता भारतीय फिल्म निर्माता भरत बाला ने फिल्मों की आकर्षक एवं प्रतिस्पर्धी प्रकृति की सराहना की। विभिन्न सांस्कृतिक नैरेटिव के बावजूद मानवीय कहानियों की सार्वभौमिकता पर जोर देते हुए भरत बाला ने बड़े पर्दे पर डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को प्रदर्शित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि भारत में हमारे पास अद्भुत बुनियादी ढांचा है, हमें बस साहसिक निर्णय लेने और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को बड़े पर्दे पर दिखाने की जरूरत है। भरत बाला ने भारत में छात्रों केबीच डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के अधिक से अधिक प्रदर्शन का भी आग्रह किया। उनका मानना हैकि इससे उनकी बौद्धिक क्षमता का विस्तार होगा और गैर काल्पनिक फिल्म निर्माण की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। भरत बाला ने कहाकि हम डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को देखकर अधिक मानवीय बनते हैं।
डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण में वैश्विक ताकत बार्थेलेमी फौगा ने चयन प्रक्रिया के दौरान विषयवस्तु के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहाकि ज्ञान और संस्कृति की उन्नति केलिए डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को बढ़ावा देना आवश्यक है। बार्थेलेमी फौगा ने कहाकि डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का मतलब मिशन का प्रसार है। उन्होंने भारत से अपनी समृद्ध सामाजिक एवं सांस्कृतिक विरासत और विशाल प्रतिभा पूल केसाथ डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के अपने उत्पादन को बढ़ाने का आग्रह किया। बार्थेलेमी फौगा ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के मूल्य के बारेमें चर्चा करते हुए कहाकि जितना अधिक हम सहयोग करेंगे, हम उतने ही अधिक सार्वभौमिक बनेंगे। अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर प्रशंसित डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता केइको बैंग ने चयन प्रक्रिया के दौरान विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार साझा किए तथा अंतिम व्याख्या को आकर्षक और समृद्ध बताया। उन्होंने कहाकि अभिव्यक्ति की शैली और पैटर्न अलग-अलग होते हुए भी फिल्म की भाषा सार्वभौमिक बनी हुई है।
फिल्म निर्माता केइको बैंग ने माध्यम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहाकि माध्यम ही संदेश है, यह वह माध्यम है, जो अधिकांश समय विषयवस्तु को आकर्षक बनाता है, इसलिए डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को बड़े पर्दे पर दिखाया जाना चाहिए। भारतीय फिल्म उद्योग में प्रशंसित साउंड डिजाइनर मानस चौधरी ने चयन प्रक्रिया को कठिन और चुनौतीपूर्ण बताया, लेकिन फिल्मों पर विभिन्न दृष्टिकोणों एवं विचारों के कारण यह दिलचस्प भी है। उन्होंने पिछले कुछ वर्ष में भारतीय गैर काल्पनिक फिल्मों की गुणवत्ता में विषयवस्तु और तकनीकी दोनों पहलुओं में उल्लेखनीय सुधार को स्वीकार किया। जूरी सदस्यों ने सामूहिक रूपसे इस वर्ष की प्रविष्टियों द्वारा कवर किए गए उच्च मानकों और विविध विषयों की प्रशंसा की। उन्होंने मानवीय कहानियों की सार्वभौमिक अपील और ज्ञान एवं सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने में डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की महत्वपूर्ण भूमिका से अवगत कराया।