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भारत-मंगोलिया सैन्य अभ्यास मेघालय में शुरू

आतंकवाद विरोधी अभियानों में संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ावा

दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में और वृद्धि होगी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 3 July 2024 05:31:30 PM

india-mongolia military exercise begins in meghalaya

उमरोई (मेघालय)। भारत और मंगोलिया केबीच संयुक्त सैन्य अभ्यास नोमैडिक एलीफेंट का 16वां संस्करण आज उमरोई (मेघालय) के विदेशी प्रशिक्षण नोड में आरंभ हो चुका है। यह अभ्यास 16 जुलाई 2024 तक आयोजित किया जाना है। सैन्य अभ्यास में 45 कर्मियों वाले भारतीय दल का प्रतिनिधित्व सिक्किम स्काउट्स की एक बटालियन और दूसरी शाखाओं के भी सैन्यकर्मी कर रहे है। मंगोलियाई दल का प्रतिनिधित्व मंगोलियाई सेना की 150 त्वरित प्रतिक्रिया बल बटालियन के कर्मी कर रहे हैं। नोमैडिक एलीफेंट अभ्यास एक वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जो भारत और मंगोलिया में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। पिछला संस्करण जुलाई 2023 में मंगोलिया में आयोजित किया गया था।
भारत-मंगोलिया के सैन्याभ्यास नोमैडिक एलीफेंट के उद्घाटन समारोह में भारत में मंगोलिया के राजदूत डंबाजाविन गनबोल्ड और भारतीय सेना के 51 सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल प्रसन्ना जोशी ने भाग लिया। अभ्यास का उद्देश्य संयुक्तराष्ट्र अधिदेश के अध्याय VII केतहत उप पारंपरिक परिदृश्य में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने केलिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है। यह अभ्यास अर्ध-शहरी और पर्वतीय क्षेत्रों में किए जानेवाले प्रचालनों पर केंद्रित होगा। अभ्यास के दौरान सामरिक अभ्यासों में आतंकवादी कार्रवाई का प्रत्युत्तर देना, एक संयुक्त कमान पोस्ट की स्थापना, एक खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना, हेलीपैड/ लैंडिंग साइट की सुरक्षा, छोटी टीमों का समावेश और निकासी, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन, घेराबंदी और तलाशी अभियान के अतिरिक्त ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम का उपयोग आदि शामिल हैं।
मंगोलिया के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ के प्रमुख मेजर जनरल ज्ञानब्याम्बा सुनरेव 16 जुलाई को भारतीय सेना की 33 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल जुबिन ए मिनवाला केसाथ समापन समारोह में भाग लेंगे। नोमैडिक एलीफेंट अभ्यास से दोनों देश संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम होंगे। यह अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच अंतर संचालन, सौहार्द और सहयोग विकसित करने में भी सहायक होगा। इससे रक्षा सहयोग का स्तर भी बढ़ेगा, जिससे दोनों मित्र देशों केबीच द्विपक्षीय संबंधों में और वृद्धि होगी।

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