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'भारतीय विदेश नीति में एससीओ का प्रमुख स्थान'

आतंकवाद समर्थक देशों को अलग थलग व बेनकाब करें-जयशंकर

अस्ताना में एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद का शिखर सम्मेलन हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 4 July 2024 06:20:33 PM

sco council of heads of state summit in astana

अस्ताना/ नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कजाखिस्तान के शहर अस्ताना में एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद का शिखर सम्मेलन में भारत की ओर से वक्तव्य दिया और कहाकि भारतीय विदेश नीति में एससीओ एक प्रमुख स्थान रखता है। उन्होंने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरीबार भारत का प्रधानमंत्री चुने जाने पर शुभकामनाएं देने केलिए उपस्थित राजनेताओं का धन्यवाद किया। विदेश मंत्री ने कहाकि भारत सराहना केसाथ याद करता हैकि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य के रूपमें उसका प्रवेश 2017 कज़ाकिस्तान प्रेसीडेंसी के दौरान हुआ था, तबसे हमने एससीओ में अध्‍यक्षता का एक पूर्ण चक्र पूरा कर लिया है। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारत ने 2020 में शासनाध्यक्षों के प्रमुखों की परिषद की बैठक केसाथ-साथ 2023 में राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की बैठक की मेजबानी की थी। डॉ एस जयशंकर ने एससीओ संगठन के सदस्य के रूपमें भाग लेनेवाले ईरान को बधाई दी। उन्होंने हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और उनके साथ कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की भी दुखद मृत्यु पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्सांद्र लुकाशेंको को बधाई दी और एससीओ संगठन के नए सदस्य के रूपमें बेलारूस का स्वागत किया। उन्होंने कहाकि हम आज महामारी के प्रभाव, चलरहे संघर्षों, बढ़ते तनाव, विश्वास की कमी और दुनियाभर में हॉटस्पॉट की बढ़ती संख्या की पृष्ठभूमि में एकत्रित हुए हैं और इन घटनाओं ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों एवं वैश्विक आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण दबाव डाला है। उन्होंने कहाकि इस सम्‍मेलन का उद्देश्य विकास के परिणामस्‍वरूप आई चुनौतियों के समाधान केलिए जमीन तलाशना है। डॉ एस जयशंकर ने कहाकि एससीओ एक सिद्धांत आधारित संगठन है, जिसकी सर्वसम्मति इसके सदस्य देशों के दृष्टिकोण को संचालित करती है। उन्होंने कहाकि इस समय विशेष रूपसे यह उल्लेखनीय हैकि हम अपनी विदेश नीतियों के आधार के रूपमें संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता, समानता, पारस्परिक लाभ, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, बल का प्रयोग न करने या बल प्रयोग की धमकी केलिए परस्पर सम्मान को दोहरा रहे हैं, हमने राज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों के विपरीत कोई भी कदम न उठाने पर भी सहमति व्यक्त की है।
डॉ एस जयशंकर ने कहाकि ऐसा करते समय स्वाभाविक रूपसे आतंकवाद का मुकाबला करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और यह शंघाई सहयोग संगठन के मूल लक्ष्यों में से एक है। उन्होंने कहाकि हममें से कई लोगों केपास ऐसे अनुभव हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे उत्पन्न होते हैं, हमें यह स्पष्ट करदेना चाहिएकि अगर इसे यूंही अनियंत्रित छोड़ दिया जाएगा तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति केलिए बड़ा ख़तरा बना रहेगा। उन्होंने कहाकि किसीभी रूप या अभिव्यक्ति में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता है या उसे माफ नहीं किया जा सकता है। डॉ एस जयशंकर ने जोर देकर कहाकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को उन देशों को अलग-थलग और बेनकाब करना चाहिए, जो आतंकवादियों को संरक्षण देते हैं और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहाकि सीमापार आतंकवाद का निर्णायक उत्‍तर देने की आवश्यकता है और आतंकवाद के वित्तपोषण की भर्त्‍सना की जानी चाहिए, हमें अपने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने केलिए भी सक्रिय कदम उठाने चाहिएं। उन्होंने जिक्र कियाकि पिछले वर्ष भारत की अध्यक्षता के दौरान इस विषय पर जारी संयुक्त वक्तव्य भारत की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहाकि आज हमारे सामने एक और प्रमुख चिंता जलवायु परिवर्तन की भी है, हम वैकल्पिक ईंधनों में बदलाव, इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और जलवायु लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित उत्सर्जन में प्रतिबद्ध कमी लाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस संदर्भ में भारत की शंघाई सहयोग सम्‍मेलन की अध्यक्षता के दौरान उभरते ईंधनों पर एक संयुक्त वक्तव्य और परिवहन क्षेत्र में डी-कार्बोनाइजेशन पर एक अवधारणा पत्र को स्‍वीकृति दी गई। उन्होंने कहाकि आर्थिक विकास केलिए सुदृढ़ कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है, इससे हमारे समाजों केबीच सहयोग और विश्वास का मार्ग भी प्रशस्त हो सकता है। उन्होंने कहाकि कनेक्टिविटी और आधारभूत ढांचा परियोजनाओं केलिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आवश्यक है, इसी तरह गैर भेदभावपूर्ण व्यापार अधिकार और पारगमन व्यवस्थाएं भी हैं, एससीओ को इन पहलुओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है। डॉ एस जयशंकर ने कहाकि 21वीं सदी प्रौद्योगिकी की सदी है, हमें प्रौद्योगिकी को रचनात्मक बनाना होगा और इसे अपने समाज के कल्याण और प्रगति केलिए क्रियांवित करना होगा। उन्होंने कहाकि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय रणनीति तैयार करने और एआई मिशन शुरू करने वाले देशों में से एक है, एआई फॉर ऑल केप्रति हमारी प्रतिबद्धता एआई सहयोग पर रोडमैप पर एससीओ ढांचे के भीतर काम करने में भी परिलक्षित होती है।
डॉ एस जयशंकर ने कहाकि भारत का इस क्षेत्र के लोगों केसाथ गहरा और सभ्यतागत संबंध है एवं एससीओ केलिए मध्य एशिया की महत्‍व को पहचानते हुए हमने उनके हितों और आकांक्षाओं को प्राथमिकता दी है और यह उनके साथ अधिक से अधिक आदान-प्रदान, परियोजनाओं और गतिविधियों में परिलक्षित होता है। उन्होंने कहाकि भारत केलिए एससीओ में सहयोग जनकेंद्रित है और भारत में एससीओ बाजरा खाद्य महोत्सव, एससीओ फिल्म महोत्सव, एससीओ सूरजकुंड शिल्प मेला, एससीओ थिंक-टैंक सम्मेलन और साझा बौद्ध विरासत पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए गए हैं और हम स्वाभाविक रूपसे दूसरों के इसी तरह के प्रयासों का समर्थन करेंगे। उन्होंने प्रसन्‍नता व्यक्त कीकि पिछले साल इसके उद्घाटन केबाद से एससीओ सचिवालय के नई दिल्ली हॉल में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, इसमें 2024 में 10वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी शामिल है। उन्होंने इस बात पर बल दियाकि शंघाई सहयोग सम्‍मेलन लोगों को एकजुट करने, सहयोग करने, विकास और एकसाथ समृद्ध होने केलिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है, यह वसुधैव कुटुम्बकम के सहस्राब्दी पुराने सिद्धांत का पालन करता है, जिसका अर्थ है 'विश्व एक परिवार है', हमें इन भावनाओं को लगातार व्यावहारिक सहयोग में परिवर्तित करना चाहिए। डॉ एस जयशंकर ने एससीओ शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी केलिए कज़ाकिस्तान को बधाई दी और अगले अध्यक्ष पद केलिए चीन को भी शुभकामनाएं दीं।

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