स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 6 July 2024 06:47:56 PM
नई दिल्ली। कंबोडिया के सिविल अधिकारियों केलिए राष्ट्रीय सुशासन केंद्र नई दिल्ली में आयोजित 'सार्वजनिक नीति और शासन' विषय पर 5वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। दो सप्ताह का यह कार्यक्रम विदेश मंत्रालय के सहयोग से 24 जून से 5 जुलाई तक आयोजित किया गया। कार्यक्रम में कंबोडिया के 40 सिविल अधिकारियों ने भाग लिया था, जो सिविल सेवा मंत्रालय और कंबोडिया की सीनेट के संयुक्त सचिव, निदेशक, उप सचिव और अवर सचिव जैसे पदों पर हैं। कार्यक्रम ने नीति संवाद और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने केलिए एक मंच प्रदान किया, जिससे प्रतिभागियों को संस्थागत परिवर्तन और नागरिक सहभागिता में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिली। एनसीजीजी के महानिदेशक और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग भारत सरकार के सचिव वी श्रीनिवास ने इस अवसर पर भारत-कंबोडिया केबीच दीर्घकालिक मैत्रीपूर्ण और ऐतिहासिक संबंधों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि नागरिक और सरकार केबीच आपसी सहभागिता को सरल बनाना सिविल सेवकों की जिम्मेदारी है। शिकायत निवारण मॉडल से कई उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने विस्तार से बतायाकि कैसे प्रौद्योगिकी ने पारदर्शिता और जवाबदेही को बेहतर बनाते हुए नागरिकों को सरकार के करीब लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने उत्कृष्ट और सार्थक प्रस्तुतियों केलिए प्रतिभागी अधिकारियों की सराहना भी की।
भारत में कंबोडिया के उच्चायुक्त एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोय कुओंग ने भारत-कंबोडिया की सभ्यताओं की प्राचीनता की बात की और अपने अधिकारियों के क्षमता निर्माण में समर्थन करने केलिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने बतायाकि किस तरह दोनों देश ज्ञान और बुद्धि का आदान-प्रदान कर रहे हैं और लोग तीर्थयात्रा तथा चिकित्सा आवश्यकताओं केलिए एक-दूसरे देशों की यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि समापन सत्र में प्रतिभागियों द्वारा क्षममा निर्माण कार्यक्रम से सीखी गई बातों को व्यावहारिक और उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के रूपमें प्रदर्शित करना उत्साहजनक था। उन्होंने कहाकि द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों केबीच सहयोग के मूल में हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों की मानव संसाधन पूंजी का निर्माण करना है, जो आम लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने केलिए आवश्यक हैं तथा जिससे सुशासन प्राप्त करने में मदद मिलती है। कंबोडिया की सीनेट की उप महानिदेशक और कंबोडिया प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख से पग्नवथे ने भी इस अवसर केलिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कंबोडियाई सिविल सेवा अधिकारियों केलिए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन केलिए एनसीजीजी के महानिदेशक वी श्रीनिवास और प्रशिक्षण टीम को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने बतायाकि कैसे उन्होंने सार्वजनिक नीति और शासन के क्षेत्र में कई सर्वोत्तम तौर-तरीकों को सीखा और कैसे भारत में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जा रहा है।
कंबोडिया की सीनेट की उप महानिदेशक का मानना थाकि इस तरह के अनुभव से अधिकारी नागरिकों को बेहतर से बेहतर सेवाएं देने और सुशासन प्राप्त करने में और ज्यादा समक्ष होंगे। सीखने के परिणामों के हिस्से के रूपमें भाग लेनेवाले सिविल सेवकों ने कंबोडिया में नीति निर्माण और कार्यांवयन में सिविल सेवाओं की भूमिका, कंबोडिया में सामाजिक संरक्षण, कंबोडिया हाइब्रिड डिजिटल 2050 की ओर और नीति निर्माण एवं कार्यांवयन में कंबोडिया संसद की भूमिका विषयों पर चार विस्तृत और व्यावहारिक प्रस्तुतियां दीं। एनसीजीजी के एसोसिएट प्रोफेसर और कार्यक्रम के पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ बीएस बिष्ट ने कहाकि प्रशिक्षण के पहले सप्ताह में विभिन्न विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें सार्वजनिक नीति और प्रबंधन, जीईएम: सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाना, भारतीय संवैधानिक योजना में संसद, भारत-कंबोडिया संबंध, अवसंरचना में सार्वजनिक निजी भागीदारी, सुशासन केलिए एक उपकरण के रूपमें आधार, स्वास्थ्य शासन, शासन पर संसदीय उपकरणों का प्रभाव, विभिन्न विकास योजनाओं के सर्वोत्तम तौर-तरीके, 2023 तक एसडीजी प्राप्त करने के दृष्टिकोण, विकसित भारत: उद्योग और अवसंरचना में नीतियां और विकास, वित्तीय समावेश, शासन के बदलते प्रतिमान, नेतृत्व और संचार, शहरी शासन और स्थाई शहर, भारत में सिविल सेवाएं, घरों तक सेवाओं की उपलब्धता, ई-शासन और डिजिटल सार्वजनिक सेवा अदायगी, लैंगिक विकास और प्रशासन में नैतिकता, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अनुकरणीय निष्पादन पर पीएम पुरस्कार कार्यक्रम आदि शामिल थे।
क्षमता निर्माण कार्यक्रम के दूसरे चरण में सिविल सेवकों ने देहरादून में स्मार्ट सिटी परियोजना और सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी, गौतमबुद्धनगर, उत्तर प्रदेश में जिला प्रशासन, संघ लोक सेवा आयोग और भारतीय संसद का दौरा किया एवं प्रधानमंत्री संग्रहालय, बुद्ध मंदिर और ताजमहल की यात्रा के दौरान देश के इतिहास और संस्कृति से भी परिचित हुए। उल्लेखनीय हैकि एनसीजीजी ने 17 देशों-बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, इरेट्रिया और कंबोडिया के सिविल अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया है। समारोह में एनसीजीजी की मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रिस्का मैथ्यूज, एनसीजीजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ हिमांशी रस्तोगी, एनसीजीजी की सहायक प्रोफेसर डॉ गजाला हसन और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का पर्यवेक्षण और समन्वयन, पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ बीएस बिष्ट, सह पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ संजीव शर्मा, प्रशिक्षण सहायक बृजेश बिष्ट, युवा पेशेवर मोनिशा बहुगुणा और एनसीजीजी की क्षमता निर्माण टीम ने किया।