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Tuesday 9 July 2024 12:28:18 PM
भुवनेश्वर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा हैकि प्रकृति केसाथ सामंजस्य स्थापित करना और प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली समय की मांग है। राष्ट्रपति ने भुवनेश्वर के हरिदमदा गांव में ब्रह्माकुमारी के दिव्य रिट्रीट सेंटर का उद्घाटन और ब्रह्माकुमारी के राष्ट्रीय अभियान 'स्थायित्व केलिए जीवनशैली' का शुभारंभ करते हुए यह महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहाकि प्रकृति माँ केपास भरपूर संपदा है, जंगल, पहाड़, नदियां, झीलें, समुद्र, बारिश, हवा ये सभी जीवों के जीवित रहने केलिए अनिवार्य हैं। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि मनुष्य को यह याद रखना चाहिएकि प्रकृति में प्रचुरता उसकी जरूरतों केलिए है, उसके लालच केलिए नहीं। उन्होंने कहाकि मनुष्य अपने भोग विलास केलिए प्रकृति का दोहन कर रहा है और ऐसा करके प्रकृति के प्रकोप का शिकार हो रहा है। उन्होंने
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारतीय संस्कृति ने भी हमेशा से प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली पर जोर दिया है। उन्होंने कहाकि हमारे दर्शन में धरती को माता और आकाश को पिता कहा गया है, नदी को भी माता की उपाधि दी गई है। उन्होंने कहाकि जल को जीवन कहा गया है और हम वर्षा को भगवान इंद्र और समुद्र को भगवान वरुण के रूपमें पूजते हैं। उन्होंने कहाकि इतना ही नहीं हमारी कहानियों में पहाड़ और पेड़ हिलते हैं और जानवर भी आपस में बातें करते हैं। उन्होंने कहाकि इसका मतलब यह हैकि प्रकृति जड़ नहीं है, उसके भीतर भी चेतना की शक्ति है और ये सभी प्रकृति के संरक्षण केलिए भारतीय दार्शनिकों के सुंदर विचार हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की अनिश्चितता आज दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहाकि बाढ़, भूस्खलन, हिमस्खलन, भूकंप, जंगल की आग और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं अब कभी-कभार होने वाली घटनाएं नहीं रह गई हैं, अब ये लगातार होने वाली घटनाएं बन गई हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि हमारे दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव समाज में बड़े बदलाव का मार्ग प्रशस्त करते हैं, हमें प्राकृतिक संसाधनों का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित करने केलिए अपनी आदतों को बदलना होगा। राष्ट्रपति ने ध्यान दिलाते हुए कहाकि अक्सर नल खुले रहने से पीने का पानी बर्बाद हो जाता है, दिन में भी लाइट जलती रहती है और इसी तरह घर हो या ऑफिस हम पंखे या लाइट बंद करने पर ध्यान नहीं देते, प्लेट में कुछ खाना छोड़ देने की आदत से हम अभीतक मुक्त नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहाकि प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली पर सिर्फ चर्चा करना ही काफी नहीं है, हमें इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। उन्होंने सभीसे प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने की आदत डालने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने ब्रह्माकुमारी के राष्ट्रीय अभियान 'स्थायित्व केलिए जीवनशैली' से जुड़े लोगों की प्रशंसा की और कहाकि यह लोगों को प्रकृति से जोड़ने में एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहाकि यह अभियान सिर्फ बैठकों, समितियों या सम्मेलनों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि अभियान से जुड़े लोग से देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर लोगों, खासकर ग्रामीण लोगों को पर्यावरण के बारेमें जागरुक करें।