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बौद्ध धर्म भारत थाईलैंड के बीच आध्यात्मिक सेतु

राष्ट्रीय संग्रहालय में बौद्ध धर्म पर फोटोग्राफिक प्रदर्शनी का उद्घाटन

'थाईलैंड-भारत अंतर्संबंधित विरासतें: बौद्ध धर्म में आस्था का प्रवाह'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 12 July 2024 04:30:47 PM

photographic exhibition on buddhism inaugurated at national museum

नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में ‘थाईलैंड-भारत अंतर्संबंधित विरासतें: बौद्ध धर्म में आस्था का प्रवाह’ नामक फोटोग्राफिक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसमें थाईलैंड में 26 दिवसीय प्रदर्शनी की हृदयस्पर्शी छवियों को औपचारिक परेड केसाथ प्रदर्शित किया गया है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस अवसर पर कहाकि यह फोटोग्राफिक प्रदर्शनी तथागत भगवान गौतम बुद्ध और उनके शांति एवं करुणा संदेश केप्रति थाईलैंड के लोगों की भावनात्मक लहर और गहरी भक्ति तथा श्रद्धा को प्रदर्शित करती है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों को उद्धृत करते हुए कहाकि भगवान बुद्ध के आदर्श भारत और थाईलैंड केबीच एक आध्यात्मिक सेतु के रूपमें काम करते हैं, जो गहरे संबंधों को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने थाइलैंड के विदेश मंत्री मारिस संगिएमपोंग्सा केसाथ सकारात्मक विचार विमर्श भी किया। उद्घाटन समारोह में थाईलैंड के राजदूत पट्टारत होंगटोंग और राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक डॉ बीआर मणि भी उपस्थित थे।
प्रदर्शनी का उद्देश्य भगवान बुद्ध और उनके प्रमुख शिष्यों, अराहत सारिपुत्त और अराहत महा मोगलाना के पवित्र अवशेषों केप्रति थाईलैंड के लोगों के विशेष स्वागत और श्रद्धा को प्रदर्शित करना है। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के पिपरहवा से खुदाई में प्राप्त अवशेष प्रदर्शनी का केंद्र बिंदु हैं, जो भारत-थाईलैंड केबीच गहरे सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंधों का प्रतीक हैं। वर्ष 1970-71 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की पिपरहवा में की गई खुदाई से दो ताबूत प्रकाश में आए थे, जिनमें कुल बाईस पवित्र अस्थि अवशेष थे। इनमें से बीस हड्डी के टुकड़े और दो ताबूत वर्तमान में नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित हैं, जबकि शेष दो हड्डी के टुकड़े कोलकाता के भारतीय संग्रहालय को उधार दिए गए हैं। पवित्र अवशेषों को थाईलैंड में 25 दिन तक चली महत्वपूर्ण प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था। प्रदर्शनी का आयोजन इस वर्ष की शुरुआत में फरवरी-मार्च में गंगा-मेकांग पवित्र अवशेष धम्मयात्रा के तत्वावधान में किया गया था। एचएम द किंग की 72वीं जन्म जयंती पर यह प्रदर्शनी आयोजित की गई।
भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के पवित्र अवशेषों को सनम लुआंग मंडप (बैंकॉक), हो कुम लुआंग, रॉयल पार्क राजप्रुक (चियांग माई), वाट महा वानाराम (उबोन रतचथानी), वाट महा थाट वाचिरामोंगकोल (क्राबी) में प्रदर्शनी के 25 दिन के दौरान सार्वजनिक पूजा केलिए रखा गया था, जहां थाईलैंड और उसके पड़ोसी देशों के विभिन्न हिस्सों से चार मिलियन से अधिक भक्तों ने पवित्र अवशेषों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। थाइलैंड के सभी चार स्थानों पर थाई समुदायों और भारतीय प्रवासियों ने विस्तृत और रंगीन औपचारिक जुलूस और जप समारोह आयोजित किए थे। यह प्रदर्शनी थाईलैंड साम्राज्य और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने संयुक्त रूपसे विदेश मंत्रालय, थाईलैंड में भारतीय दूतावास, राष्ट्रीय संग्रहालय, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ और महाबोधि समिति के सक्रिय सहयोग से आयोजित की थी। फोटोग्राफिक प्रदर्शनी के उद्घाटन पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने थाईलैंड, इंडोनेशिया, फिलीपींस, कंबोडिया और कई बौद्ध देशों के प्रमुखों और राजनयिकों से मुलाकात की।

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