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Friday 19 July 2024 05:16:08 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मीडिया में सीमित प्रभाव वाली घटनाओं को असंगत कवरेज दिए जाने पर चिंता व्यक्त की और उसके प्रति आगाह किया है, जिससे ठोस और दीर्घकालिक पहलों पर असर पड़ रहा है। हिंदी दैनिक भास्कर द्वारा संसद भवन में आयोजित जूनियर एडिटर प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्रों से बातचीत में उपराष्ट्रपति ने मीडिया से आत्मनिरीक्षण करने को कहा और मीडिया से भारत की विकास गाथा पर ध्यान देने की अपील की। मीडिया के व्यावसायीकरण और प्रेरित आख्यानों केलिए उसपर नियंत्रण पर दुख जताते हुए जगदीप धनखड़ ने लोकतंत्र को बनाए रखने में पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। उपराष्ट्रपति ने मीडिया से पक्षपातपूर्ण विचारों से ऊपर उठने और राजनीतिक एजेंडों या राष्ट्रीय हितों के खिलाफ खड़ी ताकतों केसाथ जुड़ने से बचने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि मीडिया के लिए यह आत्ममंथन का समय है। उन्होंने मीडिया से फिर अपील कीकि वह विकास का भागीदार बने, अच्छे कार्यों को उजागर करके और गलत स्थितियों और कमियों की आलोचना करके वह ऐसा कर सकता है। उन्होंने संविधान सभा की गरिमा केसाथ तुलना करते हुए, जहां लोकतांत्रिक आदर्शों का सम्मान किया जाता था और व्यवधान नहीं के बराबर थे, उपराष्ट्रपति ने संसदीय कार्यवाही में व्यवधानों और उन्हें सनसनीखेज बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहाकि संविधान सभा लोकतंत्र का मंदिर थी, जहां हर सत्र ने बिना किसी व्यवधान या गड़बड़ी के हमारे राष्ट्रवाद की नींव रखने में योगदान दिया। उन्होंने कहाकि व्यवधान और गड़बड़ी दुर्भाग्य से अपवादों के बजाय राजनीतिक उपकरण बन गए हैं। मीडिया में व्यवधान को महिमामंडित करने की प्रवृत्ति पर उन्होंने मीडिया से संसदीय कार्यवाही को कवर करने में अपनी प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करने को कहा। उन्होंने कहाकि जब व्यवधान सुर्खियां बन जाते हैं और व्यवधान पैदा करने वालों को नायक के रूपमें पेश और सम्मानित किया जाता है तो पत्रकारिता लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के अपने कर्तव्य में विफल हो जाती है।
उपराष्ट्रपति ने मीडिया से बार-बार आग्रह कियाकि वह दुनिया के सामने भारत की सही छवि पेश करने में अपनी जिम्मेदारी निभाए। उन्होंने कहाकि बाहर के लोग भारत का मूल्यांकन नहीं कर सकते, वे अपने नज़रिए से ऐसा करते हैं। उन्होंने कहाकि ऐसे बहुत से लोग हैं देश में कम और बाहर ज़्यादा, जो हमारी अप्रत्याशित और अकल्पनीय प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैंकि हम एक महाशक्ति बन रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने भारत की 5000 वर्ष की गहन सांस्कृतिक विरासत का शानदार ढंग से वर्णन किया और इसकी लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती को रेखांकित किया। हाल के चुनावों की चर्चा कर उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि भारत में सरकारें कितनी आसानी से बदलती हैं, जो इसकी चुनावी प्रक्रिया की जीवंतता को दर्शाता है। उपराष्ट्रपति ने जिम्मेदार पत्रकारिता का आह्वान किया जो दोहरे मानदंडों और अनैतिक आचरण से निपटती है।