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बांस की खेती से महिलाओं का सशक्तिकरण!

बांस की खेती बनाएगी 10 लाख महिलाओं को लखपति दीदी

बांस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में उद्योगों में बांस टिकाऊ विकल्प

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 20 July 2024 11:28:32 AM

bamboo as sustainable option in industries at 'national seminar on bamboo'

नई दिल्ली। दीनदयाल अंत्योदय योजना के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने संयुक्तराज्य अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) और उद्योग फाउंडेशन केसाथ भागीदारी में 18 जुलाई को बांस की खेती के जरिए स्थायी ग्रामीण आजीविका, महिला सशक्तिकरण और जलवायु लचीलेपन को बढ़ावा देने केलिए 'बांस पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी' का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न उद्योगों में एक टिकाऊ विकल्प के रूपमें बांस की क्षमता पर जोर दिया गया। गौरतलब हैकि बांस की खेती आजीविका में सुधार लाने केसाथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। भारत सरकार की दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य बांस की खेती के जरिए 10 लाख ग्रामीण महिलाओं को लखपति दीदी बनाना है।
बांस संगोष्ठी में बांस की खेती पर भारत की पहली व्यापक पुस्तिका प्रस्तुत की गई, जो सात क्षेत्रीय भाषाओं में है, ताकि छोटी जोत वाली महिला किसानों को आवश्यक ज्ञान और अभ्यासों से सुसज्जित किया जा सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव चरणजीत सिंह और यूएसएआईडी की कार्यवाहक मिशन निदेशक एलेक्जेंड्रिया ह्यूर्टा ने यूजीएओ ऐप, एक डिजिटल टूल, का भी शुभांरभ किया, जो छोटी जोत वाली महिला किसानों के लिए रियल टाइम डेटा मुहैया कराता है। संगोष्ठी में माना गयाकि यह ऐप फॉरेस्ट स्टीवर्डशिप काउंसिल (एफएससी) प्रमाणन केलिए एक ट्रेस करने योग्य आपूर्ति श्रृंखला बनाने में भी सहायता करेगा, जिससे बांस उत्पाद की मांग और निर्यात क्षमता बढ़ेगी। इन महिला उत्पादकों ने पिछले पांच वर्ष में 30 लाख डॉलर से अधिक के बाज़ार ऑर्डर पूरे किए हैं। इस सफल मॉडल को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों के सहयोग से देशभर में फैलाया जाएगा।
यूएसएआईडी की कार्यवाहक मिशन निदेशक एलेक्जेंड्रिया ह्यूएर्टा ने कहाकि लैंगिक असमानताओं को दूर करना और स्थानीय स्तरपर विकास को बढ़ावा देना यूएसएआईडी की वैश्विक रणनीति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। उन्होंने कहाकि यूएसएआईडी की पावर परियोजना महिलाओं को सशक्त बना रही है और इसने एक सफल, स्थानीय स्तरपर संचालित, प्राकृतिक जलवायु समाधान मुहैया किया है, जिसे एनआरएलएम के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा ने कहाकि बांस की खेती के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना स्थायी आजीविका और समावेशी विकास को बढ़ावा देनेके सरकार के मिशन के अनुरूप है, यह कार्यक्रम न केवल आर्थिक अवसरों को मुहैया करवाता है, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता में भी योगदान देता है। स्वाति शर्मा ने कहाकि यह पहल देशभर में ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण केलिए एक मॉडल के रूपमें काम करेगी।
उद्योग फाउंडेशन की सह संस्थापक नीलम छिब्बर ने कहाकि बांस की खेती में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने और अनगिनत महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने की अपार संभावनाएं हैं, हमने कर्नाटक और महाराष्ट्र के 5500 किसानों केलिए चौथे वर्ष से लेकर कम से कम चालीस वर्ष तक स्थायी आय केलिए फाउंडेशन बनाए हैं। नीलम छिब्बर का कहना थाकि संयोजित प्रयासों से हमारा उद्देश्य महिलाओं की वो कौशल, संसाधन और बाज़ार तक पहुंच प्रदान करनी है, जिनकी उन्हें सफल होने केलिए जरूरत है, इससे देशभर में आर्थिक स्वतंत्रता और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा। उद्योग फाउंडेशन की डीएवाई-एनआरएलएम केसाथ भागीदारी यूएसएआईडी की उत्पादक-स्वामित्व वाली महिला उद्यम (पॉवर) परियोजना की सफलता पर आधारित है, जिसे उद्योग द्वारा तीन राज्यों में कार्यांवित किया गया है और जिसने 37 महिला स्वामित्व वाले उद्यमों और किसान उत्पादक समूहों में 10,000 से अधिक महिलाओं को एकत्रित किया है।

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