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Monday 22 July 2024 01:33:34 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में पहलीबार हो रही विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक में ज्ञान और आध्यात्म के पर्व गुरू पूर्णिमा की देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए घोषणा की हैकि भारत यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर में एक मिलियन डॉलर का सहयोग करेगा, ये ग्रांट, क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स के संरक्षण में प्रयोग होगी, विशेष रूपसे ये पैसा ग्लोबल साउथ के देशों के काम आएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में युवा पेशेवरों केलिए विश्व धरोहर प्रबंधन में सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी शुरू हो गया है और विश्वास हैकि कल्चरल एवं क्रिएटिव इंडस्ट्री, ग्लोबल ग्रोथ में बड़ा कारक बनेगा। भारत मंडपम दिल्ली में होरही इस बैठक में आए विदेशी मेहमानों से प्रधानमंत्री ने आग्रह कियाकि वे भारत की यात्रा अवश्य करें, हमने उनकी सुविधा केलिए प्रतिष्ठित विरासत स्थलों की यात्रा श्रृंखला भी शुरू की है, ये अनुभव उनकी भारत यात्रा को यादगार बना देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि गुरू पूर्णिमा जैसे पवित्र और अहम दिन पर भारत में पहलीबार विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक की शुरुआत हो रही है, जिसकी सभी देशवासियों को विशेष खुशी है और मुझे विश्वास हैकि हर ग्लोबल आयोजन की तरह ये इवेंट भी भारत में सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ेगा। उन्होंने कहाकि बीते वर्षों में हम भारत की 350 से ज्यादा प्राचीन धरोहरों को वापस लाये हैं, इनका भारत वापस आना वैश्विक उदारता और इतिहास केप्रति सम्मान के भाव को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि यहां भावपूर्ण प्रदर्शनी भी अपने आपमें एक शानदार अनुभव है, जैसे-जैसे टेक्नालॉजी विकसित हो रही है, इस क्षेत्रमें रिसर्च और टूरिज़्म की अपार संभावनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने कहाकि यह बैठक और उसके कार्यक्रम भारत की गौरवशाली उपलब्धि से जुड़े हैं, नॉर्थ ईस्ट इंडिया के ऐतिहासिक ‘मोइदम’ यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल होना प्रस्तावित है, जोकि अत्यंत ही खुशी की बात है, ये भारत की 43वीं वर्ल्ड हेरिटेज साइट और नॉर्थ ईस्ट इंडिया की पहली धरोहर होगी, जिसे कल्चरल वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिल रहा है। मोइदम अपनी विशेषताओं के कारण बेहद खास हैं, अब इनकी और भी लोकप्रियता और बढ़ेगी, इनके प्रति दुनिया का आकर्षण बढ़ेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इस आयोजन में दुनिया के कोने-कोने से आए एक्सपर्ट्स बैठक के महत्व और धरोहरों की समृद्धि को दर्शाते हैं, क्योंकि यह आयोजन भारत की उस धरती पर हो रहा है, जो विश्व की प्राचीनतम जीवंत सभ्यताओं में से एक है। उन्होंने कहाकि हमने देखा हैकि विश्व में विरासतों के अलग-अलग केंद्र होते हैं, लेकिन भारत इतना प्राचीन हैकि यहां वर्तमान का हर बिंदु किसी न किसी गौरवशाली अतीत की गाथा कहता है। उन्होंने कहाकि आप दिल्ली का ही उदाहरण लीजिए, दुनिया दिल्ली को भारत की कैपिटल सिटी के रूपमें जानती है, लेकिन यह शहर हजारों वर्ष पुरानी विरासतों का केंद्र भी है, यहां कदम-कदम पर ऐतिहासिक विरासतों के दर्शन होते हैं, यहां से करीब 15 किलोमीटर दूर ही कई टन का एक लौह स्तम्भ है, एक ऐसा स्तम्भ, जो 2 हजार वर्षसे खुलेमें खड़ा है, फिरभी आजतक जंग प्रतिरोधी है, इससे पता चलता हैकि उस समय भी भारत की मैटलर्जी कितनी उन्नत थी, स्पष्ट हैकि भारत की विरासत केवल एक इतिहास नहीं है, भारत की विरासत एक विज्ञान भी है। उन्होंने कहाकि भारत की हेरिटेज में टॉप नॉच इंजीनियरिंग की एक गौरवशाली यात्रा केभी दर्शन होते हैं।
वैश्विक धरोहरों का जिक्र करते हुए नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ मंदिर का उल्लेख कियाकि और कहाकि दिल्ली से कुछ सैंकड़ों किलोमीटर दूरही 3500 मीटर की ऊंचाई पर केदारनाथ मंदिर है, जो भौगोलिक रूपसे इतना दुर्गम हैकि लोगों को कई-कई किलोमीटर पैदल चलकर या हेलीकॉप्टर से जाना पड़ता है, वो स्थान आजभी किसी कंस्ट्रकशन केलिए बहुत चैलेंजिंग है, साल के ज्यादातर समय बर्फबारी की वजह से वहां निर्माण का काम होपाना असंभव है, लेकिन केदारघाटी में इतने बड़े मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था, उसकी इंजीनियरिंग में कठोर वातावरण और ग्लेशियर्स का पूरा ध्यान रखा गया, यही नहीं मंदिर में कहीं भी मोर्टर का इस्तेमाल नहीं हुआ है, लेकिन वो मंदिर आजतक अटल है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के दक्षिण में राजा चोल के बनवाए गए बृहदीश्वर मंदिर काभी उदाहरण है, इस मंदिर का आर्किटेक्चरल लेआउट, क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर आयाम, मंदिर की मूर्तियां, मंदिर का हर हिस्सा अपने आपमें आश्चर्य लगता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि वे गुजरात से हैं, वहां धोलावीरा और लोथल जैसे स्थान हैं, धोलावीरा में 3000 से 1500 बीसीई पहले जिस तरह की अर्बन प्लानिंग थी, जिस तरह का वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम और व्यवस्थाएं थीं, वो 21वीं सदी में भी एक्स्पर्ट्स को हैरान करती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की वैश्विक धरोहरों का उल्लेख जारी रखते हुए कहाकि लोथल में भी दुर्ग और लोअर टाउन की प्लानिंग स्ट्रीट्स और ड्रेंस की व्यवस्था ये उस प्राचीन सभ्यता के आधुनिक स्तर को बताता है। उन्होंने कहाकि भारत का इतिहास और भारतीय सभ्यता, ये सामान्य इतिहास बोध से कहीं ज्यादा प्राचीन और व्यापक हैं, इसीलिए जैसे-जैसे नए तथ्य सामने आ रहे हैं, जैसे-जैसे इतिहास का वैज्ञानिक सत्यापन हो रहा है, हमें अतीत को देखने केनए दृष्टिकोण विकसित करने पड़रहे हैं। उन्होंने कहाकि यहां मौजूद वर्ल्ड एक्सपर्टस को उत्तर प्रदेश के सिनौली में मिले सबूतों के बारेमें जरूर जानना चाहिए, सिनौली के जांच परिणाम कॉपर एज के हैं, लेकिन ये इंडस वैली सिविलाइज़ेशन की जगह वैदिक सिविलाइज़ेशन से मेल खाती है, वहां 2018 में 4 हजार साल पुराना एक रथ मिला है, वो ‘हॉर्स ड्रिवेन’ था। शोध नए तथ्य बताते हैंकि भारत को जानने केलिए अवधारणाओं से मुक्त नई सोच की जरूरत है। उन्होंने आह्वान कियाकि शोध केनए तथ्यों में उसके आलोक में इतिहास की जो नई समझ विकसित हो रही है, बैठक का हिस्सा बनें, उसे आगे बढ़ाएं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हेरिटेज केवल हिस्ट्री नहीं, बल्कि मानवता की एक साझी चेतना है, हम दुनिया में कहींभी किसी हेरिटेज को देखते हैं, तो हमारा मन वर्तमान के भू-राजनीतिक कारक से ऊपर उठ जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमें हेरिटेज के इस संभावना को विश्व की बेहतरी केलिए प्रयोग करना है, अपनी विरासतों के जरिए दिलों को जोड़ना है और इस बैठक के माध्यम से भारत का पूरे विश्व को यही आह्वान हैकि आइए हमसब जुड़ें एकदूसरे की विरासत को आगे बढ़ाने केलिए, आइए हमसब जुड़ें मानव कल्याण की भावना के विस्तार केलिए, हमसब जुड़ें अपनी हेरिटेज को संरक्षित करते हुए टूरिज्म बढ़ाने केलिए, ज्यादा से ज्यादा रोज़गार केमौके बनाने केलिए! उन्होंने कहाकि दुनिया ने वो दौर भी देखा है, जब विकास की दौड़ में विरासत को नज़रअंदाज किया जाने लगा था, लेकिन आज का युग, कहीं ज्यादा जागरुक है, भारत कातो विज़न हीहै-विकास भी और विरासत भी! उन्होंने कहाकि बीते 10 वर्ष में भारत ने एक ओर आधुनिक विकास केनए आयाम छुए हैं, वहीं ‘विरासत पर गर्व’ का संकल्प भी लिया है, हमने विरासत के संरक्षण केलिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। उन्होंने कहाकि काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर हो, अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण हो, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का आधुनिक कैंपस बनाना हो, देशके कोने-कोने में ऐसे अनेक काम हो रहे हैं, विरासत को लेकर भारत के इस संकल्प में पूरी मानवता की सेवा का भाव जुड़ा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की संस्कृति स्वयं की नहीं, वयं की बात करती है, भारत की भावना है-मैं नहीं, बल्कि हम! इसी सोचके साथ भारत ने हमेशा विश्व के कल्याण का साथी बनने का प्रयास किया है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज पूरा विश्व इंटरनेशनल योग दिवस मनाता है, आज आयुर्वेद विज्ञान का लाभ पूरी दुनिया को मिल रहा है, योग और आयुर्वेद भारत की वैज्ञानिक विरासतें हैं। उन्होंने कहाकि पिछले ही साल हमने जी-20 समिट को भी होस्ट किया, जिसकी थीम थी-'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य', इसकी प्रेरणा हमें कहां से मिली? इसकी प्रेरणा हमें ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के विचार से मिली। उन्होंने कहाकि भारत खाद्य और जल संकट जैसी चुनौतियों केलिए मिलेट्स को प्रमोट कर रहा है। उन्होंने कहाकि हमारा विचार है-‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ अर्थात ये धरती हमारी माँ है, हम उसकी संतान हैं, इसी विचार को लेकर आज भारत इंटरनेशनल सोलर अलायंस और मिशन जीवन जैसे समाधान दे रहा है। उन्होंने कहाकि भारत वैश्विक विरासत के इस संरक्षण कोभी अपनी ज़िम्मेदारी मानता है, इसीलिए हम भारतीय विरासत केसाथ-साथ ग्लोबल साउथ के देशों मेंभी हेरिटेज संरक्षण केलिए सहयोग दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि कंबोडिया के अंकोरवाट, वियतनाम के चाम मंदिर, म्यांमार के बाग़ान में स्तूप, भारत ऐसी कई धरोहरों के संरक्षण में सहयोग दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसी दिशा में मैं एक और अहम घोषणा कर रहा हूंकि भारत यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर केलिए 1 मिलियन डॉलर का सहयोग करेगा, ये ग्रांट, क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स के संरक्षण में प्रयोग होगी, विशेष रूपसे ये पैसा ग्लोबल साउथ के देशों के काम आएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशों से वापस लाई गईं भारत की प्राचीन धरोहरों की प्रदर्शनी को देरतक देखा और एक समय वे उनमें खो गए। गौरतलब हैकि भारत पहलीबार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी कर रहा है। यह बैठक भारत मंडपम में 21 से 31 जुलाई तक चलेगी। बैठक में 150 से अधिक देशों के 2000 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले उद्घाटन समारोह में उपस्थित थीं। विश्व धरोहर समिति की बैठक साल में एक बार होती है और यह विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन और विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जानेवाले स्थलों पर निर्णय लेती है। बैठक के दौरान विश्व धरोहर सूची में नए स्थलों को नामांकित करने के प्रस्ताव, 124 विद्यमान विश्व धरोहर संपत्तियों की संरक्षण रिपोर्ट की स्थिति, अंतर्राष्ट्रीय सहायता और विश्व धरोहर निधियों के उपयोग आदि पर चर्चा की जाएगी। इस अवसर पर विश्व धरोहर युवा पेशेवरों का मंच और विश्व धरोहर स्थल प्रबंधकों का मंच भी आयोजित किया जा रहा है। भारत मंडपम में भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करने केलिए विभिन्न प्रदर्शनियां लगाई गई हैं। रिटर्न ऑफ ट्रेजर्स प्रदर्शनी देश में वापस लाई गई कुछ कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है। विदेशों से अब तक 350 से भी अधिक कलाकृतियां वापस लाई जा चुकी हैं।
नवीनतम एआर और वीआर तकनीकों का उपयोग करके भारत के 3 विश्व धरोहर स्थलों-रानी की वाव, पाटन, गुजरात का कैलासा मंदिर, एलोरा की गुफाएं, महाराष्ट्र और होयसला मंदिर, हलेबिड कर्नाटक का एक भावपूर्ण अनुभव प्रदान किया गया है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, सदियों पुरानी सभ्यता, भौगोलिक विविधता, पर्यटन स्थलों केसाथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रमें आधुनिक विकास को रेखांकित करने केलिए ‘अतुल्य भारत’ प्रदर्शनी लगाई गई है। उद्घाटन अवसर पर विदेशमंत्री एस जयशंकर, केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मंत्रिमंडल के सदस्य राव इंद्रजीत सिंह, सुरेश गोपी, वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के चेयरमैन विशाल शर्मा आदि मौजूद थे।