स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 25 July 2024 02:48:09 PM
नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक-24 केलिए 16 विविध खेल विधाओं में प्रतिभाग करने केलिए भारत का 117 एथलीटों का लश्कर पेरिस पहुंच गया है। पेरिस ओलंपिक-24 में पहुंचा भारत का अबतक का सबसे बड़ा खेल लश्कर है, जिसमें 70 पुरुष और 47 महिलाएं हैं। ये एथलीट 69 स्पर्धाओं में भाग लेंगे और इन्हें पेरिस ओलंपिक में कुल 95 पदक जीतने का अवसर मिलेगा। भारत सरकार ने 470 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि भारत के एथलीट वैश्विक मंच को समर्पित की है। पेरिस ओलंपिक कल 26 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त-2024 तक चलेगा। इसमें 206 राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों के एथलीट और आईओसी शरणार्थी टीमें भाग ले रही हैं। खेलों में देशभर के 35 स्थानों पर 10,500 एथलीट भाग लेंगे। भारत की ओलंपिक शुरूआत 27 जुलाई को न्यूजीलैंड से हॉकी मुकाबले से होगी।
ओलंपिक की शुरुआत कैसे हुई इसके बारेमें जानते हैं। ओलंपिक खेलों का इतिहास दो सहस्राब्दियों से भी ज्यादा पुराना है, जो खेल और संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है। करीब 776 ईसा पूर्व में शुरु हुए ये प्राचीन खेल हर चार साल में गॉड ज़ीउस के सम्मान में आयोजित किए जाते थे, इनमें न केवल एथलेटिक प्रतियोगिताएं होती थीं, बल्कि संगीत, कविता और रंगमंच जैसे कलात्मक कार्यक्रम भी होते थे। वैश्विक खेल समुदाय के भीतर 19वीं सदी के अंत में अव्यवस्था के कारण अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यह तब बदल गया जब बैरन पियरे डी कुबर्टिन ने पेरिस में पहली ओलंपिक कांग्रेस बुलाई। आधुनिक युग के पहले ओलंपिक खेल अप्रैल 1896 में प्राचीन ओलंपिक के जन्मस्थान एथेंस (ग्रीस) में आयोजित हुए थे। यह प्रथम ओलंपियाड के खेल के रूपमें जाना जाता है। इस ऐतिहासिक आयोजन में 14 देशों के 241 एथलीटों ने भाग लिया था।
एथेंस खेलों 1896 में स्टेडियम खचाखच भरे हुए थे और भीड़ बहुत उत्साहित थी, विशेष रूपसे ओलंपिक मैराथन फाइनल जैसी प्रतियोगिताओं केलिए। पेरिस ओलंपिक-1900 खेलों में पहलीबार महिलाओं ने हिस्सा लिया। पांच बार विंबलडन चैंपियन रहीं ब्रिटिश टेनिस खिलाड़ी चार्लोट कूपर पहली महिला ओलंपिक चैंपियन बनीं। इस ओलंपिक में 997 एथलीटों में 22 महिलाएं थीं, जिन्होंने टेनिस, नौकायन, क्रोकेट, घुड़सवारी और गोल्फ़ में भाग लिया। ओलंपिक में महिलाओं की भागीदारी पिछले कुछ दशकों से लगातार बढ़ी है। यह भागीदारी वर्ष 1964 में 13 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2020 टोक्यो खेलों में लगभग 48.9 प्रतिशत हो गई है, जिसका श्रेय आईओसी और अंतर्राष्ट्रीय महासंघों की पहल को जाता है। उल्लेखनीय उपलब्धियों में 2012 लंदन खेलों में महिला मुक्केबाजी को शामिल करना और टोक्यो 2020 में लगभग लैंगिक समानता हासिल करना शामिल है। रियो 2016 में 45 प्रतिशत एथलीट महिलाएं थीं। यह प्रवृत्ति टोक्यो में भी जारी रही, जिससे यह अबतक का सबसे लैंगिक संतुलित ओलंपिक बन गया, जिसमें लगभग आधी एथलीट महिलाएं थीं।
एथेंस ओलंपिक-1896 से आधुनिक ओलंपिक पेरिस ओलंपिक-2024 तक ओलंपिक खेलों में काफ़ी बदलाव हुए हैं। वर्ष 1896 में 14 देशों के 241 एथलीट शामिल थे, जिसमें पदकों के मामले में ग्रीस सबसे आगे था। बीते कुछ दशक में खेलों का दायरा और समावेशिता बढ़ती गई है, जिसमें वर्ष 1900 में महिलाओं की पहली भागीदारी, नए खेलों और कार्यक्रमों की शुरुआत जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां शामिल हैं। पेरिस ओलंपिक-1900 में सिर्फ एक प्रतिभागी केसाथ अपनी शुरुआत के बादसे भारत की ओलंपिक यात्रा में काफी बदलाव आया है। वर्ष 1920 में एंटवर्प खेलों में एक ऐतिहासिक क्षण आया, जब भारत ने अपना पहला आधिकारिक खेल दल भेजा, जिसने उल्लेखनीय उपलब्धियों की एक शताब्दी को लक्ष्य किया। पेरिस ओलंपिक-1924 में भारत ने वास्तव में टेनिस में शुरुआत की, जिसमें एकल और युगल स्पर्धाओं में पांच खिलाड़ियों ने भाग लिया। इसके बाद एम्स्टर्डम ओलंपिक-1928 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम का उल्लेखनीय प्रदर्शन हुआ। भारत ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उल्लेखनीय हैकि हॉकी टीम ने 29 गोल किए और पूरे टूर्नामेंट में उसके खिलाफ एकभी गोल नहीं हुआ, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत ने एक उच्चमानक स्थापित किया।
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में वर्ष 1930 और 40 के दशक में भारत की पुरुष हॉकी टीम का उदय हुआ। उन्होंने एम्स्टर्डम-1928, लॉस एंजिल्स-1932 और बर्लिन-1936 में अभूतपूर्व तीन लगातार स्वर्ण पदक हासिल किए, जिससे भारत दुनिया में हॉकी ताकत के रूपमें लोकप्रिय मजबूत और प्रतिष्ठित हुआ। स्वतंत्रता केबाद भारत की ओलंपिक यात्रा लंदन-1948 खेलों से शुरू हुई, जहां राष्ट्र ने नौ खेलों में 86 एथलीटों का अपना सबसे बड़ा खेल दल भेजा। भारतीय हॉकी टीम ने अपना दबदबा जारी रखा और चौथा ओलंपिक स्वर्ण हासिल किया। इस ओलंपिक में बलबीर सिंह सीनियर एक नए हॉकी सितारे के रूपमें उभरा। हेलसिंकी ओलंपिक-1952 में पहलवान केडी जाधव ने भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतकर इतिहास रचा। मैक्सिको सिटी-1968 में हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता, जो अपने सामान्य शीर्ष-दो फिनिश से विचलन को दर्शाता है। भारत ने म्यूनिख ओलंपिक-1972 में यह उपलब्धि दोहराई। अटलांटा ओलंपिक-1996 में टेनिस स्टार लिएंडर पेस ने पुरुष एकल में कांस्य पदक जीता, जबकि चार साल बाद वर्ष 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में कांस्य पदक केसाथ ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बनकर इतिहास रच दिया। बीजिंग ओलंपिक-2008 भारत केलिए एक यादगार पल रहा, जब निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में देश केलिए पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक हासिल किया, जिसने भारतीय ओलंपिक इतिहास में एक नया मानक स्थापित किया।
बीजिंग ओलंपिक-2008 में भारतीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह और पहलवान सुशील कुमार ने भी कांस्य पदक जीते, जो वर्ष 1952 के बादसे भारत का पहला बहुपदक था। वर्ष 2012 लंदन ओलंपिक में साइना नेहवाल ने भारत केलिए बैडमिंटन में पहला पदक जीता। सुशील कुमार ने अपना दूसरा ओलंपिक पदक जीता। गगन नारंग, विजय कुमार, मैरी कॉम और योगेश्वर दत्त ने भारत के पदकों की संख्या में इजाफा किया, जो उस समय सबसे अधिक छह पदक थे। रियो ओलंपिक-2016 में पीवी सिंधु और साक्षी मलिक भारत की एकमात्र पदक विजेता रहीं, जो पहलीबार था जब सभी पदक महिला एथलीटों ने जीते थे। टोक्यो ओलंपिक-2020 भारत केलिए ऐतिहासिक साबित हुआ, जिसमें एथलीटों ने कुल सात पदक जीते। पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक केसाथ 41 साल का पदक सूखा खत्म किया, जबकि महिलाओं ने अपना सर्वश्रेष्ठ चौथा स्थान हासिल किया। नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में भारत केलिए पहला ट्रैक-एंड-फील्ड स्वर्ण पदक जीता, जिससे पदक जीतने के अभियान का शानदार समापन हुआ। बीते दशक में भारत का ओलंपिक इतिहास उल्लेखनीय उपलब्धियों से भरा है। हॉकी में रिकॉर्ड आठ स्वर्ण पदक जीते गए, जिनमें लगातार छह जीत शामिल हैं। स्वतंत्र भारत केलिए केडी जाधव का ऐतिहासिक व्यक्तिगत पदक, बीजिंग ओलंपिक-2008 में अभिनव बिंद्रा का अभूतपूर्व स्वर्ण और टोक्यो ओलंपिक-2020 में नीरज चोपड़ा का ऐतिहासिक ट्रैक-एंड-फील्ड स्वर्ण भारत को गौरवांवित करता है।