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अग्निपथ देश का महत्वपूर्ण सपना-प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्रास में मनाया 25वां कारगिल विजय दिवस

'पहले सेना की बहुत उपेक्षा हुई, मगर हमारे लिए सेना देश की आस्‍था है'

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Friday 26 July 2024 03:52:19 PM

prime minister narendra modi celebrated kargil vijay diwas in drass

द्रास (लद्दाख)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25वां कारगिल विजय मनाने केलिए द्रास (लद्दाख) पहुंचे और सैनिकों केबीच कहाकि कारगिल विजय दिवस देशके गर्व और स्वाभिमान का पर्व है। उन्होंने कहाकि कारगिल विजय किसी सरकार या किसी राजनीतिक दल की विजय नहीं थी, ये विजय देश और उसकी विरासत की विजय थी। प्रधानमंत्री ने द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर जाकर 140 करोड़ देशवासियों की तरफ से शहीद वीर जवानों को श्रद्धापूर्वक नमन किया और सभीको कारगिल विजय के 25 वर्ष पर शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर देश के युवाओं को गुमराह कर रहे लोगों का जिक्र करते हुए कहाकि इतिहास साक्षी हैकि उन्हें सैनिकों की कोई परवाह नहीं थी, ये वही लोग हैं, जिन्होंने एक मामूली रकम 500 करोड़ रुपए दिखा-दिखाकर वन रैंक वन पेंशन पर झूंठ बोला था। नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये हमारी सरकार है, जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू किया और पूर्व सैनिकों को सवा लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा दे दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस का नाम लिए बिना कांग्रेस सरकारों में सरहद पर युद्ध मोर्चे से लेकर घरतक भारत के सैनिकों की घोर उपेक्षा आरोप लगाते हुए जिक्र कियाकि ये वही लोग हैं, जिन्होंने आजादी के 7 दशक बाद भी, सेना की मांग होने केबाद भी, वीर सैनिकों के परिवारों की मांग होनेके बादभी हमारे शहीद सैनिकों केलिए वॉर मेमोरियल नहीं बनाया, टालते रहे, कमेटियां बनाते रहे और उन्हें बस नक्‍शे दिखाते रहे। प्रधानमंत्री ने कहाकि ये वही लोग हैं, जिन्होंने सीमा पर तैनात हमारे जवानों को पर्याप्त बुलेटप्रूफ जैकेट्स भी नहीं दीं और भारतीय सेना के शौर्य कारगिल विजय दिवस को भी नज़रअंदाज करते रहे। उन्होंने कहाकि ये तो देशकी कोटि-कोटि जनता का आशीर्वाद हैकि मुझे तीसरी बार सरकार बनाने को मौका मिला तो आज इस महत्‍वपूर्ण ऐतिहसिक घटना का हम पुन:स्‍मरण कर पा रहे हैं, वरना अगर वही आ जाते तो इस युद्ध विजय को याद ही नहीं करते।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज लद्दाख की महान धरती कारगिल विजय के 25 वर्ष पूरे होने की साक्षी है, कारगिल विजय दिवस हमें बताता हैकि राष्ट्र केलिए बलिदान अमर होते हैं, दिन, महीने, वर्ष गुजरते हैं, दशकों गुजरते हैं, सदियां भी गुजरती हैं, मौसम भी बदलते हैं, लेकिन, राष्ट्र की रक्षा केलिए अपनी जान की बाजी लगाने वालों केनाम अमिट रहते हैं, ये देश हमारी सेना के पराक्रमी महानायकों का सदा-सर्वदा ऋणी है, ये देश उनके प्रति कृतज्ञ है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मेरा सौभाग्य हैकि कारगिल युद्ध के समय मैं एक सामान्य देशवासी के रूपमें अपने सैनिकों केबीच था, आज जब मैं फिर कारगिल की धरती पर हूं तो स्वाभाविक है वो स्मृतियां मेरे मन में ताजा हो गई हैं। उन्होंने कहाकि मुझे याद हैकि किस तरह हमारी सेनाओं ने इतनी ऊंचाई पर इतने कठिन युद्ध ऑपरेशन को अंजाम दिया था, मैं देश को विजय दिलाने वाले ऐसे सभी शूरवीरों को आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं, मैं उन शहीदों को नमन करता हूं, जिन्होंने कारगिल में मातृभूमि की रक्षा केलिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। उन्होंने कहाकि कारगिल में हमने केवल युद्ध नहीं जीता था, हमने ‘सत्य, संयम और सामर्थ्य’ का अद्भुत परिचय दिया था। उन्होंने कहाकि आप जानते हैंकि भारत उस समय शांति केलिए प्रयास कर रहा था, बदले में पाकिस्तान ने फिर एकबार अपना अविश्वासी चेहरा दिखाया, लेकिन सत्य के सामने असत्य और आतंक की हार हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि पाकिस्तान ने अतीत में जितने भी दुष्प्रयास किए, उसे मुंह की ही खानी पड़ी है, लेकिन पाकिस्तान ने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है, वो आतंकवाद के सहारे अपने आपको प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास कर रहा है, लेकिन आज जब मैं उस जगह से बोल रहा हूं, जहां आतंक के आकाओं को मेरी आवाज़ सीधे सुनाई पड़ रही है, आतंकवाद के इन सरपरस्तों को कहना चाहता हूंकि उनके नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। उन्होंने कहाकि आतंकवाद को हमारे जांबाज पूरी ताकत से कुचलेंगे, दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि लद्दाख हो या फिर जम्मू-कश्मीर विकास के सामने आरही हर चुनौती को भारत परास्त करके ही रहेगा। उन्होंने कहाकि कुछही दिन बाद इस 5 अगस्त को आर्टिकल 370 का अंत हुए 5 वर्ष पूरे होने जारहे हैं। उन्होंने कहाकि जम्मू-कश्मीर आज नए भविष्य की बात कर रहा है, बड़े सपनों की बात कर रहा है, जम्मू-कश्मीर की पहचान जी20 जैसी ग्लोबल समिट की अहम बैठक करने केलिए हो रही है, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट केसाथ जम्मू-कश्मीर-लेह-लद्दाख में टूरिज़्म सेक्टर भी तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि दशकों बाद कश्मीर में सिनेमाघर खुला है, साढ़े तीन दशक केबाद पहली बार श्रीनगर में ताजिया निकला है, धरती का हमारा स्वर्ग तेजी से शांति और सौहार्द की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि लद्दाख में भी विकास की नई धारा बनी है ‘शिंकुन ला टनल’ के निर्माण का काम शुरू हुआ है, जिसके जरिए लद्दाख पूरे साल हर मौसम में देशसे कनेक्टेड रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम सभीको पता हैकि कठोर मौसम की वजह से लद्दाख के लोगों को कितनी मुश्किलें आती हैं, शिंकुन ला टनल के बनने से ये मुश्किलें भी कम होंगी, मैं लद्दाख के मेरे भाई-बहनों को इस टनल का काम शुरू होने की विशेष बधाई देता हूं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि लद्दाख के लोगों का हित हमेशा हमारी प्राथमिकता है, मुझे याद हैकि कोरोना में कारगिल क्षेत्रके हमारे कई लोग ईरान में फंस गए थे, उन्हें वापस लाने केलिए मैंने व्यक्तिगत स्तरपर काफी प्रयास किए थे, ईरान से लाकर उन्हें जैसलमेर में ठहराया गया और जब स्वास्थ्य की संतोषजनक रिपोर्ट मिली तो उसके बाद उन सबको उनके घर तक पहुंचाया गया और हम अनेक ज़िंदगियों को बचा पाए। उन्होंने कहाकि बीते 5 वर्ष में ही हमने लद्दाख के बजट को 11 सौ करोड़ से बढ़ाकर 6 हजार करोड़ रुपए कर दिया है, यानी लद्दाख के बजट में करीब-करीब 6 गुना की वृद्धि! ये पैसा आज लद्दाख के लोगों के विकास में, यहां सुविधाएं बढ़ाने में काम आ रहा है। उन्होंने कहाकि आप देखिए, सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, पावर सप्लाई, रोज़गार लद्दाख का हर दिशा में दृश्य भी बदल रहा है, परिदृश्य भी बदल रहा है, पहली बार यहां सर्वांगीण प्लानिंग केसाथ काम हो रहे हैं। उन्होंने कहाकि जल जीवन मिशन की वजह से अब लद्दाख के 90 प्रतिशत से ज्यादा घरों में पाइप से पीने का पानी पहुंच रहा है, लद्दाख के युवाओं को क्वालिटी हायर एजुकेशन मिले, इसके लिए यहां सिंधु सेंट्रल यूनिवर्सिटी का निर्माण हो रहा है, पूरे लद्दाख क्षेत्र को 4G नेटवर्क से जोड़ने का काम भी चल रहा है, 13 किलोमीटर लंबी ज़ोजिला टनल का काम जारी है, इसके बनने से नेशनल हाईवे नंबर वन परभी ऑल वेदर कनेक्टिविटी हो जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास के असाधारण लक्ष्य तय किए हैं, चैलेंजिंग लक्ष्य को अपने हाथों में लिया है, बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने ऐसे लक्ष्यों को पूरा करने केलिए अभूतपूर्व गतिसे काम किया है, बीआरओ ने पिछले तीन साल में 330 से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पूरे किए हैं, इसमें लद्दाख के विकास कार्यों से लेकर पूर्वोत्तर में सेला टनल जैसे प्रोजेक्ट्स भी शामिल हैं, मुश्किल क्षेत्रोंमें विकास की गति नए भारत की क्षमता और दिशा, दोनों दिखाते हैं। उन्होंने कहाकि आज की वैश्विक परिस्थितियां पहले से अलग हैं, हमारी सेनाओं को हथियारों और उपकरणों के साथ-साथ कार्यशैली और व्यवस्थाओं मेंभी आधुनिक होना चाहिए, इसलिए देश दशकों से डिफेंस सेक्टर में बड़े सुधारों की जरूरत महसूस कर रहा था, सेना स्‍वयं वर्षों से इसकी मांग कर रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से पहले इसे उतना महत्व नहीं दिया गया। उन्होंने कहाकि बीते 10 वर्ष में हमने डिफेंस सुधारों को रक्षा क्षेत्रकी पहली प्राथमिकता बनाया है, इनके कारण आज हमारी सेनाएं ज्यादा सक्षम हुई हैं, आत्मनिर्भर हो रही हैं। उन्होंने कहाकि आज डिफेंस उत्पादकता में बड़ी हिस्सेदारी भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री को दी जा रही है, डिफेंस में रिसर्च एंड डेवलपमेंट बजट का भी 25 प्रतिशत प्राइवेट सेक्टर केलिए रिज़र्व किया गया है, ऐसे ही प्रयासों का परिणाम हैकि भारत का डिफेंस प्रोडक्शन अब सवा लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो चुका है। उन्होंने कहाकि कभी भारत की गिनती हथियार मंगाने वाले देश के रूपमें थी, मगर अब भारत निर्यातक के तौरपर अपनी पहचान बना रहा है। उन्होंने कहाकि हमारी सेनाओं ने 5000 से ज्यादा हथियारों और सैन्य उपकरणों की लिस्ट बनाकर ये तय किया हैकि अब ये 5000 आइटम्‍स बाहर से नहीं मंगवाए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि डिफेंस सेक्टर में सुधारों केलिए भी मैं भारत की आर्म्ड फोर्सेज की सराहना करता हूं, हमारी सेनाओं ने बीते वर्षों में कई साहसिक निर्णय लिए हैं, सेना में जरूरी सुधारों का एक उदाहरण अग्निपथ स्कीम भी है, दशकों तक संसद से लेकर अनेक कमेटी तक में सेनाओं को युवा बनाने पर चर्चाएं होती रही हैं, भारत के सैनिकों की औसत आयु वैश्विक अनुपात से ज्यादा होना, ये हम सबकी चिंता बढ़ाता रहा है, इसलिए ये विषय बरसों तक अनेक कमेटियों में भी उठा है, लेकिन देशकी सुरक्षा से जुड़ी इस चुनौती के समाधान की पहले इच्छाशक्ति नहीं दिखाई गई, शायद कुछ लोगों की मानसिकता ही ऐसी थीकि सेना मतलब नेताओं को सलाम करना, सेना से परेड करना। उन्होंने कहाकि हमारे लिए सेना मतलब 140 करोड़ देशवासियों की आस्‍था, हमारे लिए सेना मतलब 140 करोड़ देशवासियों की शांति की गारंटी और हमारे लिए सेना मतलब है देश की सीमाओं को सुरक्षा की गारंटी। प्रधानमंत्री ने कहाकि अग्निपथ योजना के जरिए देशने इस महत्वपूर्ण सपने को एड्रेस किया है, अग्निपथ का लक्ष्य सेनाओं को युवा बनाना है, अग्निपथ का लक्ष्य सेनाओं को युद्ध केलिए निरंतर योग्य बनाकर रखना है, दुर्भाग्य से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इतने संवेदनशील विषय को कुछ लोगों ने राजनीति का विषय बना दिया है। उन्होंने कहाकि कुछ लोग सेना को लेकर अपने व्यक्तिगत स्वार्थ में झूंठ की राजनीति कर रहे हैं, ये वही लोग हैं, जिन्होंने सेनाओं में हजारों करोड़ के घोटाले करके सेना को कमजोर किया। उन्होंने कहाकि ये वही लोग हैं, जो चाहते थेकि एयरफोर्स को कभी आधुनिक फाइटर जेट ना मिल पाएं, ये वही लोग हैं जिन्होंने तेजस फाइटर प्लेन को भी डिब्बे में बंद करने की तैयारी कर ली थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सच्चाई ये हैकि अग्निपथ योजना से देश की ताकत बढ़ेगी और देश का सामर्थ्यवान युवा भी मातृभूमि की सेवा केलिए आगे आएगा, प्राइवेट सेक्टर और पैरामिलिट्री फोर्सेज में भी अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की घोषणाएं की गई हैं। उन्होंने कहाकि मैं तो हैरान हूं कुछ लोगों की समझ को क्‍या हुआ है, उनकी सोच को क्‍या चुका है, ऐसा भ्रम फैला रहे हैंकि सरकार पेंशन के पैसे बचाने केलिए ये योजना लेकर आई। उन्होंने कहाकि मुझे ऐसे लोगों की सोच से शर्म आती है, लेकिन ऐसे लोगों को पूछना चाहिए, जरा कोई मुझे बताए आज मोदी के शासनकाल में जो भर्ती होगा, क्‍या आज ही उसको पेंशन देनी है क्‍या? उसको पेंशन देने की नौबत 30 साल बाद आएगी और तब तो मोदी 105 साल का हो गया होगा और तबभी क्‍या मोदी की सरकार होगी? मेरे लिए दल नहीं देश सर्वोपरि है, हम राजनीति केलिए नहीं राष्‍ट्रनीति केलिए काम करते हैं, हमारे लिए राष्‍ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है, हमारे लिए 140 करोड़ की शांति सबसे पहले है। कारगिल विजय समारोह में लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर बीडी मिश्रा, केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्ष, कारगिल युद्ध के समय सेनाध्यक्ष रहे जनरल वीपी मलिक, पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, वीरता पुरस्कार प्राप्त सेवारत और सेवानिवृत्त सैनिकों, कारगिल युद्ध के बहादुर वीरों की माताएं, वीर नारियां और उनके समस्त परिजन भी उपस्थित थे।

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