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यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में 'मोइदम'

असम के शाही राजवंशों की टीलेनुमा कब्रगाहें हैं 'मोइदम'

विश्व धरोहर समिति की बैठक में यूनेस्को ने की घोषणा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 27 July 2024 01:11:14 PM

'moidam' in unesco's world heritage list

नई दिल्ली/ गुवाहाटी। असम के राजवंशों की टीलेनुमा कब्रगाहों 'मोइदम' को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल कर लिया गया है। यूनेस्को की विश्व धरोहरों में अपना स्थान बनाने वाली पूर्वोत्तर भारत की यह पहली धरोहर है। यूनेस्को ने दिल्ली में भारत मंडपम में चल रहे विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में इसकी घोषणा की। 'मोइदम' यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल होने वाली भारत की 43वीं संपत्ति बन गई है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस वन्यजीव अभयारण्य केबाद यह असम की तीसरी विश्व धरोहर संपत्ति है, दोनों को 1985 में प्राकृतिक श्रेणी में अंकित किया गया था। चोराइदेव के 'मोइदम', जो विशाल वास्तुकला के माध्यम से शाही राजवंश का उत्सव मनाते हैं और उसे सम्मानपूर्वक संरक्षित करते हैं। यह प्राचीन चीन में मिस्र के फराओ और शाही कब्रों के पिरामिडों के बराबर हैं।
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया को बतायाकि यह ऐतिहासिक मान्यता चराइदेव में अहोम राजाओं की अद्वितीय 700 साल पुरानी असम और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत टीले की दफन प्रणाली पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करती है। उन्होंने कहाकि इस प्रतिष्ठित धरोहर 'मोइदम' पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनेस्को का ध्यान आकृष्ट किया था, उन्होंने ही इन प्राचीन संरचनाओं को 2023 में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूपमें नामित किया था। प्रधानमंत्री ने विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के उद्घाटन पर भी इसका विशेष उल्लेख किया था। गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहाकि यूनेस्को का यह फैसला 'मोइदम' के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है, जिससे 'मोइदम' विश्व विरासत सूची में अंकित होनेवाले पहले सांस्कृतिक विरासत स्थल और भारत के उत्तर पूर्व से तीसरे समग्र स्थल बन गए हैं। संस्कृति मंत्री ने बतायाकि भारत ने बीते एक दशक में 13 विश्व धरोहरों को यूनेस्को में सफलतापूर्वक अंकित कराया है और अब भारत सबसे अधिक विश्व धरोहर संपत्तियों के मामले में विश्वस्तर पर छठे स्थान पर है। उन्होंने कहाकि यह वैश्विक मान्यता विश्वमंच पर भारत की विरासत को विशिष्ट रूपसे दिखाने केलिए नए भारत के अथक प्रयास का प्रमाण है।
'मोइदम' को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करना उनके उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य का प्रमाण बताते हुए संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (आईसीओएमओएस) की सांस्कृतिक परंपरा केलिए मोइदम्स के असाधारण प्रमाण और मानव इतिहास में महत्वपूर्ण चरणों के उनके प्रतिनिधित्व पर प्रकाश डाला। गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहाकि 'मोइदम' को यह सम्मान ऐतिहासिक खजानों के संरक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और असम सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। उन्होंने कहाकि ऐसे स्मारकों के संरक्षण को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है, जो भारत में प्रचुर हैं। उन्होंने कहाकि यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूपमें मोइदम्स की मान्यता भविष्य की पीढ़ियों केलिए हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के महत्व की याद दिलाती है। उन्होंने कहाकि इन स्थलों का दौरा और समर्थन करके हम उनके संरक्षण और भारत के समृद्ध और विविध इतिहास के व्यापक आख्यान में योगदान करते हैं।
मोइदम्स-अहोम राजवंश की टीला दफन प्रणाली पूर्वोत्तर भारत में ताई-अहोम का बनवाया गया एक शाही टीला दफन स्थल है, जो पूर्वी असम में पाटकाई पर्वतमाला की तलहटी में स्थित है। इन कब्रगाह टीलों को ताई-अहोम राजवंश में बहुत पवित्र माना जाता है, जो उनकी अनूठी अंत्येष्टि प्रथाएं हैं। ताई-अहोम लोग 13वीं शताब्दी में असम पहुंचे। उन्होंने चराइदेव को अपने पहले शहर और शाही नेक्रोपोलिस की साइट के रूपमें स्थापित किया। करीब 600 वर्ष केलिए 13वीं से 19वीं शताब्दी सीई तक ताई-अहोम ने पवित्र भूगोल बनाने केलिए पहाड़ियों, जंगलों और पानी जैसे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करके मोइदम या होम-फॉर-स्पिरिट का निर्माण किया था। ताई-अहोम ने अपने राजाओं को दिव्य मानते हुए शाही दफन केलिए मोइदम्स के निर्माण की एक अलग अंत्येष्टि परंपरा विकसित की थी। इन टीलों को शुरू में लकड़ी केसाथ और बादमें पत्थर और जली हुई ईंटों के साथ बनाया गया था, जैसाकि अहोम के पारंपरिक प्रामाणिक साहित्य चांगरुंग फुकन में प्रलेखित है। शाही दाह संस्कार अनुष्ठान औपचारिक रूपसे आयोजित किए गए थे, जो ताई-अहोम समाज की पदानुक्रमित संरचना को दर्शाते थे।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और असम राज्य पुरातत्व विभाग ने 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में खजाना शिकारियों से चुनौतियों केबावजूद चोराइदेव की अखंडता को बहाल करने और संरक्षित करने केलिए सहयोग किया है। केंद्रीय और राज्य दोनों नियमों से सुरक्षा केसाथ साइट को इसकी संरचनात्मक अखंडता और सांस्कृतिक विशिष्टता को बनाए रखने केलिए अच्छी तरह से बनाए रखा गया है। यूनेस्को की सूची में इन विरासत स्थलों को शामिल करने का उद्देश्य 195 देशों में सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित संपत्तियों में पाए जानेवाले ओयूवी (उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों) के आधार पर साझा विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है। गौरतलब हैकि भारत 2021-25 से विश्व धरोहर समिति का सदस्य है और वर्तमान में 1972 के यूनेस्को विश्व धरोहर सम्मेलन में शामिल होने केबाद से अपने पहले सत्र की मेजबानी कर रहा है। विश्व धरोहर समिति का 46वां सत्र 21 जुलाई को शुरू हुआ था, जो 31 जुलाई तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में चलेगा। इस वार्षिक बैठक में 150 से अधिक राज्य पक्ष भाग ले रहे हैं, ये सभी यूनेस्को के विश्व धरोहर सम्मेलन के हस्ताक्षरकर्ता हैं और नए स्थलों के शिलालेख सहित विश्वविरासत से संबंधित मामलों के प्रबंधन केलिए उत्तरदायी हैं।
विश्व धरोहर समिति का 46वां सत्र वर्तमान में दुनियाभर के 27 नामांकनों की जांच कर रहा है, जिसमें 19 सांस्कृतिक, 4 प्राकृतिक, 2 मिश्रित स्थल और वर्तमान सीमाओं में 2 महत्वपूर्ण संशोधन शामिल हैं। भारत के मोइदम्स-अहोम राजवंश की टीला-दफन प्रणाली इस वर्ष सांस्कृतिक संपत्ति की श्रेणी के अंतर्गत भारत से आधिकारिक प्रविष्टि थी। विश्व धरोहर समिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूनेस्को की महानिदेशक ऑद्रे अजोले औ विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने भी भाग लिया। इसमें संस्कृति मंत्री, विभिन्न देशों के राजदूत और राज्य सरकारों के सांस्कृतिक मंत्री भी इसके विभिन्न सत्रों में शामिल हो रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय हैकि विश्व धरोहर समिति की भारत में पहलीबार बैठक हो रही है, जो इस तथ्य को परिलक्षित करती हैकि वैश्विक स्तरपर अपनी धरोहरों के प्रति भारत कितना संवेदनशील है। यहभी उल्लेखनीय हैकि प्राचीनकाल में भारत में विलक्षण विरासतें थीं, जिनमें से अधिकांश को भारत आए मुस्लिम आक्रांताओं ने इसलिए नष्ट कर दिया, क्योंकि वे हिंदू मान्यताओं और सनातन धर्म को प्रोत्साहित करती थीं, जिनके कारण वे इस्लाम का प्रचार-प्रसार नहीं कर पा रहे थे। इसके बावजूद जो विरासतें इस्लामिक हमलों से बच गईं हैं, उन्हें यूनेस्को विश्व धरोहरों में शामिल करता जा रहा है।

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