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Saturday 27 July 2024 05:56:29 PM
नई दिल्ली। जो केवल सरकारी नौकरी ही चाहता है, वही बेरोज़गार है, देश में बेरोज़गारी पर बन रही इस धारणा की पुष्टि करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि युवाओं को अपनी प्रगति केलिए सरकारी सामान्य अवसरों से भी परे देखने की जरूरत है, वहां भी उनका भविष्य उज्जवल है। उन्होंने कहाकि आज देश में एक सक्षम इकोसिस्टम है, जहां हर कोई अपनी क्षमता का लाभ उठा सकता है और अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है। स्वरोज़गार के नए दृष्टिकोण और अवसरों की सराहना करते हुए उन्होंने युवाओं को सरकार के रोज़गार विकल्पों, कौशल संवर्धन और उन्नयन नीतियों के बारेमें जागरुक होनेकी आवश्यकता को रेखांकित किया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के 77वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहाकि कोचिंग और शिक्षा का व्यवसायीकरण किसीभी राष्ट्र के विकास में बाधा है। उन्होंने कहाकि शिक्षा तो सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी उपाय है, जो समानता लाता है तथा असमानताओं को रोकता और उन्हें खत्म करता है। उन्होंने कहाकि युवाओं को दी जानेवाली शिक्षा में आधुनिक ज्ञान विज्ञान को पारंपरिक भारतीय मूल्यों से भी जोड़ा जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि मानव विकास केलिए शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना प्राथमिक जरूरत है। उन्होंने कहाकि हरित हाइड्रोजन, अंतरिक्ष विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी आधुनिक परिदृश्य को बदलने में सक्षम प्रौद्योगिकियां युवाओं को अवसर प्रदान करती हैं, चुनौतियां पेश करती हैं, युवाओं को इन प्रौद्योगिकियों में विशाल रोज़गार क्षमता का एहसास होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने 21वीं सदी की उभरती जरूरतों को पूरा करने केलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि युवाओं में आलोचनात्मक सोच, समस्या-समाधान और उद्यमशीलता कौशल का पोषण करना आवश्यक है, जिससे उन्हें आधुनिक दुनिया की जटिलताओं को समझने और सफल होने की क्षमता मिल सके। उन्होंने संसद में व्यवधान और गड़बड़ी का जिक्र किया और उसे राजनीति केलिए हथियार के रूपमें इस्तेमाल करने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने युवाओं से ऐसी गतिविधियों को हतोत्साहित करने और हमेशा अपने विवेक, सत्य एवं राष्ट्रवाद का पक्ष लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि बहस, विचार-विमर्श और चर्चा केलिए संसद एक मंच है, वेल में आकर नारेबाजी और अनुशासनहीनता को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं को शासन में सबसे महत्वपूर्ण हितधारक बताते हुए युवा पीढ़ी से उपलब्ध डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया टूल के माध्यम से अपनी आवाज़ बुलंद करने को कहा। उन्होंने कहाकि युवाओं को ज्वलंत मुद्दों पर अपनी जागरुकता बढ़ानी चाहिए और समुदायों को एक साझा दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करना चाहिए। यथास्थिति को चुनौती देने और सामाजिक परिवर्तनों को गति देने की युवाओं की क्षमता को रेखांकित करते हुए जगदीप धनखड़ ने युवाओं से सकारात्मक राष्ट्रवादी भूमिका निभाने और भारत के विकास मूल्यों केसाथ प्रतिध्वनित होने वाले कारणों का समर्थन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि युवाओं को नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहिए, जो उनकी अंतर्निहित उद्यमशीलता की भावना को दर्शाते हैं। उपराष्ट्रपति ने एक पुनर्निर्मित प्रशासनिक ब्लॉक का उद्घाटन किया और एक ‘स्मारिका’ का अनावरण किया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज की प्राचार्य प्रोफेसर रमा, डीएवी कॉलेज प्रबंध समिति नई दिल्ली के उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रीतम पाल सिंह, छात्र, संकाय सदस्य और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।