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Thursday 1 August 2024 06:39:42 PM
नई दिल्ली। भारत और वियतनाम ऐसे देश हैं, जिनका समुद्री इतिहास समृद्ध और परस्पर जुड़ा हुआ है और दोनों गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर विकसित करने केलिए एकसाथ आए हैं। सदियों पुराने समुद्री संबंधों पर आधारित यह साझेदारी दोनों देशों केबीच स्थायी बंधन और साझा विरासत को संरक्षित करने की उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह की उपस्थिति में आज नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में भारत और वियतनाम केबीच इस संबंध में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता ज्ञापन एनएमएचसी को स्वरूप देने केलिए सहयोगात्मक प्रयासों का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को भी और मजबूत करेगा। एनएमएचसी केतहत दोनों देशों की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से विभिन्न पहलू शामिल किए जाएंगे।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर भारत और वियतनाम केबीच ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों, उनके साझा समुद्री इतिहास की निकटता और गहरे संबंधों को उजागर करेगा। दोनों देश अपने समुद्री इतिहास से संबंधित कलाकृतियों, प्रतिकृतियों, चित्रों, अभिलेखीय डेटा, अन्य पुरावशेषों के आदान-प्रदान और ऋण देने के आधार पर मिलकर काम करेंगे। कलाकृतियों के आदान-प्रदान के अलावा यह सहयोग समझौता डिजाइन, तकनीकी कार्यांवयन और रखरखाव में विशेषज्ञता साझा करने तक विस्तारित होगा। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर को एक शैक्षिक और मनोरंजक स्थान बनाना है, जो नवीनतम तकनीक का उपयोग करता है। केंद्रीय पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसपर कहा हैकि लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर पर भारत-वियतनाम केबीच सहयोग हमारे समृद्ध समुद्री इतिहास को संरक्षित करने और इसकी खुशी मनाने की हमारी साझा प्रतिबद्धता में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि यह साझेदारी न केवल दोनों देशों केबीच गहरे संबंधों को उजागर करती है, बल्कि भविष्य के सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रणनीतिक सहयोग केलिए भी मंच तैयार करती है। उन्होंने कहाकि हम एक ऐसा सेतु बना रहे हैं, जो हमारे अतीत का सम्मान करते हुए एक समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। वियतनाम-भारत समुद्री विरासत पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने, डिजाइन की जानकारी साझा करने और समुद्री विरासत और संरक्षण प्रयोगशाला विकसित करने मेंभी सहयोग करेंगे। एनएमएचसी सांस्कृतिक आदान-प्रदान, अनुसंधान और सीखने केलिए केंद्रबिंदु के रूपमें काम करेगा, जिसमें शैक्षिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनियों पर ज़ोर दिया जाएगा। यह पहल न केवल भारत और वियतनाम के समृद्ध समुद्री इतिहास को संरक्षित करेगी, बल्कि दोनों देशों केबीच बेहतर समझ और सहयोग को बढ़ावा देगी, जिससे दोनों देशों केबीच रणनीतिक साझेदारी और ज्यादा मजबूत होगी।
गौरतलब हैकि गुजरात सरकार ने राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर केलिए सरगवाला गांव में 400 एकड़ ज़मीन आवंटित की है और परियोजना केलिए बाहरी अवसंरचना का विकास भी किया है। चरण 1ए का निर्माणकार्य जोरों पर है और 55 प्रतिशत से अधिक भौतिक प्रगति पहले ही हासिल की जाचुकी है। अगले साल परियोजना को जनता केलिए खोल दिया जाएगा। समुद्री परिसर में दुनिया के सबसे ऊंचे लाइटहाउस संग्रहालयों मेंसे एक दुनिया की सबसे बड़ी खुली जलीय गैलरी और भारत का सबसे भव्य समुद्री संग्रहालय होगा, जो इसे एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनाएगा। मार्च 2022 में शुरू हुई इस परियोजना को लगभग 4500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जारहा है और इसमें कई नवीन एवं अनूठी विशेषताएं शामिल हैं, इनमें हड़प्पा वास्तुकला और जीवनशैली के अनुभव केलिए लोथल मिनी मनोरंजन, चार थीम पार्क (स्मृति थीम पार्क, समुद्री थीम पार्क, जलवायु थीम पार्क तथा साहसिक और मनोरंजन थीम पार्क) एवंहड़प्पा काल से आजतक की भारत की समुद्री विरासत को उजागर करनेवाली चौदह गैलरी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने वाला एक तटीय राज्य मंडप भी होगा।